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आज की 10 बड़ी खबरें…मध्य प्रदेश में लगातार बारिश… लाड़ली बहनों को तोहफा…. सोयाबीन समृद्ध खेती…. किसानों को मुआवजा

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मध्य प्रदेश में लगातार हो रही बारिश, पुलिस हाई अलर्ट पर

भोपाल: मध्यप्रदेश में लगातार हो रही बरसात के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय द्वारा सभी पुलिस अधीक्षकों को पूरी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं, वहीं आमजन से पुलिस ने अपील की है कि अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए एडवायजरी का पालन गंभीरता से करें।  पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जलभराव के संभावित स्थल, पुल-पुलिया, रपटों, प्राकृतिक झरनों एवं पिकनिक स्थलों पर पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए तथा किसी भी व्यक्ति को जोखिम भरा दुस्साहस न करने दिया जाए। जहां भी पुल-पुलियों, रपटों पर पानी का बहाव हो, वहां पर आवाजाही पूरी तरह रोकना सुनिश्चित किया जाए।

 24 घंटे कार्यशील मॉनिटरिंग कक्ष

पुलिस मुख्यालय के निर्देशों के अनुसार प्रदेश के सभी जिलों में जिला स्तरीय पुलिस बाढ़ नियंत्रण/मॉनिटरिंग कक्ष की स्थापना की गई है जो आपदा के समय 24 घंटे कार्यशील है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी प्रभारी अधिकारी (नोडल अधिकारी) नियुक्त किए गए हैं। बाढ़ के समय बचाव कार्य हेतु जिला पुलिस बल एवं होमगार्ड के तैराकों / बाढ़ राहत कार्य के लिए प्रशिक्षित जवानों की सूची तैयार है तथा सभी को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जिससे विपदा के समय उनका उपयोग किया जा सके।  इसी तरह तहसील मुख्यालय के थानों पर भी आवश्यकतानुसार बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है।

 
बाढ़ की सूचना तत्काल थानों/चौकियों को दिए जाने के निर्देश

जिले में बांधों से छोड़े जाने वाले पानी के संबंध में 24 घंटे पूर्व प्रभावित ग्रामों के लोगों को ग्राम कोटवार, नगर/ग्राम रक्षा समिति के सदस्यों के माध्यम से अलर्ट किए जाने के निर्देश दिए गए हैं, वहीं ग्राम कोटवार को वर्षा के दौरान ऐसे नाले, नदियों, पुल एवं रपटों जिन पर बाढ़ आती है, इन पर निगाह रखने एवं बाढ़ की स्थिति होने पर क्षेत्रीय थानों/पुलिस चौकियों को तत्काल जानकारी देने हेतु पाबंद किया गया है। वर्षा के दौरान जिला स्तरीय मौसम विभाग के कार्यालय से सतत संपर्क रखकर वर्षा की स्थिति और संभावित अतिवृष्टि की स्थिति के संबंध में समय पूर्व जानकारी प्राप्त कर लोगों को सतर्क कर सुरक्षात्मक कदम उठाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश के रेल मार्गों की स्थिति की जानकारी निरंतर प्राप्त करने और अतिवृष्टि व बाढ़ से रेल मार्ग अवरूद्ध होने पर आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए गए हैं। विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर समस्त संसाधनों की व्यवस्था कर अतिवृष्टि एवं बाढ़ की स्थिति में आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिए गए हैं।

इन जिलों में बरती जा रही विशेष सतर्कता

प्रदेश में हो रही भारी बारिश को देखते हुए सीहोर, रायसेन, विदिशा, राजगढ़, श्योपुर, अशोकनगर, मंडला, डिंडौरी, सिंगरौली में विशेष हाई अलर्ट है। इन जिलों में कई मार्ग भारी वर्षा के कारण बंद कर दिए गए हैं। अतिवृष्टि से आपदा की स्थिति में जिला पुलिस बल एवं होमगार्ड के तैराकों / बाढ़ राहत कार्य के लिए प्रशिक्षित जवानों को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। सभी विभागों से समन्वय बनाकर व्यवस्थाएं चाक-चौबंद हैं।

गोकुल मिशन और पशुधन स्वास्थ्य योजना के तहत कई कदम

 भारत सरकार का पशुपालन एवं डेयरी विभाग दूध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत देशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए कई योजनाएँ लागू की जा रही हैं।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत उठाए गए कदम:

