पीपल और बरगद की तरह गूलर के पेड़ के हर भाग का अपना एक विशेष आयुर्वेदिक महत्व है. यहां तक कि पेड़ की लकड़ी को भी शुभ माना गया है. इसलिए धार्मिक कार्यों में गुलर की लकड़ी की पूजा होती है. गूलर को संस्कृत में उदुम्बर कहते हैं. इसके तने, पत्तों से लेकर फल और दूध के अपने अलग फायदे हैं.
सहजन को जिस तरीके से सुपर फूड माना जाता है, वैसे ही गूलर को भी प्राचीन काल से सुपर फूड का दर्जा प्राप्त है. पीपल और बरगद की तरीके से गूलर के पेड़ के हर भाग का अपना एक विशेष आयुर्वेदिक महत्व है. यहां तक कि पेड़ की लकड़ी को भी शुभ माना गया है. इसलिए धार्मिक कार्यों में गुलर की लकड़ी की पूजा होती है. गूलर को संस्कृत में उदुम्बर कहते हैं. इसके तने, पत्तों से लेकर फल और दूध के अपने अलग फायदे हैं.
आयुर्वेद के चिकित्सकों के अनुसार गूलर 100 से ज्यादा बीमारियों में विशेष लाभ देता है. गूलर को वैसे तो कई नाम से जानते हैं लेकिन इसको हेम दुग्धक, सदाफल के नाम से भी जाना जाता है. गूलर का फल अंजीर की तरह दिखता है. इसके अंदर ढेर सारे कीड़े मौजूद होते हैं जिसकी वजह से इसे जंतु फल भी कहा जाता है. गूलर के उपयोग से डायबिटीज, गठिया और दिल से जुड़ी हुई प्रमुख बीमारियों में इसके सेवन से फायदे होते हैं.
जड़ से लेकर पत्ती तक उपयोगी
गूलर के पौधे की जड़ से लेकर पत्ती तक सब कुछ उपयोगी माना गया है. गूलर के फूल को कभी देखा नहीं गया है. इसलिए ऐसी मान्यता है कि अगर किसी ने गूलर का फूल देख लिया तो उसके भाग्य खुल जाते हैं. आयुर्वेद में गूलर के फल, फूल, लकड़ी, जड़, छाल, पत्ते और दूध को उपयोगी माना गया है. यहां तक कि गूलर की सब्जी को भी पौष्टिक माना गया है. गूलर में आयरन, पोटेशियम ,कैल्शियम जैसे ढेरों मिनरल्स और विटामिन पाए जाते हैं.
गूलर के उपयोग से बढ़ती है ताकत
गूलर के सेवन से बुजुर्गों को विशेष लाभ होता है. गूलर के फल बहुत ही पौष्टिक होते हैं. इनके लगातार सेवन से पुरुषों का शरीर पुष्ट होता है. यहां तक कि गूलर के सूखे फलों के पाउडर का उपयोग घी और मिश्री में मिलाकर खाने से शरीर को भी विशेष ताकत मिलती है. महिलाओं के लिए भी गूलर का सेवन अच्छा माना गया है.
महिलाओं की बीमारियों में उपयोगी है गूलर
महिलाओं की लिकोरिया और माहवारी जैसी जुड़ी हुई परेशानियों में गूलर के दूध और पत्ते के रस का प्रयोग विशेष लाभदायक माना गया है. इसके दूध को शहद के साथ मिलाकर खाने से महिलाओं को माहवारी से जुड़ी समस्याओं में विशेष फायदा होता है. यहां तक कि गूलर की छाल का काढ़ा और कच्चे फलों का सेवन भी महिलाओं को लिकोरिया से जुड़ी हुई समस्या में फायदा पहुंचाता है. गूलर की जड़ का काढ़ा पीने से महिलाओं में होने वाले गर्भपात का होना भी बंद हो जाता है.
गूलर से कैंसर रोग में भी फायदा
गूलर में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी कैंसर, एंटी डायबिटिक और एंटी न्यूरो प्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं. इसी वजह से गूलर के सेवन से डायबिटीज, अस्थमा, कैंसर जैसी बीमारी को रोकने में मदद मिलती है. यहां तक कि लिवर से जुड़ी हुई बीमारियों में गूलर लाभदायक माना जाता है. इसकी पत्तियों के रस से लिवर हेल्दी रहता है. खूनी बवासीर और भगंदर जैसी बीमारियों में गूलर का उपयोग फायदेमंद माना गया है. इसके दूध को पानी में मिलाकर पीने से बवासीर में राहत मिलती है.