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बारहमासी नींबू की खेती में भारत प्रथम, खेती तैयारी कैसे करे

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बारहमासी नींबू की खेती में विश्व भर के देशो में से हमारे देश भारत का प्रथम स्थान आता है। और हमारे देश भारत के कई राज्य में बारहमासी नींबू की खेती किशान करते है।

इन में से महाराष्ट्र, आंध्रप्रेदश, राजस्थान, असम, हिमाचल प्रदेश, बिहार, एवं गुजरात इन राज्य में बारहमासी नींबू की खेती बड़े पैमाने में किशान करते है और अधिक मुनाफा भी करते है। इस के अलावा भी भारत के कई राज्य में बारहमासी नींबू की विविध किस्मे की खेती करते है।इस नींबू को अंग्रेजी में लेमान के नाम से जाना जाता है। नींबू के पौधे की डाल (साखा)पर छोटे छोटे काटे होते है। नींबू के फूल छोटे छोटे सफ़ेद रंग के होते है। इस के पौधे पर जब फूल में से फल के रुप में नींबू बनते है तब नींबू हरा रंग के होते है और बाद में पक जाने पर हरे रंग से पीले रंग के हो जाते है।

इस के पौधे की एक बार बुवाई कर के कम से कम 10 साल या 12 साल तक उपज आप प्राप्त कर शकते है। नींबू में रस भरपूर मात्रा में मौजूद होते है। और इस रस को विविध खाने की शब्जी में एवं आचार में हम उपयोग में लेते है। इन के अलावा शरबत में भी नींबू का रस उपयोग में लेते है।नींबू में विटामिन ए, विटामिन बी, और विटामिन सी, तो अधिक मात्रा में मौजूद होता है। इस लिए नींबू की मांग पुरे साल भर रहती है लेकिन जब गर्मी का मौसम आता है तब तो नींबू की मांग बढ़ती ही जाती है।गर्मी के मौसम में जब आप नींबू में से रस निकाल के शरबत बना के पीते है तब गर्मी के सामने शरीर को काफी रहत मिलती है।

नींबू का रस मानव शरीर में खुबज उपयोगी है जैसे की वजन घटा ने में, बालो की देखभाल में, त्वचा की देखभाल, गले में संक्रमण में, बुखार का इलाज में, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है, शरीर की भारी थकान में पैरो को काफी आराम मिलता है

इस के आलावा बदहजमी का इलाज, और दाँतों की देखभाल इस प्रकार मानव शरीर में की रोग एवं बीमारी में नींबू का रस खुबज उपयोगी है। इस लिए बारहमासी नींबू की खेती कर के किशान अच्छा मुनाफा के हेतु भी बारहमासी नींबू की खेती करते है।

बात करे तो बारहमासी निम्बु की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (जमीन) कैसी होनी चाहिए। बारहमासी नींबू की खेती तैयारी कैसे करे।

बारहमासी नींबू के पौधे को वातावरण एवं जलवायु केसा अनुकूल आता है। बारहमासी नींबू के प्रसिद्ध किस्मे या उन्नत किस्मे (वेराइटी) कौन कौन सी है। बारहमासी नींबू के पौधे की बुवाई कैसे की जाती है।बारहमासी नींबू की खेती में लगने वाले रोग एवं कीट कौन कौन से है और इस रोग एवं कीट उपचार या नियंत्रण कैसे करे। बारहमासी नींबू की खेती एक हेक्टर में करेतो कितनी उपज मिलती है एक साल में और कितना मुनाफा किशान पा शकते है।

प्रसिद्ध वेराइटी (किस्मे)कागजी, बारामासी, मीठा, प्रमालिनी, चक्रधर, और साई सरबती
बुवाई कब और केसे करेजुलाई, अगस्त, और फरवरी, मार्च माह में
पौधे से पौधे की दुरी10 से लेकर 15 फिट की दुरी रखे
तापमान और जलवायु25℃ से 30℃ तापमान और अर्ध शुष्क जलवायु
खाद कौन सा डालेवर्मीकम्पोस्ट, अच्छे से सड़ी गोबर
आने वाले रोग एवं कीटकाले धब्बे, सिटरस सिल्ला, सफेद धब्बे, पत्ते का सुरंगी कीट, गोंद रिसाव रोग, स्केल कीट, चेपा
एक हेक्टरमे उपजएक हेक्टर में से 300 से 350 क्विंटल लगभग उपज प्राप्त होगी।

बारहमासी नींबू की खेती उपयुक्त मिट्टी और तैयारी कैसे करे ? 

