मध्य प्रदेश में हार्वेस्टर चलाने और बनाने की फ्री में ट्रेनिंग मिल रही है. इसके आवेदन की प्रक्रिया को जानने के लिए पढ़ें ये खबर
हमारा देश कृषि प्रधान देश है और बदलते वक्त के साथ देश के कोने-कोने में खेती किसानी में भी बड़े-बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. मध्य प्रदेश का शहडोल संभाग भले ही आदिवासी बाहुल्य संभाग है, लेकिन यहां भी अब धान और गेहूं जैसी फसलों की कटाई हार्वेस्टर जैसी बड़ी-बड़ी मशीनों से होने लगी है. ऐसे में अगर आप भी हार्वेस्टर जैसी मशीन को बनाना और चलाना सीखना चाहते हैं तो बिल्कुल फ्री में सरकार ट्रेनिंग दे रही है.
हार्वेस्टर बनाना और चलाना क्यों जरूरी ?
आखिर हार्वेस्टर को चलाना और बनाना लोकल लोगों को सिखाना क्यों जरूरी है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि इन दिनों धान और गेहूं की फसल की कटाई हार्वेस्टर के माध्यम से ही होती है और अभी भले ही कोई हार्वेस्टर खरीद कर ले आता है लेकिन इसे चलाने के लिए उन्हें दूसरे राज्यों से इसके ड्राइवर लाने होते हैं जो इसे चलाने और बनाने में सक्षम होते हैं. ज्यादातर पंजाब और हरियाणा क्षेत्र से ही इसे चलाने के लिए ड्राइवर आते हैं.
अक्सर बाहर से ड्राइवर बुलाने की वजह से हार्वेस्टर मालिक और किसानों को नुकसान भी होता है. क्योंकि कभी-कभी यह देरी से आते हैं या फिर समय से हार्वेस्टर चालक मिल ही नहीं पाता है, कभी-कभी बीच में ही चले जाते हैं या फिर मनमर्जी पैसे की डिमांड करते हैं जिससे हार्वेस्टर मालिक और किसान दोनों का नुकसान होता है.
मुफ्त में आवासीय ट्रेनिंग
हार्वेस्टर में जनरली देखा गया है कि जो भी हार्वेस्टर चलाता है वो उसके खराब होने पर उसे बनाना भी जानता है. इसीलिए हार्वेस्टर के संचालक या यूं कहें कि ड्राइवर काफी विशेष होते हैं और इसकी ट्रेनिंग भी खास होती है. अब जब हर क्षेत्र में हार्वेस्टर का उपयोग किया जाने लगा है तो जरूरी है कि इसे चलाने और बनाने में सक्षम लोग भी हर क्षेत्र में होने चाहिए और इसी जरूरत को देखते हुए अब मध्य प्रदेश सरकार इस पर विशेष तौर पर काम कर रही है. लोगों को बिल्कुल मुफ्त में आवासीय ट्रेनिंग दे रही है.
शहडोल कृषि अभियांत्रिकी विभाग के अस्सिटेंट इंजीनियर आर.के. पयासी बताते हैं कि हमारे संभाग में धान और गेहूं की कटाई अब ज्यादातर हार्वेस्टर के माध्यम से ही की जाती है और अभी जो हार्वेस्टर के संचालक आते हैं, वो बाहर से आते हैं. आमतौर पर ये पंजाब या हरियाणा से बुलवाए जाते हैं जिससे हमारे क्षेत्र के किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में मध्य प्रदेश शासन ने कृषि अभियांत्रिकी विभाग के माध्यम से कौशल विकास केंद्र में हार्वेस्टर संचालक का एक प्रशिक्षण प्रारंभ किया है जिसमें प्रदेश के इच्छुक युवाओं को हार्वेस्टर चलाने और उसे बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी जो बिल्कुल मुफ्त होगी इसके लिए कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा.”
कितने दिन की ट्रेनिंग, क्या क्वालिफिकेशन ?
असिस्टेंट इंजीनियर आरके पयासी बताते हैं कि ” जो हार्वेस्टर चलाने और बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है, यह 60 दिन की आवासीय ट्रेनिंग होती है. जिसमें हार्वेस्टर के संबंध में उसके संचालन और उसके सुधार के संबंध में संपूर्ण ट्रेनिंग दी जाती है. हमारे विभाग के जो भी संभागीय कार्यालय हैं जैसे कौशल विकास केंद्र में हार्वेस्टर संचालक की ट्रेनिंग दी जा रही है. इस प्रशिक्षण के लिए व्यक्ति की उम्र 18 से 40 वर्ष की होनी चाहिए और योग्यता कम से कम 12वीं पास. “
कैसे करें आवेदन ?
मुफ्त ट्रेनिंग के लिए ऐसे करें आवेदन
मुफ्त ट्रेनिंग के आवेदन को लेकर असिस्टेंट इंजीनियर आर पयासी बताते हैं कि ” कृषि अभियांत्रिकी विभाग की वेबसाइट के माध्यम से कर सकते हैं, साथ ही अगर समझ में नहीं आ रहा है तो अपने जिलों के जो भी सहायक कृषि यंत्री हैं उनके माध्यम से भी आवेदन कर सकते हैं.”
शहडोल संभाग वालों की कहां-कहां ट्रेनिंग ?
शहडोल संभाग के युवाओं की मुफ्त ट्रेनिंग को लेकर कृषि अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर आर पयासी बताते हैं की “शहडोल संभाग के लोगों को सतना में 60 दिन की आवासीय ट्रेनिंग दी जाएगी और अगर इससे संबंधित कोई और जानकारी चाहिए तो शहडोल संभागीय मुख्यालय के सहायक कृषि अभियांत्रिकी कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं. साथ ही मध्य प्रदेश की बात करें तो सतना के अलावा जबलपुर, सागर, ग्वालियर, इंदौर और भोपाल में भी कौशल विकास केंद्रों में इसकी ट्रेनिंग दी जाती है.”