Home विविध केरियर/रोज़गार बड़ी आईटी कंपनी की नौकरी छोड़ शुरू की खेती

बड़ी आईटी कंपनी की नौकरी छोड़ शुरू की खेती

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आजकल कई युवा बड़ी-बड़ी नौकरी छोड़ अपना बिजनेस शुरू कर रहे हैं या खेती शुरू कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. ऐसे ही हैं जितेंद्र मान , जो कभी आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टीसीएस में काम करते थे. लेकिन उन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर गांव लेटने का फैसला किया. जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर खेती शुरू की.
जितेंद्र मान जब नौकरी करते थे तब उनके स्वास्थ्य पर प्रदूषण और केमिकल वाले खाने का बुरा असर पड़ा. जिसके बाद वे अपनी पत्नी सरला मान के साथ गांव लौट गए. साल 2017 में उन्होंने नौकरी छोड़ हरियाणा के सोनीपत जिले के महमूदपुर में आकर खेती शुरू की. दोनों पति-पत्नी मोरिंगा की खेती करते हैं.

‘हसबैंड वाइफ फार्म’

शुरुआत में जितेंद्र के परिवार के पास दो एकड़ ही जमीन थी. जिसमें पति-पत्नी ने मिलकर मोरिंगा की खेती करने का निर्णय किया. उनका यह निर्णय सही साबित हुआ. उन्होंने ने मिलकर ‘हसबैंड वाइफ फार्म’ ब्रांड की शुरुआत की. जिसके अंतर्गत वे मोरिंगा से बने कई प्रोडक्ट्स बेच रहे हैं.

मोरिंगा को चुनने के पीछे का ये है कारण

मोरिंगा का पेड़ जल्दी बढ़ता है. या सूखे को आसानी से सहन कर लेता है. इनकी पत्तियों और फलों में कई स्वास्थ्यवर्धक गुण होते हैं. इनकी पत्तियों में औषधीय गुण, एंटीऑक्सीडेंट, पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.

इनकी पत्तियों और पत्तियों से बने पाउडर की काफी मांग रहती है. इनकी फलियों में भी स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं. इनका इस्तेमाल साम्भर और करी बनाने में किया जाता है.

जितेंद्र मान और उनकी पत्‍नी सरला मोरिंगा की खेती करके इनकी पत्तियों का पावडर बनाते हैं. इसके साथ ही इनका कैप्सूल भी बनाकर बेचते हैं. वे हर साल केवल एक एकड़ जमीन से 10,000 किलो मोरिंगा पत्तियों से कमाई करते हैं.

कैसे आया आइडिया?

बेंगलुरु में नौकरी के दौरान जब जितेंद्र मान अपने दोस्त के घर गए थे, तो उन्हें वहां मोरिंगा के कुछ पौधे मिले थे. इन पौधों को उन्होंने दिल्ली में अपने घर की छत पर लगाया. यही से उन्हें इनके लाभ के बारे में पता चला.
आज सरला और जितेंद्र लगभग 10 एकड़ जमीन पर मोरिंगा की खेती कर रहे हैं. अपने उत्पादों को वे ‘हसबैंड वाइफ फार्म के ब्रांड के अंतर्गत देश में ही नहीं बल्कि यूएई, ब्रिटेन, कनाडा जैसे देशों में बेच रहे हैं. उनके फ़ार्म में कई महिलाओं को रोजगार दिया गया है. वे दूसरे किसानों को भी मोरिंगा की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

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