मध्य प्रदेश का एक छोटा सा जिला बुरहानपुर बरसों से अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और हरे-भरे खेतों के लिए प्रसिद्ध है. अब यह जिला “एक जिला-एक उत्पाद” पहल के तहत सफलता के नये आयाम गढ़ रहा है. केले की फसल, जो इस जिले की मूल पहचान है, अब न केवल किसानों की आय बढ़ा रही है, बल्कि एक नई उद्यम क्रांति का प्रतीक भी बन गई है.
इसी साल फरवरी में हुए “बनाना फेस्टिवल” में यहां के उद्यमियों और किसानों के बीच संवाद का परिणाम अब धरातल पर नजर आ रहा है. इसी प्रेरणा से मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के उद्यमी रितिश अग्रवाल ने “बनाना पाउडर” बनाने की यूनिट स्थापित की हैं. यह यूनिट को जिला प्रशासन और उद्यानिकी विभाग के सहयोग से खकनार के धाबा गांव में संचालित किया जा रहा है. आइए आपको बनानीफाय ब्रांडके बारे में पूरी जानकारी देते हैं और इस उत्पाद के बारे में बताते हैं.
इस नाम से शुरू किया अपना ब्रांड
“बनानीफाय” ब्रांड के नाम से तैयार किया जा रहा है. यह बनाना पाउडर शारीरिक पोषण से भरपूर है. यह बच्चों और बड़ों सभी के लिए ऊर्जा और सेहत का खजाना है. इस यूनिट में केले से तीन प्रकार का पाउडर तैयार किया जा रहा है. खाने योग्य पाउडर (केले के गूदे से), जो शुद्ध और बेहद उच्च गुणवत्ता वाला है. सादा पाउडर (केले के छिलके सहित), जो खाने योग्य है और फाइबर से भी भरपूर है. केले के छिलके से तैयार पाउडर को खाद (मैन्योर) के रूप में उपयोग किया जाएगा. इसके उपयोग से सभी प्रकार की फसलों की गुणवत्ता एवं उत्पादन मात्रा में भी सुधार होगा.”बनानीफाय” का बनाना पावडर न केवल आर्थिक समृद्धि ला रहा है, बल्कि यह एक उदाहरण है कि सही दिशा में किए गए प्रयास किस तरह से छोटे जिलों को भी अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिला सकते हैं. बुरहानपुर के मस्त केले अब सबकी जुबां पर मिठास घोल रहे हैं.
75 लाख रुपये का किया पूंजी निवेश
इस प्रोजेक्ट को “प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना” के तहत 10 लाख रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई. कुल 75 लाख रुपये पूंजी निवेश से बनी यह यूनिट एक मिसाल बन गई है. इसमें अहमदाबाद से लाई गई आधुनिक मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जो उत्पादन प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाती हैं. “बनानीफाय” ब्रांड के उत्पादों को न केवल मध्यप्रदेश बल्कि महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में भी भेजा जा रहा है. इसके 250 ग्राम और 500 ग्राम पैकेट क्रमशः 280 रुपये और 480 रुपये की कीमत पर उपलब्ध हैं.
केले का छिलका भी आता है काम
यूनिट की खासियत यह है कि यहां केले के छिलके को भी व्यर्थ नहीं जाने दिया जाता. छिलकों से बना पाउडर नर्सरियों और उद्यानिकी फसलों में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. यह पर्यावरणीय संरक्षण और कृषि उत्पादकता बढ़ाने का एक बेहतरीन उदाहरण है. नेपानगर की विधायिका मंजू दादू और कलेक्टर बुरहानपुर भव्या मित्तल द्वारा शुभारंभ की गई यह यूनिट अब न केवल बुरहानपुर के किसानों और उद्यमियों के लिए प्रेरणा बन गई है. यह यूनिट “एक जिला-एक उत्पाद” योजना की वास्तविक सफलता का प्रतीक बन गई है.