  1. कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: 50 प्रतिशत से कम कवरेज वाले जिलों में कृत्रिम गर्भाधान कवरेज बढ़ाने के लिए देशव्यापी कार्यक्रम का कार्यान्वयन।
  2. इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक (आईवीएफ): गोजातीय पशुओं के तीव्र आनुवंशिक उन्नयन के लिए त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम।
  3. लिंग-विभेदित वीर्य का उपयोग: 90 प्रतिशत से अधिक सटीकता के साथ मादा बछड़ों के उत्पादन के लिए त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम।
  4. संतान परीक्षण और वंशावली चयन कार्यक्रम: उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों के उत्पादन के लिए।
  5. कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों (मैत्री): ग्रामीण भारत में किसानों के घरों तक गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं की डिलीवरी।
  6. नस्ल गुणन फार्म की स्थापना: उद्यमिता के विकास और रोग मुक्त बछिया उपलब्ध कराने के लिए।

पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी): इस योजना का उद्देश्य पशुओं की बीमारियों के मुकाबले रोगनिरोधी टीकाकरण, पशु चिकित्सा सेवाओं की क्षमता निर्माण, रोग निगरानी और पशु चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करके पशु स्वास्थ्य के लिए जोखिम को कम करना है। इसमें शामिल प्रमुख गतिविधियाँ:

समर्थित प्रमुख गतिविधियों में शत-प्रतिशत केंद्रीय सहायता से खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर) और क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) के खिलाफ टीकाकरण, राज्य को पशु रोग नियंत्रण के लिए सहायता (एएससीएडी) शामिल हैं, जो राज्य की प्राथमिकता वाले आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण विदेशी, आकस्मिक और जूनोटिक पशु रोगों के नियंत्रण के लिए है, जिसमें केंद्र और राज्य के बीच 60:40 का वित्त पोषण पैटर्न है; इसके अतिरिक्त, पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना एवं सुदृढ़ीकरण (ईएसवीएचडी-एमवीयू) घटक के अंतर्गत, मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) की खरीद और अनुकूलन के लिए शत-प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में आवर्ती परिचालन व्यय; अन्य राज्यों के लिए 60 प्रतिशत और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए शत-प्रतिशत सहायता प्रदान की जाती है, ताकि किसानों के घरों तक टोल-फ्री नंबर (1962) से मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) के द्वारा पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें, जिसमें रोग निदान, उपचार, टीकाकरण, मामूली सर्जिकल उपायों, दृश्य-श्रव्य सहायता और विस्तार सेवाएं शामिल हैं।

राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत पशु आहार और चारा आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ाने के कदम:

  • चारा बीज उत्पादन: उच्च उपज वाली चारा किस्मों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 100 प्रतिशत प्रोत्साहन।
  • उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी): कुल मिश्रित राशन (टीएमआर), चारा ब्लॉक, साइलेज और सूखी घास तैयार करने के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना हेतु 50 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी के रूप में वित्तीय सहायता।
  • पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ): देश में पशु आहार, कुल मिश्रित राशन, साइलेज, बाईपास प्रोटीन, खनिज मिश्रण, आहार अनुपूरक और आहार प्रीमिक्स के बड़े पैमाने पर उत्पादन को समर्थन प्रदान करना।

सोयाबीन की समृद्ध खेती: बरसात में कीट और बीमारियों से बचाव के टिप्स

मध्य भारत में लगातार बारिश और बूंदाबांदी हो रही है, जिसके कारण सोयाबीन की फसल पर हानिकारक कीटों और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इन परिस्थितियों को देखते हुए, भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सलाह जारी की है, जो फसल की सुरक्षा और उत्पादन बढ़ाने में सहायक होंगी।

