Home कारोबार सोयाबीन की वैरायटी JS 2172 , क्या है इसकी खासियत?

सोयाबीन की वैरायटी JS 2172 , क्या है इसकी खासियत?

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सोयाबीन की खेती का समय आ गया है. ऐसे में किसानों को यह जानना जरूरी है कि किसान सोयाबीन के कौन सी किस्मों की खेती करें जिससे उन्हें अधिक उत्पादन हासिल हो सके और अधिक मुनाफा हो सके. सोयाबीन एक नकदी फसल मानी जाती है और किसान इसकी खेती से अच्छी कमाई करते हैं. वर्तमान में जिस तरह की मौसम की परिस्थितियां सामने आ रही है ऐसे में किसानों को ऐसी किस्म की बीजों का चयन करना चाहिए जो विपरित मौसम की परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन देती है. हाल के वर्षों में सोयाबीन की वैरायटी JS 2172 भी एक बेहतरीन किस्म के तौर पर उभरी है. 

सोयाबीन की खेती के लिए इस बीज को बेस्ट माना जाता है. सोयाबीन की वैरायटी JS 2172,  जे. एस. 9305, जे.एस. 2069 के बाद एडवांस जनरेशन की बीज है जो  विपरीत मौसमी परिस्थितियों में भी अधिक उत्पादन देती है. यह किस्म पानी के लिए अधिक सहनशील है. इसका दाना सुंदर और चमकदार होता है साथ ही इसके ज़ड़ भी मजबूत होते हैं और इसकी अंकुरण क्षमता भी बहुत अच्छी होती है. सोयाबीन की इस किस्म में फली चटकने की समस्या नहीं होती है और इसमें कीट और रोगों का भी अधिक प्रकोप नहीं होता है. यह किस्म रोग रोधी और कीट रोधी है. 

कम पानी में होता है बेहतर उत्पादन

सोयाबीन की इस नई किस्म को जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने काफी शोध के बाद विकसित किया है. किसानों की मांग के आधार पर इस बीज को तैयार किया गया है. यह बीज बदलते मौसम और बढ़ते तापमान में पानी की कमी में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है. सोयाबीन की यह किस्म  मध्य प्रदेश, बुंदेलखण्ड, राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र हेतु अनुशंसित की गई है, जहां मध्यम से अधिक वर्षा होती है. यहां कि भारी मिट्टी में इसकी खेती की जाती है. यह मध्यम अवधि कि किस्म है. जो 94-95 दिनों में तैयार हो जाती है. प्रति हेक्टेयर इसका उत्पादन 25 क्विंटल तक होता है, पर कहीं-कहीं पर अनुकूल परिस्थितियों में इसका उत्पादन 30-35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हासिल हुई है. 

सोयाबीन की जेएस 2172 वैरायटी की विशेषता

सोयाबीन की जेएस 2172 वैरायटी के विशेषताओं की बात करें तो इसका तना मजबूत होता है इसिलए यह टेढ़ा नहीं होता है. पौधे का फैलाव और ऊंचाई काफी अच्छा होता है इसलिए इसकी कटाई के दौरान फलियों के चटकने की समस्या नहीं होती है और कटाई के समय किसान को नुकसान नहीं होता है. विपरित मौसम में भी अच्छी पैदावार के अलावा यह किस्म येलो मोजेक वायरस, चारकोल रॉट और येलो स्पॉट जैसी बीमारियों के प्रति सहनशील होता है. इस किस्म में उच्च रोग प्रतिरोधी क्षमता होती है. वेरायटी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि चारकोल सड़न, फली झुलसा, एरियल ब्लाइट जैसे रोगों से लड़ने की क्षमता जबरदस्त होती है. 

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