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नाइजीरिया में आधी आबादी भूख से पीडिंत,ट्रकों और गोदामों से खाद्यान्न की लूट

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पवन कुलकर्णी

लगभग आधी आबादी भूख से प्रभावित हो गई है, नतीजतन नाइजीरिया में पिछले कुछ हफ्तों में देश भर के भीतर ट्रकों और गोदामों से खाद्यान्न की लूट जैसी लहर सी देखी गई है।

दक्षिण-पश्चिमी इलाके में, ओन्डो राज्य की राजधानी अकुरे में, छोटे व्यापारी, ड्राइवर, कारीगर और अन्य निवासी 1 अप्रैल को ओन्डो-अकुरे एक्सप्रेसवे पर जा रहे एक ट्रक पर जबरदस्ती चढ़ गए और राष्ट्रपति टीनुबू बोला नामक ब्रांड वाले डिब्बों में ले जाए जा रहे अनाज को लूट लिया।

एक दिन पहले, रविवार को, नाइजीरिया के उत्तर-पश्चिमी इलाके में केब्बी राज्य की राजधानी, बिरनिन केब्बी के कारा बाजार में भूखे निवासियों ने एक गोदाम से चावल लूट लिया, जहां गंभीर कुपोषण के 500,000 से अधिक मामले पाए गए हैं।

गोदामों में अनाज के बोरे उतरते देख सुबह से ही बाहर भीड़ जुटने लगी थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस छोड़ी लेकिन हताश निवासी पीछे नहीं हटे और अपनी बात पर कायम रहे। जब दो और ट्रेलर अनलोड करने पहुंचे तो उन्होंने पथराव कर पुलिस को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया, ट्रकों पर चढ़ गये और चावल की बोरियां लेकर भाग गये।

जब सेना को घटनास्थल पर तैनात किया गया, तो कथित तौर पर कुछ सैनिकों ने गोदाम के आसपास की दुकानों के मालिकों के खिलाफ लूटपाट में भाग लेने का आरोप लगाते हुए लड़ाई शुरू कर दी और उनमें से एक की छाती में गोली मारकर हत्या कर दी।

राज्य के उप-राज्यपाल उमर तफ़िदा के प्रवक्ता ने कहा है कि “सुरक्षा एजेंसियों द्वारा स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।”

हालांकि, खाद्यान्न की सुरक्षा के लिए सरकार जिन सुरक्षा बलों पर भरोसा कर रही है, उनकी संख्या खाद्य असुरक्षित लोगों की संख्या से कहीं अधिक है, जो 50 फीसदी से अधिक बढ़ गई है, 2023 की पहली तिमाही से 2024 की तिमाही में 66.2 मिलियन से बढ़कर 100 मिलियन हो गई है। यह अफ्रीका की सबसे बड़ी आबादी वाले देश के 218 मिलियन लोगों का लगभग 46 फीसदी बैठता है।

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के अनुसार, उनमें से 18.6 मिलियन भयंकर भूख से पीड़ित हैं, जबकि अन्य 43.7 मिलियन उस “संकट” से जूझ रहे हैं जिसका वर्गीकरण बेंचमार्क पर या उससे ऊपर भूख के स्तर का सामना कर रहे लोगों के लिए किया गया है।

जिस दर से खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ रही हैं, जो पिछले फरवरी में पहले से ही लगभग 25 फीसदी के बराबर थी, इस साल फरवरी तक बढ़कर लगभग 39 फीसदी हो गई है।

सेंट्रल बैंक ऑफ नाइजीरिया के त्रैमासिक प्रकाशन के नवीनतम अंक में प्रकाशित अहमदू बेलो विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री एरिक ओटाओखिया द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, इस खाद्य मुद्रास्फीति का मुख्य कारण मई 2023 में सरकार द्वारा ईंधन सब्सिडी को हटाना है।

ईंधन सब्सिडी हटाने के बाद, राष्ट्रपति बोला टीनुबू ने सेंट्रल बैंक ऑफ नाइजीरिया (सीबीएन) के तत्कालीन अध्यक्ष को निलंबित कर दिया था, रॉयटर्स के अनुसार, जिन्होंने नाइजीरिया से “निवेशकों के लिए पैसा निकालना मुश्किल बना दिया था”।

इसके बाद टीनुबू ने जून 2023 में नाइजीरिया की मुद्रा के व्यापार को उदार बनाया, जिससे नायरा का मूल्य रातोंरात एक तिहाई से अधिक गिर गया। इसने देश की आयात करने की क्षमता को सीमित कर दिया, जिस पर आईएमएफ द्वारा निर्धारित नवउदारवादी सुधारों के पहले दौर की वार्ता के बाद, 90 के दशक से नाइजीरिया भोजन पर तेजी से निर्भर हो गया था।