1. चने की इल्ली (ग्राम पॉड बोरर) का प्रकोप

मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में चने की इल्ली (ग्राम पॉड बोरर) का प्रकोप देखा गया है। इसके नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव करें: इंडोक्साकार्ब 15.80% EC का 333 मिली/हेक्टेयर का छिड़काव करें। इसके लिए वैकल्पिक कीटनाशक है एमामेक्टिन बेंजोएट 01.90% EC का 425 मिली/हेक्टेयर या ब्रोफ्लानिलाइड 300 g/l SC का 42-62 ग्राम/हेक्टेयर या फ्लूबेंडियमाइड 39.35% w/w SC का 150 मिली/हेक्टेयर और नोवालूरॉन 05.25% + इंडोक्साकार्ब 04.50% SC का 825-875 मिली/हेक्टेयर  छिड़काव करें।

2. बिहार हेरी कैटरपिलर का नियंत्रण

बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप होने पर झुण्ड में रहने वाली इन इल्लियो को प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे सहित खेत से निष्कासित करें।

इस कीट के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का उपयोग करें: फ्लूबेंडियमाइड 39.35% w/w SC का 150 मिली/हेक्टेयर या एमामेक्टिन बेंजोएट 01.90% EC का 425 मिली/हेक्टेयर या ब्रोफ्लानिलाइड 300 g/l SC का 42-62 ग्राम/हेक्टेयर, और स्पिनोटेरम 11.7 SC का 450 मिली/हेक्टेयरछिड़काव करें।  

3. चक्र भृंग का नियंत्रण

सोयाबीन की फसल घनी होने पर फसल में चक्र भृंग (गिर्डल बीटल) का प्रकोप अधिक होने की संभावना होती है। इसके लिए प्रारंभिक अवस्था में ही (एक सप्ताह के अंदर) दो रिंग दिखाई देने वाली ऐसी मुरझाई/लटकी हुई ग्रसित पत्तियों को तने से तोड़कर जला दे या खेत से बाहर करे।

प्रभावित पौधों को नष्ट करें और और निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव करें: थियाक्लोप्रिड 21.7 S.C. का 750 मिली/हेक्टेयर या एमामेक्टिन बेंजोएट 01.90% EC का 425 मिली/हेक्टेयर, आईसोसाइकलोसेराम 9.2% W/W DC (10% W/V) DC का 600 मिली/हेक्टेयर, कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड 04% + फिप्रोनिल 00.50% CG का 200 मिली/हेक्टेयर, एसिटामिप्रिड 25% + बाइफेंथ्रिन 25% WG का 250 ग्राम/हेक्टेयर, टेट्रानिलिप्रोल 18.18 SC का 250-300 मिली/हेक्टेयर, प्रोफेनोफोस 50 E.C. का 1 लीटर/हेक्टेयर, और क्लोरानट्रानिलिप्रोल 18.50% SC का 150 मिली/हेक्टेयर छिड़काव करें।                          

4. तना मक्खी का नियंत्रण

तना मक्खी के नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि लक्षण दिखाई देने पर तुरंत पूर्वमिश्रित कीटनाशक आइसोसायक्लोसरम 9.2WW.DC (10% W/V)DV @600 मिली/हेक्टेयर या थायमेथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहलोथ्रिन 09.50% ZC @125 मिली/हेक्टेयर या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) या इंडोक्साकार्ब 15.80% EC (333 मिली/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।

15-20 दिनों की अवधि वाली फसल में किसानों को पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा हेतु फूल आने से 4-5 दिन पहले तक क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 SC. @ 150 मिली/हेक्टेयर का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। इससे अगले 30 दिनों तक पत्ती खाने वाले कीटों पर नियंत्रण में मदद मिलती है।

5. सेमीलूपर इल्ली का नियंत्रण

इसके नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव करें: क्लोरानट्रानिलिप्रोल 18.5% SC का 150 मिली/हेक्टेयर, एमामेक्टिन बेंजोएट 01.90% EC का 425 मिली/हेक्टेयर, ब्रोफ्लानिलाइड 300 g/l SC का 42-62 ग्राम/हेक्टेयर, फ्लूबेंडियमाइड 20% WG का 250-300 ग्राम/हेक्टेयर, फ्लूबेंडियमाइड 39.35% w/w SC का 150 मिली/हेक्टेयर, एसिटामिप्रिड 25% + बाइफेंथ्रिन 25% WG का 250 ग्राम/हेक्टेयर, इंडोक्साकार्ब 15.80% EC का 333 मिली/हेक्टेयर, लैम्ब्डा-साइहैलोथ्रिन 04.90% CS का 300 मिली/हेक्टेयर, प्रोफेनोफोस 50% EC का 1 लीटर/हेक्टेयर, टेट्रानिलिप्रोल 18.18 SC का 250-300 मिली/हेक्टेयर, प्री-मिक्स्ड  बेटा-साइफ्लुथ्रिन 08.49% + इमिडाक्लोप्रिड  19.81% w/w OD का 350 मिली/हेक्टेयर, नोवालूरॉन + इंडोक्साकार्ब 04.50% SC का 825-875 मिली/हेक्टेयर, थायामेथोक्साम 12.60% + लैम्ब्डा-साइहैलोथ्रिन 09.50% ZC का 125 मिली/हेक्टेयर, और क्लोरानट्रानिलिप्रोल 09.30% + लैम्ब्डा-साइहैलोथ्रिन 04.60% ZC का 200 मिली/हेक्टेयर छिड़काव करें। 

