केंद्र और राज्य सरकारें कृषि क्षेत्र को विकसित करने के लिए हॉर्टीकल्चर यानी बागवानी पर तेजी से काम कर रही हैं. खेती के तरीकों को विकसित करने के लिए बागवानी के कई कोर्स युवाओं के लिए लाए गए हैं. इन कोर्स को पढ़ने के बाद युवा सालाना 10 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं.
बीते कुछ वर्षों में खाने-पीने का ट्रेंड तेजी से बदला है. लोग सेफ फूड की ओर बढ़ रहे हैं. सुरक्षित भोजन के साथ ही लोग पर्यावरण और गार्डेनिंग को लेकर भी काफी सतर्क हुए हैं. ऐसे में हॉर्टीकल्चर यानी बागवानी सेक्टर से पढ़ाई करने वाले युवाओं की मांग तेजी से बढ़ गई है. हॉर्टीकल्चर से ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद युवा मल्टीनेशनल कंपनियों, सरकारी विभागों, एडमिनेस्ट्रेशन सर्विसेज, फॉरेस्ट सर्विसेज समेत कई सेक्टर में नौकरियां करते हैं. इसके अलावा युवा खुद का व्यवसाय भी कर सकते हैं. हॉर्टीकल्चर में पढ़ाई के लिए कई कोर्स हैं. ग्रेजुएशन कोर्स की फीस 50 हजार रुपये सालाना है. तो आइये हॉर्टीकल्चर यानी बागवानी क्षेत्र में पढ़ाई और रोजगार के अवसरों के बारे में और विस्तार से जानते हैं.
आंकड़े बताते हैं कि बीते 10 वर्षों के दौरान हॉर्टीकल्चर सेक्टर में पढ़ाई के लिए युवाओं का रुझान तेजी से बढ़ा है. हिमाचल प्रदेश के नौनी सोलन स्थित वाईएस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टीकल्चर एंड फॉरेस्ट्री में हॉर्टीकल्चर कॉलेज के डीन डॉक्टर मनीष कुमार ने किसान तक को बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें कृषि क्षेत्र को विकसित करने पर तेजी से काम कर रही हैं. खेती के तरीकों को विकसित किया जा रहा है, जिसके चलते इस सेक्टर में नौकरियों, बिजनेस और रिसर्च का स्कोप भी बढ़ गया है.
हॉर्टीकल्चर कोर्स, योग्यता और प्रवेश प्रक्रिया
डीन डॉक्टर मनीष कुमार ने बताया कि हॉर्टीकल्चर में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी कोर्सेस उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि फल विज्ञान, फ़ूल विज्ञान, सब्ज़ी विज्ञान, एंटोमलॉजी, प्लांट पैथोलॉजी, सीड्स एंड साइंस टेक्नोलॉजी, बॉयोटेक्नोलॉजी, मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, रोग प्रबंधन, एग्री बिजनेस मैनेजमेंट समेत कई दूसरे कोर्सेस भी युवाओं के लिए उपलब्ध हैं.
- इन कोर्सेस में प्रवेश के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 है.
- एडमिशन के लिए यूनिवर्सिटी अपने स्तर पर टेस्ट कराती हैं.
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) सीयूईटी टेस्ट कराती है.
- ग्रेजुएशन के लिए सालाना फीस
हॉर्टीकल्चर में पढ़ाई के लिए अलग-अलग कोर्स की फीस अलग-अलग है. मनीष कुमार ने कहा कि एडमिशन के लिए यूनिवर्सिटी में नॉर्मल सीट्स और सेल्फ फाइनेंस सीट्स होती हैं. नॉर्मल सीट्स में ग्रेजुएशन की सालाना फीस 50-60 हजार रुपये सालाना है. जबकि, सेल्फ फाइनेंस सीट्स के लिए सालाना फीस 1.40 हजार के लगभग होता है. बता दें कि ग्रेजुएशन के बाद राज्यों में हॉर्टीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर (HDO) बनने वाले युवाओं को सालाना 10 लाख रुपये तक का सालाना पैकेज मिलता है.
निजी, सरकारी नौकरियों में खूब अवसर
डीन डॉक्टर मनीष कुमार ने बताया कि उभरता हुआ क्षेत्र होने के चलते हॉर्टीकल्चर यानी बागवानी में पढ़ाई करने वाले युवाओं के लिए रोजगार और स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं. ग्रेजुएशन के बाद बच्चे या तो राज्य स्तर पर हॉर्टीकल्चर डेवलपमेंट ऑफिसर या एसएमएस हॉर्टीकल्चर की पोस्ट पर नियुक्त होते हैं. पोस्ट ग्रेजुएशन या रिसर्च करने वाले छात्र विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनते हैं.
- बीते कुछ वर्षों के दौरान यह देखा गया है कि एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट कोर्स के बाद युवा खुद का कारोबार कर रहे हैं और दूसरों के लिए भी रोजगार पैदा कर रहे हैं. ऐसे युवा नर्सरी उत्पादन, फूल उत्पादन, बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन, मधुमक्खी पालन, अचार चटनी मुरब्बा जैसी फलों और सब्जियों से प्रोडक्ट बनाने का काम कर रहे हैं.
- ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट युवाओं को भारतीय फॉरेस्ट सर्विसेज (IFS) में भी सेलेक्ट होते हैं. साथ ही एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज और स्टैटिस्टिकल सर्विसेज में भी युवा नौकरी करते हैं.
- उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से मैं देख रहा हूं हमारे बीएससी के बच्चों का रुझान बैंकिंग सेक्टर की तरफ भी आकर्षित हुआ है वो बैंक के क्षेत्र में भी जाते हैं. इसके साथ हीमल्टी नेशनल कंपनियों में भी खूब संभावनाएं हैं. इसके अलावा हॉर्टीकल्चर की पढ़ाई करने वाले युवाओं की मांग विदेशों में भी खूब है.