आलू की बढ़ती कीमतों ने रसोई का बजट बिगाड़ रखा है. लगातार थोक कीमतों में उछाल से परेशानी बढ़ी है. 1 अप्रैल से 20 मई तक आलू की थोक कीमतों में 25 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है. कीमतों में उछाल की वजह गर्मियों के दौरान खपत बढ़ने की तुलना में कोल्ड स्टोरेज से आलू बाजारों में नहीं पहुंच पा रहा है. ट्रेडर्स का अनुमान है कि नवंबर तक आलू की कीमतें ऊपर ही रहने वाली हैं.
आलू के प्रमुख उत्पादक राज्यों पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश में रबी सीजन की आलू कटाई के समय जनवरी-फरवरी में बेमौसम बारिश से फसल पर बुरा असर पड़ा है, जिससे उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है. अकेले उत्तर प्रदेश में प्रति एकड़ 35 क्विंटल आलू की उपज कम हुई है. आंकड़ों के अनुसार बीते वर्षों में प्रति एकड़ 151 क्विंटल प्रति एकड़ आलू का उत्पादन दर्ज किया गया, जबकि इस बार केवल 115 क्विंटल प्रति एकड़ ही उत्पादन हुआ है.
यूपी में अप्रैल से अब तक 25 फीसदी दाम बढ़े
इन स्थितियों के चलते आलू की कीमत में करीब 2 माह से लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है. अकेले 8 दिनों में ही उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आलू 4 फीसदी प्रति क्विंटल महंगी हो गई है. लखनऊ में 8 दिन पहले आलू का मॉडल रेट 1750 रुपये प्रति क्विंटल था वो अब 21 मई को बढ़कर 1860 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है. जबकि, 1 अप्रैल से अबतक की कीमतें देखें तो आलू 25 फीसदी महंगी हुई है.
आजादपुर मंडी में 15 दिनों में 5 फीसदी दाम उछले
दिल्ली की आजादपुर मंडी में भी आलू के भाव में लगातार तेजी ने दिल्ली एनसीआर के उपभोक्ताओं की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. हरियाणा, उत्तर प्रदेश से आवक बढ़ने पर कीमतों में कुछ नरमी जरूर देखी गई है. सरकारी कमोडिटी प्लेटफॉर्म एगमार्कनेट के आंकड़ों के अनुसार बीते 15 दिनों में आलू की कीमतों में 5 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है. 2 अप्रैल से 21 मई 2024 तक आलू की कीमत में 32 फीसदी का रिकॉर्ड उछाल दर्ज किया गया है. 2 अप्रैल को आलू की थोक मॉडल कीमत 1055 रुपये प्रति क्विंटल थी जो आज 21 मई को बढ़कर 1560 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई है.
कब मिलेगी आलू की महंगी कीमत से राहत
रबी सीजन में आलू के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है. फसल कटाई के बाद कुल आलू उत्पादन का 60 फीसदी कोल्ड स्टोरेज में स्टॉक हो चुका है, 15 फीसदी आलू ही बाजार में आया और बाकी बीज के रूप में इस्तेमाल करने के लिए किसान अपने पास रोके हुए हैं. अब गर्मियों के चलते आलू की खपत में बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि, कोल्ड स्टोरेज से आलू को निकालकर बाजार में ट्रेडर्स नहीं ला रहे हैं. आमतौर पर जुलाई-अगस्त के दौरान कोल्ड स्टोर का आलू बाजार में आता है. लेकिन, इस बार जरूरत पहले ही पड़ती दिख रही है. हालांकि, नवंबर से पहले कीमतों में गिरावट का अनुमान नहीं है.