6. तंबाकू कैटरपिलर (स्पोडोप्टेरा लिटुरा) का नियंत्रण

इसके नियंत्रण के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव करें: एमामेक्टिन बेंजोएट 01.90% EC का 425 मिली/हेक्टेयर, ब्रोफ्लानिलाइड 300 ग्राम/हेक्टेयर SC का 42-62 ग्राम/हेक्टेयर, एसिटामिप्रिड 25% + बाइफेंथ्रिन 25% WG का 250 ग्राम/हेक्टेयर, फ्लूबेंडियमाइड 20% WG का 250-300 ग्राम/हेक्टेयर, फ्लूबेंडियमाइड 39.35% w/w SC का 150 मिली/हेक्टेयर, इंडोक्साकार्ब 15.80% EC का 333 मिली/हेक्टेयर, टेट्रानिलिप्रोल 18.18 SC का 250-300 मिली/हेक्टेयर, स्पिनोटेरम 11.7 SC का 450 मिली/हेक्टेयर, और नोवालूरॉन + इंडोक्साकार्ब 04.50% SC का 825-875 मिली/हेक्टेयर छिड़काव करें।      

7. कीटों पर संयुक्त नियंत्रण

आपकी फसल में सेमीलूपर या चने की इल्ली या तम्बबाकू की इल्ली में से कोई एक या एक साथ तीनो पाए जाने पर नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिड़काव करें : ब्रोफ्लानिलाइड 300 g/l SC का 42-62 ग्राम/हेक्टेयर, फ्लूबेंडियमाइड 39.35% w/w SC का 150 मिली/हेक्टेयर, इंडोक्साकार्ब 15.80% EC का 333 मिली/हेक्टेयर, और नोवालूरॉन + इंडोक्साकार्ब 04.50% SC का 825-875 मिली/हेक्टेयरछिड़काव करें।

जिन क्षेत्रों में पत्ती खाने वाले कीटों के साथ-साथ सफेद मक्खी और तना छेदक कीटों का एक साथ प्रकोप हो, वहां फसल पर थियामेथोक्सम + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन (125 मिली/हेक्टेयर) या बीटासिफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) या एसिटामिप्रिड 25% + बिफेन्थ्रिन 25% डब्ल्यूजी (250 ग्राम/हेक्टेयर) या क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 09.30% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 04.60% जेडसी (200 मिली/हेक्टेयर) जैसे पूर्व मिश्रित फार्मूलों में से किसी एक का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

8. येलो मोज़ेक वायरस (YMV)/सोयाबीन मोज़ेक वायरस (SMV) का नियंत्रण

पीला मोज़ेक/सोयाबीन मोज़ेक रोग के नियंत्रण के लिए किसानों को प्रभावित पौधे/भाग को उखाड़ने/नष्ट करने और एसेटामिप्रिड 25% + बाइफेंथ्रिन 25% WG (250 ग्राम/हेक्टेयर) का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। वैकल्पिक रूप से, आप थायमेथोक्सम + लैम्ब्डा सायहलोथ्रिन (125 मिली/हेक्टेयर) या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) में से किसी एक को भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण भी किया जा सकता है।