बारहमासी नींबू की खेती आम तो सभी प्रकार की मिट्टी में कर शकते है लेकिन अच्छी वृद्धि एवं अच्छी उपज के पैदावार प्राप्त करने के लिए बारहमासी नींबू की खेती ज्यादा तर बलुई दोमट मिट्टी और रेतीली मिट्टी में अच्छी वृद्धि और अधिक पैदावार देते है।

जीस मिट्टी में बारहमासी नींबू के पौधे की बुवाई या रोपाई करे वही जमीन की जल निकासी अच्छी होनी चाहिए। और उस जमीन का P.H माना 5.5 से 7.5 के बिच का होना चाहिए। ज्यादा ठंड या शर्दी के मौसम में पड़ने वाला पाला बारहमासी नींबू के पौधे को नुकशान पहुचाता है।

बारहमासी नींबू की खेती में जमीन तैयारी में एक से दो बार गहरी जुताई करनी चाहिए। आखरी जुताई से पहले वर्मीकम्पोस्ट या तो सड़ा हुआ गोबर एक हेक्टर में 12 से 15 टन डाल के अच्छे से मिट्टी में मिला देना चाहिए।

जमीन तैयारी में आप गहरी जुताई कर के पट्टा चला के जमीन को समतल कर लीजिए क्यों की ज्यादा पानी भाराव जमीन में बारहमासी नींबू के पौधे अच्छे से विकास नहीं करते और उपज भी अच्छी नहीं प्राप्त कर शकते है।

इस लिए जमीन की जल निकासी अच्छे से हो शके इस लिए पाट्टा सला के जमीन समतल अवश्य कर लेनी चाहिए। बाद में अच्छी प्रसिद्ध किस्मे की बुवाई कर शकते है।

बारहमासी नींबू की खेती में तापमान और जलवायु अनुकूल

बारहमासी नींबू की खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय दोनों मौसम में कर शकते है। बारहमासी नींबू के पौधे को 25℃ से 30℃ तापमान सब से ज्यादा अनुकूल आता है। और एक साल में बारिश 80 से 190 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

ज्यादा बारिश बारहमासी नींबू के पौधे को नुकशान पहुचाते है। और जब ज्यादा ठंड पड़ती है तब ठंड के कारण पाला भी पड़ते है वही पाला बारहमासी नींबू के पौधे की वृद्धि रोक देता है और उपज में भारी गिरावाट देखने को मिलेगी।

बारहमासी नींबू की खेतीमें अर्ध शुष्क जलवायु या तो गर्म एवं नम जलवायु खुबज अनुकूल मानी जाती है। ज्याद शर्दी वाला मौसम के ज्यादा बारिश वाला मौसम बारहमासी नींबू के पौधे के लिए अनुकूल नहीं होता है

बारहमासी नींबू की उन्नत किस्में

बारहमासी नींबू की खेती में हमारे कृषि संशोधकों द्वारा कई उन्नत किस्मे या प्रसिद्ध वेराइटी का शंसोधन किया है। इन में से कुछ नाम है। कागजी नींबू , बारामासी, मीठा नींबू , प्रमालिनी, विक्रम किस्मे का नींबू, चक्रधर, और साई सरबती इस प्रकार के नींबू के पौधे की प्रसिद्ध किस्मे है।

इन सभी किस्मे में से कागजी नींबू सब से ज्यादा लोक प्रिय किस्मे है। इस की खेती हमारे देश भारत में सब से ज्यादा की जाती है और उपज भी अच्छी प्राप्त होती है।

