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वैज्ञानिकों ने खोजा ‘ग्लोबल वार्मिंग’ कम करने का तरीका, पशुपालकों की बढ़ेगी आमदनी

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पृथ्वी के बढ़ते तापमान ने पूरी दुनिया को टेंशन में डाल दिया है. इसका असर भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर हो रहा है. इसी बीच भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) बरेली के वैज्ञानिकों ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. वैज्ञानिकों ने ‘मेथलो’ नामक एक नया उत्पाद बनाया है. जो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को कम करने में बड़ी भूमिका निभाएगा. खास बातचीत में आईवीआरआई के पशु पोषण विभाग की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अंजू काला ने बताया कि गाय, भैंस, भेड़ और बकरी जो हरा चारा खाते है वो मीथेन बनाते है. मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस हैं. वैश्विक वार्मिंग के आधार पर कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के समान द्रव्यमान से लगभग 23 गुना अधिक है.

पशुओं के लिए बनाया खास उत्पाद

उन्होंने बताया कि जो जानवर चारा खाता है उससे 12 प्रतिशत मीथेन का कम होगा. इसे पूरी तरह से बंद नहीं किया जा सकता, क्योंकि पशुओं में भोजन की पाचन शक्ति बंद हो जाएगी. डॉ अंजू काला बताती हैं कि जो हमारा ‘मेथलो’ है वो वेजिटेबल प्रोडक्ट का है. यानी पौधे, मसाले और Essential oils से बना हुआ ‘मेथलो’ उत्पाद है, जिसके अंदर औषधीय गुण होते हैं. जब हम पशुओं को खिलाते है तो 15 प्रतिशत मीथेन कम हुआ है.

बरेली आईवीआरआई के पशु पोषण विभाग की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अंजू काला

वहीं शोध के दौरान हमने देखा कि मिथलो को खिलाने से गाय और भैंस का वजन तेजी से बढ़ेगा, जिससे पशुपालकों को फायदा होगा. इससे पशुओं में तनाव कम होगा, जिससे बेहतर दूध उत्पादन की उम्मीद की जा रही है. 

मीथेन उत्सर्जन होगा कम

उन्होंने आगे बताया कि यह पूरी तरह से ग्रीन फीड है, जिससे मवेशियों में मीथेन कम कर रहा है, और पशुओं की वजन तेजी से बढ़ रहा है. यह एक सकरात्मक पहलु है कि ‘मेथलो’ से आने वाले दिनों में ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर समस्या से तेजी से निजात मिलेगा. डॉ काला ने बताया कि जलवायु परिवर्तन में योगदान के मामले में मीथेन की भूमिका कार्बन डाइऑक्साइड के बाद दूसरे स्थान पर है. जुगाली करने वाले पशुधन और खाद प्रबंधन का वैश्विक स्तर पर मानवजनित मीथेन उत्सर्जन में लगभग 32% का योगदान है.

मेथलो’ उत्पाद ने भैंसों में मीथेन को किया कम

एंटेरिक मीथेन उत्पादन ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और पशु आहार से सकल ऊर्जा की हानि में योगदान देता है.
द्वितीयक मेटाबोलाइट्स युक्त पौधों के भाग (फाइटोजेनिक्स) एंटरिक मीथेन को कम करने के लिए जाने जाते हैं.
हालांकि, मीथेन को कम करने की क्षमता परिवर्तनशील है और केवल फाइटोजेनिक्स के विशिष्ट संयोजन ही एंटरिक मीथेन को कम कर सकते हैं.

मेथलो उत्पाद को जुगाली करने वाले पशुओं में एंटरिक मीथेन में कमी के लिए इन विट्रो और इन विवो परीक्षणों की श्रृंखला के बाद विकसित किया गया है.मेथलो ने भैंसों में मीथेन को कम किया, और वजन बढ़ाने, आहार के फाइबर अंश के उपयोग और एंटी ऑक्सीडेंट स्थिति में सुधार किया, जिससे एक सुरक्षित और हरित एंटी मीथेनोजेन के रूप में इसकी क्षमता साबित हुई.

पशुओं को ‘मेथलो’ खिलाने के फायदे

मेथलो खिलाने से भैंसों में मीथेन में कमी (14.9%) और वजन में सुधार (14%) होता है.
भैंसों की सीरम एंटी ऑक्सीडेंट स्थिति में सुधार होता है. सुरक्षित, पशुओं द्वारा उच्च स्वीकार्यता और भंडारण में आसान है.
वैज्ञानिकों का नाम: डॉ. एलसी चौधरी, डॉ. अंजू काला, डॉ. वीबी चतुर्वेदी और डॉ. जागृति सिंह ने शोध किया है. 

ग्लोबल वार्मिंग आज हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या

मीथेन उत्सर्जन में पशुओं की हिस्सेदारी 16 फीसदी, जिसमें से 80 से 90 फीसदी उत्सर्जन गाय एवं भैंस जैसे मवेशियों से होता है. पौधे जैसे नेचुरल तत्वों से बना यह उत्पाद पशुओं को खिलाने से पशु कम मीथेन गैस छोड़ते हैं. पशुओं को आहार के साथ इस खाद्य उत्पाद को देने से पशु करीब 16 फीसदी कम मीथेन उत्सर्जन करेंगे. उन्होंने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग आज हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या है. इसका सीधा असर हमारे कृषि सेक्टर में पड़ रहा है. वहीं ‘मिथलो’ नामक एक नया उत्पाद जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करेगा. 

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