इसकी उच्च उत्पादन क्षमता के बावजूद, 70 फीसदी युवा आबादी के साथ और 40 फीसदी से अधिक कृषि योग्य भूमि के साथ, पिछले कुछ दशकों में खाद्य आयात चौगुना से अधिक हो गया है।

आईएमएफ भुखमरी पैदा करने वाले सुधारों की प्रशंसक

आईएमएफ, जिसने अतीत में 90 के दशक के अंत तक सुधारों की “गति” में कमी की शिकायत की थी, ने इन नए सुधारों की सराहना की है, जिसने नाइजीरिया की खाद्य आयात क्षमता को उसके घरेलू उत्पादन के ठीक बाद बलिदान कर दिया, जो ईंधन सब्सिडी खत्म करने से और भी कम हो गया था।

फरवरी की शुरुआत में आईएमएफ के बयान में कहा गया था कि, “राष्ट्रपति टीनुबू महत्वपूर्ण ढांचागत सुधारों के साथ आगे बढ़े हैं: ईंधन सब्सिडी को हटाया है और विभिन्न आधिकारिक विदेशी मुद्रा खिड़कियों को एकीकृत किया है।” “नई सीबीएन टीम” ने “वित्त विकास में अपनी पिछली भूमिका को छोड़कर इस संकल्प का प्रदर्शन किया है,” आईएमएफ ने संतुष्टि के साथ कहा और खुद के मूल्यांकन में निष्कर्ष निकाला कि “नाइजीरिया की कर्ज़ चुकाने की क्षमता पर्याप्त है।”

तब तक देश की मुद्रास्फीति लगभग तीन दशकों में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी। “भोजन नहीं है, हम भूख से मर रहे हैं,” उन तख्तियों पर लिखा था, जिन्हें लेकर नाइजर राज्य की राजधानी मिन्ना में महिलाओं ने 5 फरवरी को विरोध प्रदर्शन से सड़क को अवरुद्ध कर दिया था। पुलिस ने 25 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया लेकिन इसी तरह के विरोध प्रदर्शन अन्य शहरों में भी जारी रहे।

21 फरवरी को, नाइजर राज्य के वाणिज्यिक केंद्र सुलेजा में मछली विक्रेताओं ने फ़्रोजन फिश की कीमत में लगातार बढ़ोतरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया जिसकी उनका व्यवसाय नीचे आ गया था। गुस्साए युवाओं ने विरोध का फायदा उठाते हुए व्यस्त अबुजा-सुलेजा-कडुना राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया और खाद्य सामग्री ले जा रहे ट्रकों को लूट लिया

दो दिन बाद, 23 फरवरी को, नाइजीरिया की वाणिज्यिक राजधानी लागोस में भगदड़ में सत्तारूढ़ ऑल प्रोग्रेसिव कांग्रेस (एपीसी) पार्टी के एक सदस्य सहित सात लोगों की मौत हो गई जहां सीमा शुल्क सेवा तस्करों से जब्त किए गए चावल के बैग रियायती मूल्य पर बेचे जा रहे थे।

बाद में 27 फरवरी को, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के विरोध में हजारों श्रमिक, छात्र, दुकान मालिक आदि देश भर में सड़कों पर उतर आए जबकि नाइजीरियाई लेबर कांग्रेस (एनएलसी) ने देशव्यापी हड़ताल का नेतृत्व किया।

एनएलसी के अध्यक्ष जो अजेरो ने कहा कि “कोई नहीं है जो यह नहीं जानता कि हम भूखें है।” एनएलसी के अध्यक्ष यूसुफ इनुवा ने कहा कि, “आज कोई भी सिविल सेवक नहीं है जो आर्थिक कठिनाई के कारण दिन में तीन बार भोजन का खर्च उठा सके।”

बोर्नो राज्य की राजधानी मैदुगुरी में भारी हथियारों से लैस पुलिस ने जूलुस को रोक दिया। इनुवा ने कहा कि, “अगर संगठित मजदूर को चुप करा दिया गया, तो जनता की चिंताओं को आवाज़ देने वाला कोई नहीं बचेगा।”