9. एंथ्रेक्नोज रोग नियंत्रण

लगातार बारिश की स्थिति में एन्थ्रेक्नोज रोग का संक्रमण हो सकता है। किसानों को नियमित अंतराल पर अपनी फसल की निगरानी करने और लक्षण दिखाई देने के तुरंत बाद टेबुकोनाज़ोल 25.9 EC (625 मिली/हेक्टेयर) या टेबुकोनाज़ोल 38.39 SC (625 मिली/हेक्टेयर) या टेबुकोनाज़ोल 10%+सल्फर 65% WG (1.25 किलोग्राम/हेक्टेयर) या कार्बेन्डाजिम 12%+मेंकोज़ेब 63% WP (1.25 किलोग्राम/हेक्टेयर) का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

10. रिजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट

किसानों को राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट के लक्षण दिखाई देने पर अनुशंसित फफूंदनाशकों जैसे कि पाइरोकलोस्ट्रोबिन 20% WG (375-500 ग्राम/हेक्टेयर) का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

किसानों को मिला 71 करोड़ रुपए से अधिक का मुआवजा

 प्रदेश में बाढ़ की वजह से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रदेश सरकार ने अब तक 150 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि जारी की है। यह धनराशि क्षतिग्रस्त फसलों को मुआवजा देने के लिए जिलों की डिमांड पर जारी की गई है। इसके साथ ही अब तक सवा लाख से अधिक किसानों को उनकी क्षतिग्रस्त फसलों के लिए 71 करोड़ रुपए से अधिक का मुआवजा दिया जा चुका है।

इसमें सबसे अधिक लखीमपुर खीरी के 70 हजार से अधिक किसानों को 47 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। राहत आयुक्त जी एस नवीन ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश के बाढ़ ग्रस्त इलाकों में लगातार क्षतिग्रस्त फसलों का सर्वे किया जा रहा है, ताकि किसानों को समय से मुआवजा दिया जा सके। उन्होंने बताया कि नेपाल और पहाड़ी क्षेत्रों से छोड़े गए पानी से प्रदेश के 18 जिलों की 82126.50 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई। वहीं सर्वे के दौरान वास्तविक क्षतिग्रस्त फसल 29,243.74 हेक्टेयर पायी गयी।

सरकार की ओर से बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और बाढ़ से क्षतिग्रस्त 33 प्रतिशत से अधिक फसल के नुकसान पर ही मुआवजा दिया जाता है। उन्होंने बताया कि बाढ़ से एक लाख 57 हजार 444 किसानों की फसल प्रभावित हुई है। इसके सापेक्ष अब तक 1 लाख 25 हजार 521 किसानों को 71.01 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। वहीं बचे हुए किसानों की फीडिंग का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। लखीमपुर के अलावा सिद्धार्थनगर के 15 हजार 478 किसानों को 7 करोड़ 70 लाख रुपये और हरदोई के 14 हजार 673 किसानों को 5.42 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जा चुका है। 

राहत आयुक्त ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर बाढ़ प्रभावित इलाकों में क्षतिग्रस्त फसलों के किसानों की लिस्ट तहसीलों पर चस्पा करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही तहसील में एक तय दिन किसानों के नाम एनाउंस किये जाएंगे। इस दौरान जिन किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया है, उन्हें वजह भी बताई जाएगी।

मध्यप्रदेश के  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने किए ये अहम ऐलान

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश में संभाग स्तर पर हाईटेक नर्सरियां स्थापित करने और स्व-सहायता समूहों के गठन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग का बजट बढ़ाने और बाजार की मांग के अनुसार गतिविधियां संचालित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस दिशा में हॉर्टिकल्चर प्रमोशन एजेंसी स्थापित कर समय-सीमा व रोडमैप निर्धारित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश मसालों के उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है, इसलिए प्रदेश में मसालों की अलग  मंडी विकसित की जानी चाहिए। साथ ही, संतरा, केला, पान, लहसुन आदि की राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पहचान स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। वृक्षारोपण अभियान में फलदार पौधों के लगाने को भी प्रोत्साहित किया जाए।

डॉ. यादव ने कहा कि किसान की मेहनत और निवेश का पूरा लाभ मिलना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में उन्हें नुकसान नहीं उठाना पड़े। इसके लिए जिला स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए। उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वालों को शासकीय कार्यक्रमों में सम्मानित किया जाए और उनकी उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाए।

बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश संतरा, टमाटर, धनिया, लहसुन और मसाला उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत प्रदेश में 18 लाख फलदार पौधे लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री ने आर्गेनिक प्रोडक्शन, डीहाइड्रेशन प्लांट और गामा रेडिएशन जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए।

