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जैविक खेती के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार

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भोपाल। प्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है, जहां पर मौका मिलते ही सरकारी अमला भ्रष्टाचार करने मेंं जुट जाता है, फिर इसका नुकसान किसी को भी क्यों न हो। इससे जैविक खेती भी अछूती नहीं रही है। यह बात अलग है कि प्रदेश किसानों की जागरूकता की वजह से देश में सर्वाधिक रकबे में जैविक खेती करने के मामले में पहले स्थान पर बना हुआ है। शायद यह उपलब्धि अनूपपुर जिले के अधिकारियों को रास नहीं आ रही है।
इस जिले में जैविक खेती के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है। जिले में कृषि विभाग के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के लिए 2018 से 2020 की अवधि में जैविक खेती के लिए किसानों को दिए जाने वाले केंचुए और अन्य सामग्री में गड़बड़ी कर दो करोड़ 29 लाख रुपये का घोटाला कर डाला।   दरअसल साल 2019-20 में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए डीएमएफ यानी जिला खनिज निधि से करोड़ों की राशि जारी की गई थी। इसी राशि  में सबसे बड़ा गड़बड़झाला किया गया है।  कृषि विभाग के अफसरों ने  अनुपपुर जिले के कोतमा ब्लॉक के बसखली और चंगेरी गांव के बसखली में किसानों को एक नेट और एक बेड तो दिया , लेकिन उन्हें केंचुआ ही नहीं दिए, जिससे उनके लिए दी गई सामग्री का कोई उपयोग ही नहीं रह गया। इस पूरे मामले की शिकायत दीपक मिश्रा नामक व्यक्ति ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ रीवा इकाई को शिकायत कर गड़बड़ी की जांच की मांग की थी। इसके बाद  कलेक्टर आशीष वशिष्ट ने अपनी टीम से जांच कराई तो वो सही पायी गई। इस आधार पर कलेक्टर ने शासन और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को जानकारी भेजकर जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
किसानों को यह देनी थी सामग्री
योजना के तहत जिले के पांच हजार किसानों को वर्मी कंपोस्टिंग बेड, जैविक खाद, केंचुआ, जाल, साहित्य और प्रशिक्षण दिया जाना था। इसके लिए जिला खनिज निधि से छह करोड़ 93 लाख रुपये आवंटित किए गए थे। इसमें दो करोड़ 90 लाख रुपये कृषि विभाग की कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) परियोजना, अनूपपुर को सामग्री खरीदने के लिए, 2.93 लाख रुपये प्रशिक्षण और अन्य कार्यों के लिए और 1.08 करोड़ रुपये मिट्टी परीक्षण के लिए एक निजी कंपनी को दिए गए। प्रति किसान 9770 रुपये आवंटित किए गए।
वितरित सामग्री ही नहीं मिली
जिला प्रशासन की जांच में कई किसानों ने बताया कि केंचुआ और अन्य सामग्री उन्हें मिली ही नहीं। जो मिली भी वह घटिया थी। मिट्टी परीक्षण के नाम पर भी गड़बड़ी की गई। किसानों ने यह भी बताया कि उन्हें कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया। कलेक्टर ने कृषि उप संचालक एनडी गुप्ता से दो करोड़ 29 लाख रुपये वसूली के साथ विभागीय जांच और निलंबन का प्रस्ताव भेजा है।

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