Home पशुपालन पांच राज्यों में बनाए जाएंगे पशु सीड विलेज,

पांच राज्यों में बनाए जाएंगे पशु सीड विलेज,

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पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान , बरेली ने अपने 2024-25 के विजन में दो बड़े फैसले शामिल किए हैं. हाल ही में संस्थान में हुई प्रसार परिषद की 25वीं बैठक के दौरान ये फैसला लिया गया है. ऐसा दावा किया जा रहा है कि देश में पहली बार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए इन चार बिन्दुाओं पर काम होगा. साथ ही इस मौके पर संस्थान के डायरेक्टर डॉ. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि भविष्य में नई शिक्षा नीति के तहत वोकेशनल और सार्टिफिकेट कोर्स का शैक्षणिक कलैण्डर बनाने, सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर इनका प्रचार-प्रसार करने का काम किया जाएगा.

विजन 2024-25 पेश करते हुए संस्थान के संयुक्त निदेशक, प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी ने बताया कि इस साल 16 इन्डस्ट्री इंटरफेस मीट, आईसीएआर कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कृषि विज्ञान केन्द, राज्य पशुपालन विभाग और औद्योगिक घरानों के साथ आयोजित की जाएंगी. वहीं 62 वोकेशनल और सार्टिफिकेट कोर्स, आठ किसान मेला, किसानों के लिए उपयोगी साहित्य, 22 प्रर्दशनी आयोजित की जायेंगी.  

वहीं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद , नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक कृषि शिक्षा डा. यूके गौतम ने आईवीआरआई द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों की तारीफ करते हुए कहा कि हमे विकसित तकनीकों को ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों किसानों तक पहुँचाना होगा. किसानों को एक ही स्थान पर तकनीकियों की जानकारी देने के लिए सिंगल विण्डो सिस्टम विकसित विकसित करने की जरूरत है. इस काम में हमारे कृषि विज्ञान केन्द्र अहम भूमिका निभाने में सक्षम साबित होंगे. 

पशुपालन के लिए एक साल में होंगे ये चार खास काम 

आईवीआरआई के डायरेक्टर डॉ. त्रिवेणी दत्त का कहना है कि पशुधन उत्पादन को बढ़ाने के लिए पांच सीड विलेज विकसित किये जायेंगे. इसके तहत बरेली में साहिवाल और रूहेलखण्ड बकरी का सीड, मुक्तेश्वर में चैगरखा बकरी का सीड, पुणे, महाराष्ट्र में उस्मानाबादी नस्ल की बकरी के सीड के विलेज बनाए जाएंगे. इतना ही नहीं पशुपालन के क्षेत्र में किसानों की भागीदारी बढ़ाने के लिए तीन कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए जाएंगे. ये एफपीओ महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बंगाल में बनाये जायेगे. साथ ही किसानों की इनकम को दोगुना करने के लिए पशुपालकों का डाटा बैंक बनाया जाएगा. 

डा. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि कहा कि डाटा बैंक बनाने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र (केवीके) की मदद ली जाएगी. हमारे पास 731 केवीके का एक बड़ा नेटवर्क है. ये सभी कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग शोध संस्थान, (अटारी) से संचालित होते हैं. इसके साथ ही प्रगतिशील किसानों का भी नेटवर्क है. केवीके और किसानों की मदद से हम संस्थान द्वारा विकसित तकनीकियों, पैकेज ऑफ प्रैक्टिस आदि को किसानों तक पहुँचा सकते हैं. 

यू-टयूब चैनल से पशुपालन सिखाएगा

इस साल के विजन में आईवीआरआई ने यू-टयूब क्लास को भी शामिल किया है. संस्थान का अपना यू-टयूब चैनल आईवीआरआई डीम्ड यूनिवसिर्टी एजुकेशनल चैनल है. यहां पर संस्थान द्वारा किसानों और पशुपालकों छोटी-छोटी वीडियों बनाकर ज्ञानवर्धक जानकारी दी जाएगी. इतना ही नहीं आल इण्डिया रेडियो के माध्यम से 30 एपिसोड वाली दो कृषि पाठशाला का आयोजन भी किया जायेगा. 

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