भारत में सालों पहले यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से गेहूं का आयात किया जाता था. लेकिन देश में हरित क्रांति के बाद हम अन्य फसलों के जैसे ही गेहूं का भी रिकॉर्ड उत्पादन करने लगे. आज देश में सरकार लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में अनाज बांट रही है. मिस्र, यूरोप, तुर्की जैसे देशों में हमारा देश से गेहूं और आटे का निर्यात किया जा रहा है.
आटा होगा महंगा ?
प्याज, आलू जैसी सब्जियों के दाम बढ़ने के कारण जनता परेशानी का सामना कर रही है. अब ऐसा कहा जा रहा है कि आटे के दाम (Flour Rate) बढ़ने से भी आम आदमी की जेब पर असर होगा.
क्यों बढ़ रही टेंशन
आटे आयर गेहूं के दाम बढ़ने की टेंशन इसीलिए बढ़ रही है क्योंकि गोदामों में रखा गेहूं का भंडार कम हो रहा है. देश में तीन महीने गेहूं की जरूरत करीब 138 लाख टन होती है. इतना स्टॉक भंडार में हर समय मौजूद रहना चाहिए.अप्रैल 2024 में गेहूं का सरकारी स्टॉक 75 लाख टन पहुंच गया था. जो पिछले 16 सालों का सबसे कम स्टॉक था. हालांकि इसके बाद सरकार ने भंडार भरा.
मुफ्त में अनाज बांटने के लिए करना पड़ेगा आयात?
देश में गेहूं से बने उत्पाद जैसे बिस्कुट और अन्य सामग्रियों की मांग बढ़ गई है. जिसके कारण भारी संख्या में कंपनियां सीधे किसानों से गेहूं खरीद रही हैं. अभी भी सरकारी गेहूं के स्टॉक को पूरा करने के लिए लगातार खरीदारी कर रही है. सरकारी स्टॉक में 264 लाख टन गेहूं आ चुका है. लेकिन सरकार ने 372 लाख टन का लक्ष्य रखा है.ऐसे ही हालात बने रहते हैं तो सरकार द्वारा मुफ्त में बांटे जा रहे अनाज के लिए गेहूं का आयात करना पड़ सकता है. सरकार ने गेहूं खरीदी के समय को भी बढ़ाकर 22 जून कर दिया है.भारत ने साल 2017-18 आखिरी बार ऑस्ट्रेलिया और यूक्रेन से 15 लाख टन गेहूं का आयात किया था. इसके बाद साल 2021-22, 2022-23 और 2023-24 में भारत सरकार की तरफ से क्रमश: 80 लाख टन, 55 लाख टन और 5 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया.