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एथेनॉल उत्पादन के लिए मक्के का बढ़ रहा इस्तेमाल

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देश में मक्के से एथेनॉल का उत्पादन बढ़ रहा है. जिसके कारण मक्के का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है. इसके लिए सरकार ने प्लान बनाया है. भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान को केंद्र सरकार ने इसकी जानकारी दी.

भारत में जितने मक्के का उत्पादन (Maize Cultivation) होता है उसका लगभग 47 फीसदी पोल्ट्री फीड में इस्तेमाल किया जाता है. दुनियाभर में जितने मक्के का उत्पादन किया जाता है उसका केवल दो फीसदी भारत में उत्पादन होता है. लेकिन अब भारत में भी मक्के का इस्तेमाल औद्योगिक क्षेत्र में बढ़ता जा रहा है.

एथेनॉल उत्पादन के लिए मक्के का बढ़ रहा इस्तेमाल

देश में मक्के से एथेनॉल का उत्पादन (Cultivating Mize For Ethanol Production) बढ़ रहा है. जिसके कारण मक्के (Maize Cultivation) का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है. इसके लिए सरकार ने प्लान बनाया है. भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान को केंद्र सरकार ने इसकी जानकारी दी.

वरिष्ठ मक्का वैज्ञानिक डॉ. एस एल जाट ने सरकार के इस प्लान के बारे में जानकारी दी. जिसमें उन्होंने बताया कि जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नया प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है. जिसमें मक्के की कई किस्मों की बुआई की जाएगी.

कितने प्रकार के होते हैं मक्के

भारत में मक्के के सामान्यत: 4 प्रकार होते हैं. मक्के की सभी किस्मों में अलग-अलग खास गुण पाए जाते हैं. ये है मक्के के प्रकार –

· डेंट कॉर्न,

· फ्लिंट कॉर्न,

· पॉपकॉर्न,

· स्वीट कॉर्न.

इन किस्मों में से भारत में 36 फीसदी सेमी-डेंट, 32 फीसदी सेमी फ्लिंट, 25 फीसदी फ्लिंट और 7 फीसदी डेंट मक्के की खेती की जाती है.

डेंट कॉर्न

इसे फील्ड कॉर्न के नाम से भी जाना जाता है. इसका उत्पादन दाने के लिए किया जाता है. सबसे ज्यादा इसका उत्पादन अमेरिका में किया जाता है. फील्ड कॉर्न का सबसे बड़ा उत्पादक अमेरिका है, जिसका इस्तेमाल खाद्य उत्पादों के साथ ही पशु आहार के लिए भी किया जाता है.

मक्के की इस किस्म में पाया जाने वाला स्टार्च कठोर और मुलायम का मिश्रण होता है.
फ्लिंट कॉर्न

इस मक्के को उष्ण एवं उपोष्ण के नाम से भी जाना जाता है, यह कई रंगों में उपलब्ध रहता है. इस मक्के का बाहर का हिस्सा कठोर रहता है. इसकी पहचान सफ़ेद और लाल रंग के दानों के रूप में होती है. इसका उत्पादन ज्यादातर मध्य और दक्षिण अमेरिका में किया जाता है. अमेरिका में इसका इस्तेमाल खाद्य के साथ ही सजावट के लिए भी किया जाता है.

पॉपकॉर्न

मक्के की इस किस्म का आकार, नमी की मात्रा और स्टार्च का स्तर अलग-अलग होता है. ये मक्के बाहर से कठोर और अंदर से नरम स्टार्च वाला होता है. स्नैक्स के रूप में इस मक्के का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.

स्वीट कॉर्न

इसमें स्टार्च पूरी तरह नर्म होता है. जो फूटता भी नहीं. इसमें मक्के के अन्य प्रकार की तुलना में ज्यादा मिठास पाई जाती है. जब भी ये दाने अपरिपक्व होते हैं, इनमें से दूध निकलता है तब इसे तोड़ लिया जाता है. यह ताजे खाए जाते हैं. क्योंकि इसे तोड़ने के केवल 24 घंटे में ही इसमें पाया जाने वाला स्टार्च 50 फीसदी चीनी स्टार्च में बदल जाता है.

सेमी फ्लिंट एवं सेमी डेंट

ये मक्के फ्लिंट और दंत का मिश्रण होता है इसमें दोनों के गुण पाए जाते हैं. यह ट्रॉपिकल मक्का की प्रजातियाँ है. जो भारत में भी काफी प्रचलित है.

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