लोकसभा चुनाव 2024 के समापन का काउंटडाउन शुरू हो गया है. 4 जून मंगलवार को मतगणना है. जिसके बाद जनमत सार्वजनिक हो जाएगा. ये पूरा लोकसभा चुनाव किसान आंदोलन के बीच संपन्न हुआ है. लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले यानी 13 फरवरी से पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ, जो अब तक जारी है. माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने के लिए किसान आंदोलन को धार दी गई थी.
हालांकि किसान नेता चुनाव को देखते हुए आंदोलन की बात को खारिज करते रहे हैं, लेकिन, अब, जब लोकसभा चुनाव के परिणाम जारी होने वाले हैं, तब किसान आंदोलन को लेकर एक बार फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म है. आइए इसी कड़ी में इस पहेली को सुलझाने की कोशिश करते हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव का परिणाम किसान आंदोलन का भविष्य तय करेगा.
लोकसभा चुनाव का परिणाम किसान आंदोलन का भविष्य तय करेगा, इस पहेली को समझने के लिए, लोकसभा चुनाव में एनडीए, इंडिया किसान आंदोलन और किसान संगठन और विधानसभा चुनाव के फ्रेम में समझना होगा.
एनडीए की जीत और किसान आंदोलन
एक्जिट पोल में एनडीए बढ़ते बनाते हुए दिख रहा है. हालांकि ये 4 जून को स्पष्ट हो जाएगा, लेकिन एनडीए की जीत को आधार बनाकर किसान आंदोलन के भविष्य की पहेली को समझने की कोशिश करें तो बहुत सारी बातें स्पष्ट हो जाएंगी. असल में अगर एनडीए को बहुमत मिलता है, तो इसे किसान आंदोलन के खिलाफ जनमत के तौर पर रेखांकित किया जाएगा.
असल में जिस तरीके से माना जा रहा था कि मोदी सरकार की नीतियों की वजह से किसानों की परेशानियां बढ़ी हैं और किसान नाराज हैं. इन हालातों में मोदी सरकार की वापसी किसानों की नाराजगी की बात खारिज कर देगी. क्योंकि शुरूआत से ही किसान आंदोलन को पंंजाब-हरियाणा के किसानों के आंदोलन के तौर पर रेखांकित किया जाता रहा है. ऐसे में एनडीए को बहुमत किसान आंदोलन की मुश्किलें बढ़ाएगा. हालांकि किसान नेता आंदोलन को लेकर माहौल बनाते हुए दिखाई दे सकते हैं, जबकि किसान संगठनों की एकता की कोशिशें भी फिर से आगे बढ़ाने की जरूरत होगी.
वहीं मौजूदा किसान आंदोलन के हरियाणा विधानसभा चुनाव तक रहने की संभावना है. हालांकि ये भी संभावनाएं हैं कि अगर मोदी सरकार की वापसी होती है तो हरियाणा विधानसभा चुनाव में नुकसान को कम करने के लिए वह आंदोलनकारी किसानों से बातचीत फिर से शुरू करेगी. इस साल नंवबर में हरियाणा विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है.
इंडी गठबंधन की जीत और किसान आंदोलन
एक्जिट पोल के इतर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के दावों के अनुरूप अगर इंडी गठबंधन को 295 सीटें मिलती हैं तो इसे किसान आंदोलन की जीत के तौर पर रेखांकित किया जा सकता है. इसके बाद इंडी गठबंधन की सरकार पर किसानों की मांगें मानने का दबाब होगा. हालांकि कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में पहले ही किसानों की कई मांगों के समाधान की बात कह चुकी है. ऐसी स्थिति में देश में किसान राजनीति अपने पीक पर होगी. अभी आंदोलन से दूर SKM भी आंदाेलन को लेकर माहौल बना सकता है. हालांकि इंडी गठबंधन किस तरह से किसानों की मांगों पर अमल करता है ये देखने लायक होगा.