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दक्षिणी राज्यों में कपास की बुवाई में तेजी,उत्तर भारत में रकबा घटने की आशंका  

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मॉनसून आने के साथ ही दक्षिण भारत के राज्यों में खरीफ सीजन 2024 के लिए कपास की खेती करने वाले किसानों ने बुवाई शुरू कर दी है. क्योंकि, कपास की बाजार में अच्छी कीमतों ने किसानों को रकबा बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है. वहीं, किसानों ने कम कीमत मिलने के चलते मिर्च की बुवाई की ओर झुकाव कम किया है. बता दें कि बाजार में कपास एमएसपी रेट से करीब 1000 रुपये प्रति क्विंटल महंगा बिक रहा है. हालांकि, उत्तर भारत में मॉनसूनी बारिश में देरी की वजह से इस सीजन में कपास बुवाई रकबा तेजी गिरने का अनुमान है. 

दक्षिणी राज्यों कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में खरीफ 2024 सीजन के लिए कपास की बुआई शुरू हो गई है. कर्नाटक और तेलंगाना में कपास उगाने वाले क्षेत्रों में कई बार बारिश हुई है, जो फसल के लिए सकारात्मक संकेत है. रिपोर्ट के अनुसार इंडस्ट्री को उम्मीद है कि तेलंगाना में कपास का रकबा बढ़ेगा. क्योंकि, मिर्च के किसानों का एक वर्ग कपास की फसल की ओर रुख कर सकता है. इसकी वजह मसालों की फसल की कीमतों का कमजोर रहना है. 

मिर्च किसान भी कपास की ओर आकर्षित 

रिपोर्ट के अनुसार ट्रेडर्स को उम्मीद है कि तेलंगाना में रकबे में वृद्धि होगी. क्योंकि, बुवाई सीजन से पहले कपास की कीमतें मजबूत चल रही हैं, जबकि मिर्च की कीमतें उतनी अच्छी नहीं हैं और किसान कपास की ओर रुख कर सकते हैं. मसालों के अलावा रोजाना की खपत में भी मिर्च की कीमत उम्मीद के मुताबिक किसानों को नहीं मिली है. जो एक बड़ा संकेत दे रही है मिर्च बुवाई का रकबा घटने का. 

कपास के बीज की बिक्री में तेजी आई 

मई के अंतिम सप्ताह में मानसून ने दस्तक दी थी और केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना के अधिकांश भाग और महाराष्ट्र के कुछ भागों को कवर करते हुए यह आगे बढ़ गया है. एक्सपर्ट के अनुसार तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे सभी प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में अच्छी बारिश हुई है और पिछले कुछ दिनों में बीजों की खरीद में तेजी आई है. इन राज्यों में कपास के बीजों की खरीद 35 से 50 प्रतिशत के बीच है और टारगेटेड क्षेत्रों के लगभग दसवें हिस्से में बुवाई हो सकती है. 

उत्तर भारत में कपास के रकबे में भारी गिरावट की आशंका 

उत्तर भारत में अप्रैल के मध्य से ही कपास की रोपाई शुरू हो जाती है. लेकिन, बीते कुछ वर्षों के दौरान फसल पर कीटों के बढ़ते प्रकोप और बढ़ती मज़दूरी लागत जैसी वजहों से इस सीजन में कपास की बुआई का रकबा लगभग एक चौथाई घटने की आशंका जताई जा रही है. उत्तर भारत में सिंचाई के लिए पानी की किल्लत और मॉनसूनी बारिश में देरी के चलते भी कपास की बुवाई से किसान पीछे हटते दिख रहे हैं. 

एमएसपी रेट से भी ऊपर चल रही कपास की कीमत 

एक्सपर्ट के अनुसार कर्नाटक, तेलंगाना के कुछ हिस्सों में कपास की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के स्तर से भी ऊपर 7,500 रुपये या 7,600 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास हैं. जबकि, कपास का एमएसपी रेट 6620 रुपये प्रति क्विंटल है. एमएसपी से ज्यादा मिल रही कीमत के चलते कपास की बुवाई की ओर किसान आकर्षित हो रहे हैं. इसके चलते कपास के बीजों की कीमतें ऊपर चल रही हैं. 

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