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नहीं आएगा टाटा संस का आईपीओ, टूटने से बच गया LIC का रिकॉर्ड

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देश के सबसे बड़े बिजनेस घराने टाटा ग्रुप (Tata Group) की होल्डिंग कंपनी टाटा संस (Tata Sons) ने शेयर बाजार में अपनी अनिवार्य लिस्टिंग को टालने की कवायद शुरू कर दी है। इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक अनलिस्टेड कंपनी बने रहने के लिए, टाटा ग्रुप की 410 अरब डॉलर की होल्डिंग कंपनी, टाटा संस ने 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चुकाने के बाद स्वेच्छा से अपना NBFC रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सौंप दिया है।

Tata Sons ने अपना NBFC रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट वापस लौटाया

ग्रुप की कंपनियों में निवेश करने के लिए टाटा संस ने बाजार और बैंकों से पैसा उधार लिया था। इस वजह से सितंबर 2022 में RBI ने टाटा संस को अपर लेयर एनबीएफसी के तौर पर वर्गीकृत किया था। नियमों के मुताबिक, इस वर्गीकरण के तहत कंपनियों को तीन साल के भीतर स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्ट होना आवश्यक होता है। हालांकि, टाटा संस के द्वारा उधार चुकाने के बाद अब प्रमोटर जोखिम प्रोफाइल में काफी कमी आई है, जिससे इसे लिस्टिंग की आवश्यकता से छूट मिल गई है। कंपनी ने अपने एनबीएफसी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी केंद्रीय बैंक को सौंप दिया है। बता दें कि स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टिंग के लिए टाटा संस के पास सितंबर 2025 तक का समय था।

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उधार चुकाने के बाद टाटा संस की देनदारियों में आई कमी

रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा संस ने अधिकतम 20,300 करोड़ रुपये के लोन का भुगतान किया है। उधार चुकाने के बाद टाटा संस की देनदारियों में महत्वपूर्ण कमी आई है। बता दें कि अभी 363 करोड़ रुपये के नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर्स और प्रीफरेंस शेयर इससे अलग है। इन शेष दायित्वों को पूरा करने के लिए, टाटा संस ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में 405 करोड़ रुपये की जमा राशि आवंटित की है।

टूटने से बच गया LIC का रिकॉर्ड

टाटा संस की वैल्यू अभी 410 अरब डॉलर है। अगर टाटा संस का आईपीओ आता तो टाटा ट्रस्ट समेत टाटा संस के विभिन्न शेयरधारकों को अपनी हिस्सेदारी 5 फीसदी तक कम करनी पड़ती। कोटक सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, आईपीओ के माध्यम से 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर टाटा संस का करीब 55,000 करोड़ रुपये जुटाने का इरादा था। अगर यह आईपीओ आता तो शेयर बाजार पर आईपीओ के अब तक के सारे रिकॉर्ड उसके सामने बौने पड़ जाते। आखिरी बार इतना बड़ा आईपीओ एलआईसी का आया था जिसने 21,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। इस आईपीओ के टल जाने से LIC का रिकॉर्ड टूटने से बच गया है।

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