  • कागजी नींबू : इस किस्मे के पौधे साल भार में दो बार भारी मात्रा में उपज देते है। इस किस्मे की खेती सबसे ज्यादा हमारे देश में किशान करते है। इस किस्मे के नींबू के फल में 50% से 55% रस मौजूद होते है। और एक पौधे से 55 से 60 किलोग्राम नींबू के फल प्राप्त कर शकते है। इस का फल थोड़ा छोटा होता है।
  • बारामासी नींबू : इस किस्मे के पौधे साल भार में दो बार फल देते है। इस किस्मे के नींबू के पौधे में फल जुलाई, अगस्त, और फरवरी, मार्च, माह में आते है। इस किस्मे के पौधे से 60 से 65 किलोग्राम फम प्राप्त हो शकते है।
  • मीठा नींबू : इस किस्मे की कोई विशेष नहीं होती। इस किस्मे के नई पौधे कलम के द्वारा तैयार करते है। इस में फल की मात्रा अधिक होती है। इस के फल के उपज की बात करे तो एक पौधे से 350 से 550 किलोग्राम फल की प्राप्ती हो शक्ती है।
  • प्रमालिनी नींबू : इस किस्मे की खेती व्यपारिक रुप से की जाती है। इस के पौधे पर नींबू ज्यादा आते है। इस के उपज की बात करे तो एक पौधे से 65 से 70 किलोग्राम फल प्राप्त कर शकते है।
  • विक्रम नींबू : इस किस्मे के पौधे से फल बहुत अधिक मिलते है। इस किस्मे के पौधे में फल भारी मात्रा में मिलते है। इस किस्मे के पौधे से एक गुच्छे से 8 से 10 फल मिलते है। इस किस्मे में फल तो साल भार आते है। इस किस्मे की खेती पंजाब में बहुत किशान करते है और बारामासी के नाम से भी जानते है।
  • चक्रधर नींबू : इस किस्मे को कागजी से प्राप्त की गई किस्मे है। इस के फल के छिलके पतले होते है। और इस फल में रस की मात्रा 60% से 65% मिलती है। इस किस्मे की उपज कागजी किस्मे से अधिक आती है और इस में एसिड की मात्रा अधिक होती है
  • साई सरबती नींबू : इस किस्मे के पौधे बहुत बड़े होते है और इस में उपज भी भारी मात्रा में प्राप्त होती है। इस के आलावा इस किस्मे में रोग प्रतिकारक शक्ति बहुत ज्यादा होती है

बारहमासी नींबू की बुवाई कैसे करे ?

बारहमासी नींबू की खेती ज्यादा बारिश में नहीं करनी चाहिए। माध्यम बारिश में बारहमासी नींबू के पौधे की बुवाई करने से पौधा तेजी से विकास करता है और जैसे की जुलाई की शुरु आत में यतो सितंबर के अंत में बुवाई करनी चाहिए।

बारहमासी नींबू की बुवाई दो तरी के से कर शकते है। एक तो बीज की बुवाई कर के और नर्सरी से पौधे खरीद के। लेकिन जब बारहमासी नींबू के बीज की बुवाई करे तब वक्त ज्यादा लगता है और महेनत भी काफी लगती है। और जब पौधे की बुवाई करे तो जल्द नींबू के पौधे विकास करते है।

इस में महेनत भी कम लगती है। नर्सरी से पौधे ख़रीदे तब जांस परख के ख़रीदे और पौधा एक से डेढ़ माह के पुराने होना चाहिए। और पौधा स्वस्थ और निरोगी होना चाहिए।

बारहमासी नींबू की खेतीमें पौधे से पौधे की दुरी 10X10 या तो 15X15 रखनी चाहिए। इस के बुवाई में 60 से 70 सै.मी. चौड़ा और गहराई 55 से 65 सै.मी. रखनी चाहिए। इस खड्डे में देशी खाद में गोबर और मिट्टी में अच्छे से मिला के खड्डे को भर देना होगा और इस के खड्डे एक हेक्टर के हिसाब से 610 से 620 खड्डे कर शकते है।

बारहमासी नींबू की खेती में खरपतवार कैसे करे ?