इंटरनेशनल ट्रेड यूनियन कन्फेडरेशन (आईटीयूसी)-अफ्रीका के महासचिव अख्तर ओडिगी ने कहा कि, “राष्ट्रीय विरोध को लोगों की निराशाओं को रचनात्मक रूप से बढ़ने से रोकने में मदद के रूप में देखा जाना चाहिए और इसका अपराधीकरण नहीं किया जाना चाहिए।”

अराजकता और नाफ़रमानी का नुस्खा

एक औसत नाइजीरियाई कर्मचारी का मासिक वेतन, तीन लोगों के परिवार का मात्र एक सप्ताह का भरण-पोषण करने के लिए भी अपर्याप्त है, इस पर ओडिगी ने चेतावनी दी कि “स्थिति टालने योग्य है… यदि ऐसा नाही होता तो यह अराजकता और नाफ़रमानी का नुस्खा है।”

यह निश्चित था कि, अराजकता और नाफ़रमानी फैलनी थी। संघीय राजधानी क्षेत्र (एफसीटी) में, निवासियों ने 2 मार्च को नाइजीरिया की राजधानी अबूजा के बाहरी इलाके ग्वाग्वालाडा में कृषि और ग्रामीण सचिवालय के गोदाम में तोड़-फोड़ की। पुलिस को उन्हें तितर-बितर करने में दो घंटे से अधिक समय लगा, लेकिन उसके बाद ही उन्होंने सारा अनाज गोदाम खाली कर दिया, जिससे इमारत क्षतिग्रस्त हो गई।

15 को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन अगले दो से तीन दिनों में अबूजा सहित एफसीटी के विभिन्न क्षेत्रों में लूटपाट चल रही है। सरकारी और निजी स्वामित्व वाले गोदामों के साथ-साथ निवासियों ने सड़कों को अवरुद्ध करके यातायात में रोके गए ट्रकों को भी निशाना बनाया है। ऐसे मामले अन्य राज्यों में भी सामने आए हैं।

एफसीटी की राज्य मंत्री मारिया महमूद ने घोषणा की कि इस इलाके के प्रत्येक सरकारी गोदाम में पुलिस चौकियां स्थापित की जाएंगी। सेना, जिसने कई इलाकों में लूटपाट को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया था, ने घोषणा की है कि राष्ट्रीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी (एनईएमए) के गोदामों की सुरक्षा के लिए देश भर में सैनिकों को तैनात किया जाएगा।

किसानों की सुरक्षा में सेना की विफलता ने संकट को बढ़ा दिया है

हालांकि, खाद्यान्न की सुरक्षा की भूमिका निभाते हुए, सेना, किसानों को डाकुओं के गिरोह और सशस्त्र हमलावरों के हमलों से बचाने के काम में विफल रही है, जिससे उन्हें देश भर के कई राज्यों में कृषि छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

इस साल अब तक कम से कम 165 किसानों की मौत हो चुकी है। डाकुओं ने भी अपना कर लगाना शुरू कर दिया है। उत्तरी क्षेत्र में, वे कथित तौर पर रोपण और फसल के चरम मौसम के दौरान किसानों को अपने खेत तक पहुंचने की इजाजत लेने के लिए एक लाख नायरा (लगभग 76 अमरीकी डालर) तक देने पड़ते हैं।

अकेले उत्तर-पश्चिमी राज्य सोकोतो में, किसानों ने पिछले साल फिरौती के रूप में एक अनुमान के अनुसार लगभग तीन अरब नायरा (लगभग 758,000 अमेरिकी डॉलर) दिए हैं।

नाइजीरिया के कृषि प्रधान इलाके में इस असुरक्षा ने देश में भुखमरी को और बढ़ा दिया है। नाइजीरिया के कृषि और खाद्य सुरक्षा मंत्री अबुबकर क्यारी ने पिछले महीने अबुजा में लूटपाट के बाद भूखमरी को कम करने के लिए राहत उपायों की घोषणा की है।

उन्होंने कहा कि, “जैसा कि राष्ट्रपति महोदय ने मंजूरी दी है, हम इस सप्ताह शुरू किए जाने वाले कार्यक्रमों में से एक के तहत, महासंघ के 36 राज्यों में 42,000 मीट्रिक टन अनाज का वितरण शुरू करेंगे।” “इसके अलावा, मेगा राइस मिलर्स से 58,500 मीट्रिक टन पिसा हुआ चावल भी बाजार में लाया जाएगा।” हालाकि, यह “सुधारों” के बाद से भूख को रोकने में बेहद कम सफल साबित हुआ है जिसके लिए आईएमएफ ने टीनुबू की प्रशंसा की थी।

सौजन्यपीपल्स डिस्पैच

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