मखाने स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते हैं. जिसके कारण उनकी मांग भी काफी बढ़ गई है. दुनियाभर में जितने मखाने का इस्तेमाल किया जाता है उसका करीब 80 प्रतिशत उत्पादन केवल बिहार में ही होता है.इस फसल की खेती पानी में की जाती है. इसलिए जिन किसानों के खेतों में बाढ़ का पानी जमा हो जाता है वे भी मखाने की खेती कर सकते हैं. सरकार भी मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी दे रही है.मखाने की खेती से एक बार में दो फसलें ली जा सकती है. इसे मार्च में लगाने पर अगस्त-सितंबर फसल की हार्वेस्टिंग की जा सकती है.

मखाना है गुणों की खान
मखानों की मांग इसलिए भी बहुत ज्यादा है क्योंकि ये गुणों की खान है. इसमें 14.5 ग्राम फाइबर और 9.7 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है. इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम, और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसे खाने से शरीर में शुगर लेवल भी मेंटेन रहता है.
मखाना विकास योजना
बिहार सरकार मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘मखाना विकास योजना’ चला रही है. जिसके लिए सरकार ने प्रति हेक्टेयर लागत 97,000 रुपये तय की है. बिहार सरकार किसानों को मखाने की खेती पर 75 फीसदी की सब्सिडी दे रही है. जो लगभग 72,750 रुपये की है.
ऐसे किसान जो मखाने की खेती कर रहे हैं उन्हें अपने केवल 24,250 रुपये खर्च करने होंगे बाकी की उन्हें सब्सिडी मिल जाएगी. बिहार सरकार की मखाना विकास योजना के जरिये मखाने की ‘सबौर मखाना-1’ और ‘स्वर्ण वैदेही प्रभेद’ का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है.
मखाने की खेती के लिए जरूरी बातें
मखाने की खेती में कम से कम दो महीने का समय लगता है. इनके फल कांटेदार होते हैं. जो एक या दो महीने में गल जाते हैं.
इसके बाद किसान पानी की निचली सतह से मखानों को निकालते हैं. जिसके बाद इन्हें प्रोसेस करने का काम किया जाता है. पानी से निकालकर मखाने के बीजों को धूप में सुखाया जाता है. इसके बाद उनकी ग्रेडिंग की जाती है.
मखाने की खेती की लिए सब्सिडी कैसे मिलेगी
यदि आप भी मखाने की खेती पर मिलने वाली सब्सिडी योजना का लाभ लेना चाहते हैं तो इसके लिए किसानों को बिहार उद्यान विभाग की आधिरकारिक वेबसाइट http://horticulture.bihar.gov.in/ पर जाना होगा. इसके बाद आवेदन फॉर्म खुलेगा. जिसमें आपको अपनी सारी जानकारी दर्ज करनी होगी.