बारहमासी नींबू की खेती में खरपतवार अच्छे से करना होगा वार्ना बिन जरूरी घास फुस बहुत उगता है। खरपतवार नियंत्रण रखना बेहद जरूती है जब खरपतवार नियंत्रण नहीं रखते तब मुख्य बागबानी में से पैदावार कम हो जाती है और उपज में भारी गिरावाट देखने को मिलेगी।

इस खरपतवार में आप खुरपी का इस्तेमाल कर शकते है और रासायनिक दवाई का भी उपयोग कर शकते है। लेकिन हमारा सुझाव है खरपतवार खुरपी से ही करे रासायनिक दवाई का उपयोग करने से जमीन का P.H मान कम हो जाता है और मुख्य फसल या बागबानी से उपज कम प्राप्त कर शकते है। इस लिए खुरपी से खरपतवार करना बेहद जरूरी है।

बारहमासी नींबू की देखभाल कैसे करे ?

बारहमासी नींबू की खेती में हम योग्य समय सिंचाई करनी चाहिए। जब बारहमासी नींबू के पौधे पर कोई रोग या कीट का अटेक दिखाई दे तब इस रोग एवं कीट नियंत्रण के लिए योग्य दवाई का छिटकाव कर के पौधे को रोग या कीट मुक्त करना चाहिए।

जब फूल फल बारहमासी नींबू में आने लगते है तब बारहमासी नींबू के पौधे को सिंचाई की आवश्कता अधिक होती है अच्छे फूल और फल की वृद्धि के लिए इस प्रकार बारहमासी नींबू की खेती में देखभाल रखनी चाहिए।

बारहमासी नींबू में सिंचाई कब करनी चाहिए ?

बारहमासी नींबू की खेती में पानी की आवश्कता बहुत कम होती है क्यों की जब पौधे की बुवाई करते है तब हलकी बारिश के कारण सिंचाई बहुत कम करनी चाहिए। बारहमासी नींबू के पौधे बड़े हो जाए और इस पौधे में फूल फल आने लगे तब सिंचाई जरूरी मात्रा में करनी चाहिए।

नींबू के फल में रस की मात्रा अधिक करने के लिए 10 से 15 दिन के अंतर में दो से तीन बार हल्की सिंचाई करनी चाहिए। जब शर्दी के मौसम है तब नींबू के पौधे को जरूरी मुजब सिंचाई करे। शर्दी के मौसम में पड़ ने वाला पाला नींबू के पौधे को बहुत हानि पहुचाता है और पोधे का विकास रूक जाता है।

बारहमासी नींबू में खाद कोन सा और कब देना चाहिए ?

बारहमासी नींबू की खेती में खाद में आप वर्मीकम्पोस्ट, सड़ा हुआ गोबर इन के आलावा नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश,S.S.P, M.O.P. जिंक, सल्फर, मिक्स माइक्रोन्यूट्रियन्स, इस प्रकार के खाद हम बारहमासी नींबू की खेती में दे शकते है।

लेकिन जब नींबू के पौधे की बुवाई करे तब एक पौधे को कम से कम 5 ऐ 6 किलोग्राम देशी खाद में गोबर के खाद देना होगा और दूसरे साल इन से दुगना और बारहमासी नींबू में जब फूल फल आने लगे तब इन के आलावा भी ऊपर दिया गई खाद दे शकते है।

बारहमासी नींबू के पौधे को साल में दो से तीन बार खाद डाल शकते है। खाद फरवरी एवं जून और सितंबर महीने में डालना चाहिए। ताकि नींबू के पौधे की अच्छी वृद्धि एवं पौधे पर लगे फूल फल की भी अच्छी विकास हो शके।

बारहमासी नींबू के पौधे को योग्य समय खाद डालने से नींबू की पैदावार में बडोतरी देखने को मिलेगी और प्रत्येक पौधे से साल में 25 से 35 किलोग्राम तक की उपज प्राप्त कर शकते है।