डॉ. यादव ने उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग की समीक्षा बैठक में कहा कि इन गतिविधियों से किसानों और उद्योगपतियों दोनों को बड़ा फायदा होगा। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के सभी जिलों में उद्यमिता और औद्योगिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। बैठक में मंत्री श्री नारायण सिंह कुशवाहा, मुख्य सचिव श्रीमती वीरा राणा, अपर मुख्य सचिव श्री राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव वित्त श्री मनीष सिंह, प्रमुख सचिव श्री सुखवीर सिंह तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

10 अगस्त को लाड़ली बहनों के खातों में आएंगे 1500 रुपये

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने चित्रकूट में लाड़ली बहना उत्सव का शुभारंभ करते हुए घोषणा की कि प्रदेश की सभी लाड़ली बहनों को 10 अगस्त को उनके खातों में 1250 रुपये और रक्षाबंधन के उपहार के रूप में अतिरिक्त 250 रुपये प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन का त्यौहार तो 19 अगस्त को मनाया जायेगा। लेकिन पूरे सावन हम त्यौहार मनायेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि “बहनें प्रेम के साथ भाईयों को राखी बांधकर स्नेह देती है। आज बहनों ने विशाल राखी बांधकर पहले ही मुझे रक्षाबंधन का आनंद दे दिया है। हमारे देश के त्यौहार और पर्व एक-दूसरे को आपस में जोड़ते है। पूरी दुनिया भारत के पर्व को देखकर दंग रहती है। हमारे ऋषियों ने समाज में प्रेम और सदभाव बनाये रखने के लिए हजारो वर्ष पूर्व त्यौहार की परंपरा शुरू की थी।“ कार्यक्रम में लाड़ली बहनों ने 30 फीट लम्बी राखी मुख्यमंत्री को सौंपी। बहनों ने मुख्यमंत्री को स्थानीय बोली बघेली में लिखी ‘आभार स्नेह पाती’ भी भेंट की।

मुख्यमंत्री ने चित्रकूट को भगवान राम और नानाजी देशमुख की तपोभूमि बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र के चहुँमुखी विकास के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। लाड़ली बहना योजना और उज्ज्वला योजना के तहत लाभान्वित बहनों को 450 रुपये में गैस सिलेंडर दिया जाएगा। साथ ही, रीवा में जल्द ही रीजनल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जाएगा, जिससे क्षेत्रीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने “एक पेड मां के नाम” अभियान के तहत दीनदयाल शोध संस्थान के उद्यमिता परिसर में फलदार पौधे भी रोपित किए और 131 करोड़ रुपये की लागत के निर्माण कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण किया। उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना, प्रधानमंत्री मातृ-वंदना योजना, और मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के हितग्राहियों को भी लाभान्वित किया।

समारोह में, मुख्यमंत्री ने सावन उत्सव पर सजाए गए झूलों के पास जाकर लाड़ली बेटियों से बातचीत की और उपहार दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव लाड़ली बहनों के अभिनंदन से भाव-विभोर हो गये और उन्होंने संबोधन के प्रारंभ में “फूलो का तारो का, सबको कहना है….. एक हजारों में मेरी बहना है।” गीत का सस्वर गायन किया।

नगरीय विकास एवं आवास राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिमा बागरी ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि लाड़ली बहना योजना के तहत राखी के त्योहार के लिए 250 रुपये का उपहार दिया जा रहा है। सांसद श्री गणेश सिंह ने कहा कि इस योजना की पूरे देश में चर्चा है और मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश सरकार इसे पूरी दृढ़ता से लागू कर रही है।  उन्होंने कहा की सतना जिले की 3 लाख 84 हजार 259 बहनों को लाड़ली बहना योजना से 9 करोड़ 61 लाख रूपये की राशि उनके बैंक खातों में दी गई है।

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारत की कृषि प्रगति पर की चर्चा

 केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में कृषि और किसान संबंधी कामकाज पर एक महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि एनडीए की सरकार खेती के लिए एक स्पष्ट रोडमैप बनाकर काम कर रही है और किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

