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क्यों आसमान पर पहुंची भारतीय केसर की कीमत

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सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में भारत के कुछ जानी-मानी मसाला कंपनियों के मसालों की बिक्री पर रोक लगा दी है। लेकिन एक भारतीय मसालों की पूरी दुनिया में धूम मची है। हम बात कर रहे हैं केसर की जिसकी खुदरा कीमत 4.95 लाख रुपये पहुंच चुकी है। पश्चिम एशिया में चल रहे भू-राजनीतिक तनाव के कारण ईरान से केसर की आपूर्ति में भारी कमी आई है। इससे भारतीय केसर उत्पादकों और व्यापारियों की चांदी हो रही है। जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों में केसर उगाई जाती है। जानकारों के मुताबिक भारतीय केसर की कीमतों में पिछले महीने थोक बाजार में 20% से अधिक और खुदरा दुकानों में लगभग 27% की बढ़ोतरी हुई है। केसर दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक है।

  

जानकारों के मुताबिक सबसे अच्छी क्वालिटी का भारतीय केसर थोक बाजार में 3.5-3.6 लाख रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है। पश्चिम एशिया में ताजा संघर्ष शुरू होने से पहले इसकी कीमत 2.8-3 लाख रुपये प्रति किलो थी। खुदरा बाजार में इसकी कीमत 4.95 लाख रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच चुकी है। शुक्रवार को सोने की कीमत 72,633 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। इस हिसाब से एक किलो केसर की कीमत करीब 70 ग्राम सोने के बराबर है। ईरान में सालाना करीब 430 टन केसर का उत्पादन होता है, जो वैश्विक उत्पादन का 90% है। केसर अपने खास तरह के स्वाद के लिए जाना जाता है। इसका इस्तेमाल खाने, सौंदर्य प्रसाधनों और दवाओं में किया जाता है।

उत्पादन में भारी गिरावट

श्रीनगर में अमीन-बिन-खालिक कंपनी के मालिक नूर उल अमीन बिन खालिक ने कहा, ‘वैश्विक बाजारों में ईरान की अनुपस्थिति ने भारतीय केसर की कीमतों को बढ़ा दिया है। भारत भी ईरान से केसर का आयात करता है। भू-राजनीतिक तनाव शुरू होने के बाद उसमें भी कमी आई है। कीमतें लगभग हर दिन बढ़ रही हैं।’ कश्मीरी केसर को बेहतरीन गुणवत्ता वाला माना जाता है। इसे 2020 में जीआई टैग मिला था। हालांकि राज्य में इसका उत्पादन 3 टन भी नहीं हो रहा है। यह 13 साल पहले के उत्पादन के एक तिहाई से भी कम है जबकि इसकी सालाना मांग 60-65 टन है।

चेन्नई स्थित Bell Saffron के सह-संस्थापक नीलेश पी मेहता ने कहा कि उन्होंने केसर की कीमतों में इतनी तेजी कभी नहीं देखी। मेहता का परिवार 50 साल से भी ज़्यादा समय से इस कारोबार में है। उन्होंने कहा, ‘मध्य पूर्व में तनाव और कम उत्पादन के कारण केसर की कीमतों पर असर पड़ा है। साथ ही, जीआई टैग की वजह से भारतीय केसर दुनिया के बाजारों में महंगा हो गया है। भारत संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल और कनाडा को केसर भेजता है। केसर के एक ग्राम में 160-180 फूलों से लिए गए रेशे होते हैं। पौधे उगाने और उनकी कटाई में बहुत मेहनत लगती है पंपोर जिले के अलावा, केसर बडगाम और श्रीनगर के बाहरी इलाकों और जम्मू के किश्तवाड़ जिले में भी उगाया जाता है। फसल वर्ष अक्टूबर में शुरू होता है।

क्यों गिरा प्रॉडक्शन

पिछले कुछ सालों में केसर का उत्पादन घटता जा रहा है। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने फरवरी में जम्मू-कश्मीर के वित्तीय आयुक्त (राजस्व) के कार्यालय के अनुमानों का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र शासित प्रदेश का केसर उत्पादन 2010-11 में 8 टन से घटकर 2023-24 में 2.6 टन रह गया है, जो लगभग 67.5% की गिरावट है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि 2022-23 से 2023-24 तक केसर उत्पादन में मामूली रूप से 4% की वृद्धि हुई है।’ ट्रेड से जुड़े अधिकारियों केसर उत्पादन में गिरावट के लिए पंपोर में लगी नई सीमेंट फैक्ट्रियों को जिम्मेदार ठहराया। धूल और प्रदूषण से नाजुक फूलों को नुकसान पहुंचता है और आस-पास के इलाकों में फसल उगाना अब संभव नहीं है। इससे मात्रा और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ता है।

केसर कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि आस-पास के इलाकों के किसानों ने या तो अपनी संपत्ति इन बिजनेसेज को बेच दी है या उन्हें बंजर छोड़ दिया है। अनियमित मौसम की स्थिति चिंता को और बढ़ा देती है।
कश्मीर घाटी में केसर की कई किस्में उपलब्ध हैं। इनमें मोंगरा भी शामिल है, जो सबसे गहरे रंग का होता है और खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर है। लाचा किस्म में लाल और पीले दोनों भाग होते हैं। जर्दा, केसर की एक और किस्म है। इसका इस्तेमाल फेस पैक, ब्यूटी क्रीम और मॉइस्चराइजर में किया जाता है।

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