बारहमासी नींबू की खेती में लगने वाले रोग एवं कीट नियंत्रण

बारहमासी नींबू की खेती में जब कोई रोग या किट का अटेक हो जाए तब जल्द से जल्द योग्य दवाई का इस्तेमाल कर के इस रोग या कीट से नींबू के पौधे को मुक्त करना होगा नहीं तो पैदावार में भारी गिरावट देखने को मिलेगी और किशान को कम मुनाफा प्राप्त होगा। और भारी नुकशान होगा।

बारहमासी नींबू की खेती में कुछ इस प्रकार के रोग एवं कीट लगते है इन के नाम इस प्रकार के है काले धब्बे का रोग, सिटरस सिल्ला, सफेद धब्बे का रोग, पत्ते का सुरंगी कीट, गोंद रिसाव रोग, स्केल कीट, चेपा और मिली बग, कैंकर रोग, रस चूसने वाले की, इस रोग एवं कीट का उपचार जल्द से जल्द करना चाहिए।

  • जिंक की कमी : इस की कमी से पतों पीले रंग के और पतों पर शिरा हो जाता है। इस के कारण जड़ गलन और सखाए जाडी हो जाती है। इस की कमी से फल में वजन भी कम हो जाता है इस के नियंत्रण में आप जिंक 33% FMC कंपनीका उपयोग में ले शक्ति है इस को एक हेक्टर के हिसाब से 2 से 2.5 लीटर पानी में मिला के सिंचाई के माध्यम से पौधे को देनी चाहिए। और इस को आप छिटकाव भी कर शकते है
  • आयरन की कमी : जब बारहमासी नींबू के पौधे पर पतों पिले रंग के हो जाए तब समाज लेना आयरन की कमी है। इस के नियंतरण में आप आयरन कीलेट दे शकते है और फेरस भी दे शकते है। इस की कमी ज्यादातर मिट्टी में मौजूदा क्षार के वजे से होता है
  • काले धब्बे का रोग : इस रोग को आमतौर पर नींबू के ऊपरी हिच्छे में काले धब्बे दिखाई देते है। शुरुआत के समय में इस रोग नियंत्रण के लिए आप पानी से साफ कर के इस रोग को बढ़ने से रोक शकते है। इन के आलावा जटायू दवाई को 40 ग्राम 16 लीटर पानी में मिलके छिटकाव कर शकते है और कॉपर कॉमिक्स को 35 से 40 ग्राम 16 लीटर पानी में मिलगोल के छिटकाव करे।
  • सिटरस सिल्ला : ए एक पौधे के पतों और नई अंकुरित हुई सखा को नुकशान पहूचाता है। ए पौधे के पतों और पौधे दोनों पर एक तरल पदार्थ छोड़ता है और इस पदार्थ के कारण पौधे का छिलका और पतों भी जल जाते है। इस के कारण पतों ऊपर की दिशा में मूड जाते है और पता पौधे से पक ने से पहले जमीन पर गिर जाता है। इस के नियंत्रण के लिए पौधे की साखाओ की कटाई कर के और साखा को जला के नियंत्रण कर शकते है। इस के आलावा मोनोक्रोटोफॉस 0.025% या कार्बरिल 0.1% को 30 ग्राम 16 लीटर पानी में मिलागोल के छिटकाव करना चाहिए।
  • सफेद धब्बे का रोग : इस रोग का अटेक होने से पौधे और पतों दोनों को नुकशान पहुचाता है। इस रोग की वजे से पौधे या पतों पर सफ़ेद रंग की रुई जैसी परत दिखाई देती है। इस के कारण पौधे के पतों टेड़े मेडे हो जाते है। इस का अटेक इन के बाद फल पर भी देखा जाता है। इस रोग का अटेक दिखाई दे तब जल्द से जल्द इस रोग से ग्रसीत पतों को पोड से तोड़ के जला देना चाहिए। इन के अलाव इस रोग के नियंत्रण में आप कार्बेनडाजिम का 40 ग्राम 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना चाहिए।
  • पत्ते का सुरंगी कीट : इस कीट को ज्यादा तर नाइ पतों पर दिखाई देते है। और पतों के नीचले हिच्छे में लार्वा छोड़ देते है। इस के कारण पतों विकृत और पतों में छोटे छोटे सुरंग हो जाते है। इस किट के अटेक से पौधे की वृद्धि रुक जाती है। इस कीट नियंत्रण में आप फेरोमोंन स्टेप भी लगा के नियंत्रण कर शकते है और फासफोमिडोन 30 ग्राम या मोनोक्रोटोफॉस 20 ग्राम 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना होगा।
