भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर किसान धान-गेहूं के साथ-साथ बड़े स्तर पर प्याज की भी खेती करते हैं. यहां पर हर साल 17 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में प्याज की खेती की जाती है. खास बात यह है कि किसान रबी और खरीफ दोनों सीजन में प्याज उगाते हैं. लेकिन महाराष्ट्र में सबसे अधिक प्याज का उत्पादन होता है. यहां से देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी प्याज की सप्लाई होती है. कई किसान प्याज बेचकर लाखों में कमाई करते हैं. ऐसे में दूसरे राज्यों के किसानों के मन में सवाल उठता है कि आखिर प्याज की बेहतर उपज के लिए इसकी खेती कैसी की जाए. साथ ही कब और कितनी मात्रा में खाद डाली जाए.
प्याज की खेती किसी भी तरह की मिट्टी में की जा सकती है. लेकिन इसकी बुवाई करने से पहले खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. अगर आप बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती करते हैं, तो अच्छी उपज मिलेगी. वहीं, मिट्टी का पीएच मान 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए. साथ ही प्याज की फसल के लिए उर्वरकों का सही रूप में उपयोग करना भी एक तकनीक है. अगर किसान चाहें तो प्याज की फसल में उर्वरकों और खाद का इस्तेमाल बुवाई के पहले कर सकते हैं. इसके बाद जरूरत के हिसाब से भी खाद प्याज के खेत में डाल सकते हैं.
इतनी मात्रा में करें खाद का इस्तेमाल
एक्सपर्ट की माने तो प्याज की रोपाई से पहले किसान को खेत में 25 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस, 40 किलो पोटाश और 75 किलो जैविक खाद प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए. वहीं, रोपाई के 30 से 45 दिन बाद खेत में 40 किलो फास्फोरस, 75 किलो नाइट्रोजन और 40 किलो पोटाश का छिड़काव प्रति हेक्टेयर करना चाहिए. अगर किसान रबी की प्याज की बुवाई करते हैं, तो रोपाई पहले खेत में प्रति हेक्टेयर 40 किलो फास्फोरस, 60 किलो पोटाश, 40 किलो नाइट्रोजन और 75 किलो जैविक खाद डाल सकते हैं. जबकि, 30 और 45 दिन की फसल में खाद के रूप में 40 किलो फास्फोरस, 60 किलो पोटाश और 110 किलो नाइट्रोजन की प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है.
फसल में सल्फर खाद का इस्तेमाल
प्याज की फसल के लिए सल्फर एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, जो उपज में सुधार और प्याज के बल्बों की गुणवत्ता के लिए जरूरी है. इस लिए किसान रोपाई के समय खेत में प्रति हेक्टेयर 25 किलो सल्फर डाल सकते हैं. अगर किसान चाहें, कम सल्फर स्तर वाली मिट्टी के लिए 30 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं, लंबे समय तक प्याज की फसल के लिए मिट्टी में 50 किलो सल्फर प्रति हेक्टेयर उपयोग किया जा सकता है.
सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबंधन
अगर किसान को मिट्टी परीक्षण में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी की जानकारी मिलती है, तो इन कमी को दूर करने के लिए कई उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए. जैसे Zn की कमी वाले क्षेत्रों में ZnSO @ 10 किग्रा प्रति हेक्टेयर की सिफारिश की जाती है. वहीं, बोरॉन की कमी वाले खेतों में बोरोन 20 प्रतिशत उर्वरक 10 किग्रा प्रति हेक्टेयर की सिफारिश की जाती है. इसी तरह सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी वाले क्षेत्रों में प्रति हेक्टेयर 15 टनएफवाईएम का इस्तेमाल कर सकते हैं.