असंभव को संभव बनाना

श्री चौहान ने कहा कि उनकी सरकार ने असंभव को संभव करके दिखाया है। उन्होंने मध्यप्रदेश में नर्मदा-क्षिप्रा रिवर लिंकिंग परियोजना का उदाहरण दिया और बताया कि कैसे 20 लाख एकड़ जमीन में सिंचाई हो रही है। उन्होंने कहा कि सिंचाई उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता है और केन-बेतवा परियोजना को भी स्वीकृति मिल चुकी है।

फसल बीमा योजना में बदलाव

श्री चौहान ने कहा कि मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की जिससे किसानों को राहत मिली है। उन्होंने कहा कि 2023-24 में 8 करोड़ 69 लाख आवेदन आए हैं, जबकि कांग्रेस के समय पर लागू फसल बीमा के तहत केवल 3 करोड़ 51 लाख आवेदन आते थे। उन्होंने अऋणी किसानों पर अपनी बात रखते हुए कहा की “वहीं, कांग्रेस के समय पर केवल 20 लाख अऋणि किसान बीमा करवाते थे और अब 5 करोड़ 48 लाख आए हैं।“

दलहन-तिलहन के उत्पादन में वृद्धि

उन्होंने कहा कि सरकार ने सिंचाई के अच्छे प्रयास किए हैं और उत्तम बीज तैयार किए हैं और जानकारी दी की सरकार 109 नए बीज जारी करने वाली है। जलवायु अनुकूल बीज और बेहतर सिंचाई के माध्यम से कृषि उत्पादन में वृद्धि हो रही है। खाद्यान्न उत्पादन की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया की वर्ष 2023-24 में खाद्यान का उत्पादन 329 मिलियन टन और बागवानी का उत्पादन 352 मिलियन टन तक पहुंच गया है।

यूरिया और डीएपी पर सब्सिडी

श्री चौहान ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों को सस्ता खाद उपलब्ध कराया है। उन्होंने बताया कि सरकार 2366 रुपए का यूरिया किसानों को 266 रुपए में देती है और डीएपी का बैग 2433 रुपए की बजाय 1350 रुपए में मिल रहा है।

भारत का बासमती राइस का निर्यात

धान के निर्यात पर श्री चौहान ने बताया कि भारत का बासमती राइस कनाडा और अमेरिका में धूम मचा रहा है। उन्होंने कहा कि 46 हजार करोड़ रुपए का बासमती राइस एक्सपोर्ट किया गया है। उन्होंने आगे कहा की “जब बाजार में किसान को फसलों के अच्छे दाम मिलेंगे, तो वह एमएसपी पर अपनी फसल क्यों बेचेगा।”

खेती के 6 प्रमुख सूत्र

श्री चौहान ने बताया कि NDA सरकार की कृषि नीति के 6 प्रमुख उद्देश्य हैं: उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, उत्पादन के उचित दाम देना, प्राकृतिक आपदा में किसानों को राहत राशि देना, कृषि का विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना। इन्ही सूत्रों पर आगे अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा की खेती में वैल्यू एडिशन और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी धरती सुरक्षित रहे, इसलिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार, एनडीए की सरकार खेती का रोडमैप बनाकर काम कर रही है।

शिवराज सिंह चौहान का राज्यसभा में जोरदार बयान

केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में कृषि और किसान संबंधी कामकाज पर एक महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि एनडीए की सरकार खेती के लिए एक स्पष्ट रोडमैप बनाकर काम कर रही है और किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

श्री चौहान ने कहा कि उनकी सरकार ने असंभव को संभव करके दिखाया है। उन्होंने मध्यप्रदेश में नर्मदा-क्षिप्रा रिवर लिंकिंग परियोजना का उदाहरण दिया और बताया कि कैसे 20 लाख एकड़ जमीन में सिंचाई हो रही है। उन्होंने कहा कि सिंचाई उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता है और केन-बेतवा परियोजना को भी स्वीकृति मिल चुकी है।

फसल बीमा योजना में बदलाव

श्री चौहान ने कहा कि मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की जिससे किसानों को राहत मिली है। उन्होंने कहा कि 2023-24 में 8 करोड़ 69 लाख आवेदन आए हैं, जबकि कांग्रेस के समय पर लागू फसल बीमा के तहत केवल 3 करोड़ 51 लाख आवेदन आते थे। उन्होंने अऋणी किसानों पर अपनी बात रखते हुए कहा की “वहीं, कांग्रेस के समय पर केवल 20 लाख अऋणि किसान बीमा करवाते थे और अब 5 करोड़ 48 लाख आए हैं।“