  • गोंद रिसाव रोग : इस रोग का अटेक तब होता है जब नींबू की खेती में ज्यादा पानी भराव हो जाये या जल निकासी अच्छे से नो हो शके तब इस रोग का अटेक होता है। ज्यादा पानी भराव स्थिती में जड़ गलन रोग भी लगते है। पौधे पीले रंग के होते है। इस रोग के नियंत्रण के लिए आप पहले तो जीस जमीन पर नींबू के पौधे बुवाई करे है वही जमीन के जल निकास की व्यवस्था अच्छे से करनी होगी इन के आलावा यूरिया खाद दाल शकते है और जमीन में 0.2 प्रतिशत मैटालैक्सिल, एमजेड-72 और 0.5 प्रतिशत ट्राइकोडरमा विराइड मिलाकर पौधों के जड़ो में सिंचाई के माध्यम से देनी चाहिए।
  • चेपा और मिली बग : इस कीट का मुख्य कार्य है पौधे में से रस चूस लेते है। इस कीट को आप पतों के अंदर दिखाई देते है। इस कीट के नियंत्रण में आप पाइरीथैरीओड्स 30 से 40 ग्राम 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव कर शकते है
  • कैंकर रोग : जब इस रोग के अटेक नींबू के पौधे में दिखाई दे तब पौधे पर स्ट्रेप्टोमाइसिल सल्फेट कि 40 ग्राम 16 लीटर पानी में मिला के 10 दिन के अंतर में दो बार छिटकाव करना होगा
  • रस चूसने वाले की :इस रोग लगने से नींबू के पौधे की सखाओ और पतों पर दिखाई देते है। इस कीट का कार्य है नई अंकुरित सखा और पतों में से रस चूस लेते है और पतों धीरे धीरे सुख के पौधे से गीर जाते है। इस के नियंत्रण में आप मोनोक्राटोफॉस को 30 ग्राम 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए।
  • जड़ गलन इस रोग का अटेक पौधे के जड़ो में होता है। इस रोग के कारण पौधे की जड़ो गल के सड़ जाती है। जब इस रोग से पौधा ग्रस्त हो जाता है तब पौधे की जड़ो कमजोर हो जाती है बाद में पौधा जमीन में से जरूती पोषक तत्व नहीं ले पाते और धीरे धीरे पौधा सूखने लगता है और एक दिन सुख के नष्ट हो जाता है। इस रोग नियंतरण के लिए कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50% WP एक हेक्टर दीठ एक किलोग्राम 400 लीटर पानी के साथ घोल मिला के पत्येक पौधे को 50 मिली ग्राम सिंचाई के माध्यम से देना चाहिए। और इस बीमारी से पौधे को मुक्त करना चाहिए

बारहमासी नींबू की खेती में उपज एवं तोड़ाई कब करे ?

बारहमासी नींबू की खेती में नींबू को हम खाने पीने में उपयोग में लेते हे इस के आलावा सौंदर्य में और कई रोग एवं बीमारी के दवाई के रुप में भी इस्तेमाल करते है। उपज की बात करे तो अगर आप ने एक हेक्टर में नींबू की खेती की है तो आप 610 से 620 पौधे लगा शकते है।नींबू के पत्येक पौधे एक साल में कम से कम 50 से लेकर 60 किलोग्राम तक का उपज देते है। आज के बाजार भाव 20 से केलर 70 रुपए एक किलोग्राम के हिसाब में मिलते है। और। इस भाव के हिसाब से साल भार में किशान बारहमासी नींबू की खेती कर के एक साल में 5.5 से लेकर 6.5 लाख की कमाई कर शकते है।बारहमासी नींबू की खेती में तोड़ाई पूरा साल भार रहती है। इस के पौधे साल भार तोड़ाई देते रहते है।

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