दलहन-तिलहन के उत्पादन में वृद्धि

उन्होंने कहा कि सरकार ने सिंचाई के अच्छे प्रयास किए हैं और उत्तम बीज तैयार किए हैं और जानकारी दी की सरकार 109 नए बीज जारी करने वाली है। जलवायु अनुकूल बीज और बेहतर सिंचाई के माध्यम से कृषि उत्पादन में वृद्धि हो रही है। खाद्यान्न उत्पादन की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया की वर्ष 2023-24 में खाद्यान का उत्पादन 329 मिलियन टन और बागवानी का उत्पादन 352 मिलियन टन तक पहुंच गया है।

यूरिया और डीएपी पर सब्सिडी

श्री चौहान ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों को सस्ता खाद उपलब्ध कराया है। उन्होंने बताया कि सरकार 2366 रुपए का यूरिया किसानों को 266 रुपए में देती है और डीएपी का बैग 2433 रुपए की बजाय 1350 रुपए में मिल रहा है।

भारत का बासमती राइस का निर्यात

धान के निर्यात पर श्री चौहान ने बताया कि भारत का बासमती राइस कनाडा और अमेरिका में धूम मचा रहा है। उन्होंने कहा कि 46 हजार करोड़ रुपए का बासमती राइस एक्सपोर्ट किया गया है। उन्होंने आगे कहा की “जब बाजार में किसान को फसलों के अच्छे दाम मिलेंगे, तो वह एमएसपी पर अपनी फसल क्यों बेचेगा।”

खेती के 6 प्रमुख सूत्र

श्री चौहान ने बताया कि NDA सरकार की कृषि नीति के 6 प्रमुख उद्देश्य हैं: उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, उत्पादन के उचित दाम देना, प्राकृतिक आपदा में किसानों को राहत राशि देना, कृषि का विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना। इन्ही सूत्रों पर आगे अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा की खेती में वैल्यू एडिशन और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी धरती सुरक्षित रहे, इसलिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार, एनडीए की सरकार खेती का रोडमैप बनाकर काम कर रही है।

प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी

मध्यप्रदेश के लगभग सभी हिस्सो में आने वाले दो से तीन दिन तक बारिश का सिलसिला जारी रहेगा। दरअसल मप्र को अरब सागर के अलावा बंगाल की खाड़ी से भी नमी मिल रही है, साथ ही पूर्व पश्चिम और उत्तर दक्षिण से गुजर रही ट्रफ लाइन का असर भी मप्र में हो रहा है लिहाजा मौसम विभाग ने प्रदेश के कई जिलों में अलर्ट जारी किया है।

भोपाल से रीवा नई एक्सप्रेस ट्रेन शुरू

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल से रीवा के बीच नई एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस नई ट्रेन से भोपाल और रीवा के बीच की यात्रा अब और भी सुविधाजनक हो गई है। वर्तमान में रेवांचल एक्सप्रेस ही प्रतिदिन सागर-कटनी होकर रीवा जाती है, लेकिन अब यह नई एक्सप्रेस ट्रेन इटारसी मार्ग से सप्ताह में दो दिन चलेगी।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश में यातायात कनेक्टिविटी को तेजी से विकसित किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि रीवा के लिए वायुयान सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा, गंभीर रोगियों, पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए प्रदेश के अन्य नगरों के मध्य भी विभिन्न माध्यमों से कनेक्टिविटी बढ़ाई जा रही है।

डॉ. यादव ने इस बात पर जोर दिया कि पहले रेल सुविधाएं केवल रेल मंत्री के क्षेत्र तक सीमित रहती थीं, लेकिन पिछले 10 वर्षों से यह परंपरा बदल गई है। उन्होंने भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उदाहरण देते हुए कहा कि अब सुविधायुक्त रेलवे स्टेशनों का विकास पूरे देश में हो रहा है। भोपाल मुख्य स्टेशन का भी तेजी से विकास हो रहा है, जिससे यात्रियों को और भी बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

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