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महाराष्ट्र के लक्ष्मण टकले ने बकरी पालन को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया

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महाराष्ट्र के लक्ष्मण टकले ने बकरी पालन को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है और करोड़ों की कमाई की है. इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद लक्ष्मण ने बकरी पालन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाया और इसमें सफलता की नई मिसाल कायम की है. लक्ष्मण ने साल 2013 में बकरी पालन की शुरुआत देशी और लोकल नस्लों से की थी, लेकिन उन्हें ज्यादा लाभ नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने बेहतर तकनीक अपनाकर यह सफलता प्राप्त की है.

बकरी पालन बहुत पुराने समय से किसानों के लिए एक बेहतर आय का ज़रिया रहा है. पहले के समय में किसान अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए 2-4 बकरियां पालते थे.कभी गरीबों की गाय कही जाने वाली ये बकरी आज के समय में किसानों को करोड़पति बनाने का काम कर रही है. आज देश में कुछ किसानों ने वैज्ञानिक तरीके से सही नस्लों का चुनाव कर इसे बिजनेस के तौर पर अपनाया और आज करोड़ों की कमाई कर रहे हैं. पढ़े-लिखे युवा, जो बड़े शहरों में मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी कर रहे थे,वे भी बकरी पालन में निवेश करके करोड़ों की कमाई कर रहे हैं. यह कुछ लोगों के लिए आश्चर्य की बात हो सकती है.  मगर  साबित करके दिखाया है महाराष्ट्र के लक्ष्मण टकले ने  जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई  करने के बाद बकरी पालन शुरू किया और आज सालाना करोड़ों की कमाई कर रहे हैं. 

इंजीनियर बना सफल गोट फार्मर

गांव एडगेवाडी, तालुका सांगोला, जिला सोलापुर, महाराष्ट्र के लक्ष्मण टकले ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद कई साल तक दूसरे व्यवसाय किया, इसके बाद साल 2013 में बकरी पालन की शुरुआत देशी और लोकल नस्लों से की थी. लेकिन आदमी लाख बदल जाए, लेकिन अपना ज्ञान नहीं बदल सकते क्योकि लक्ष्मण टकले के बकरी पालन में भी उनके इंजीनियरिंग कौशल की झलक साफ़ दिखती है. लक्ष्मण टकले ने बताया कि साल 2013 में उन्होंने बकरी पालन देशी और लोकल नस्लों जैसे उस्मानाबादी, जमुनापारी, सिरोही और सोजत क्रॉस ब्रीड, इंडियन अफ्रीकन बोअर से शुरू किया ,मगर ज्यादा लाभ नहीं दिखा. इसके बाद देश और विदेश में जाकर लक्ष्मण ने सही तकनीक के साथ बकरी पालन के बारे में जानकारी प्राप्त की और साल 2017 में  100 फीसदी अफ्रीकन ब्रोअर ब्रीड के 25 बकरियां और 4 बकरे लेकर पालन की शुरुआत की. उन्होंने इसके लिए एक एकड़ फार्म को व्यवस्थित तरीके से स्थापित किया.

बकरी पालन से करोड़ों की कमाई

लक्ष्मण टकले का कहना है हैं कि 100 प्रतिशत अफ्रीकन ब्रोअर ब्रीड बकरियां तेजी से बढ़ती हैं और ज्यादा वजन धारण करती हैं. इन बकरियों का एक महीना में 8 से 10 किलो वजन बढ़ जाता है और खास आहार की जरूरत नहीं पड़ती. इनकी यही खासियत है. लक्ष्मण ने बताया कि बाड़े में स्टाल फीडिंग के तरीके से इन नस्ल के बकरियों का पालन करते हैं. आज उनके फार्म पर 125 बकरियों का गोट फार्म है और जब बकरियां औसतन 40 से 50 किलो और बकरे 80 किलो के हो जाते हैं  तो हर साल लगभग 100 से 125 बकरियों को तैयार करके बेचते हैं.. इस वजन को तैयार होने में 8 से 10 महीने लगते हैं. वहअधिकतर ब्रीडिंग पर्पस से ले जाने वाले ग्राहकों को बकरे और बकरियां बेचते हैं.

लक्ष्मण टिकोले का गोट फार्म

गोट फार्मिंग से बंपर कमाई की तकनीक  

बकरी पालक लक्ष्मण का कहना है एक बकरी को 2.5 लाख से 3 लाख और बकरे को 1 लाख से 2 लाख तक में बेचते हैं. इनका कहना है कि 100 फीसदी शुद्ध नस्ल होने की वजह उनको इतना दाम मिलता है. इसके लिए वे अफ्रीकन बोअर नस्ल की शुद्धता बनाए रखने पर खास ध्यान रखते हैं जिससे सालाना 1.5 करोड़ रुपये तक की बिक्री होती है. इसको पालने पर खर्च 25 से 30 लाख रुपये आता है, जिससे लगभग सवा करोड़ रुपये की बचत होती है.उनके  के पास 50 बकरियां और 2 बकरे हमेशा ब्रीडिंग पर्पस के लिए रहते हैं. सही तकनीक अपनाने के कारण, सालभर में 100 से 125 शुद्ध नस्ल के अफ्रीकन बोअर बकरियां और बकरे तैयार हो जाते हैंं. इस तरह लक्ष्मण बकरी पालन से आज  सालाना करोड़ों की कमाई करते हैं. उनका कहना है कि मांग ज्यादा होने के कारण ब्रीडिंग पर्पस से 50 बकरियां और 2 बकरे अपने फार्म में बढ़ाएंगे.

गोट बिजनेस के सफलता के मंत्र

सफल गोट फार्मर लक्ष्मण का कहना है कि बकरी पालन में सफलता के लिए आधुनिक तकनीक अपनाना जरूरी है.अलग-अलग बकरियों के लिए अलग-अलग बाड़े होना चाहिए. छोटे जानवर के लिए औसतन 5 वर्गफुट और बड़े जानवर के लिए 10 वर्गफुट जगह होनी चाहिए. बकरी पालन की शुरुआत में बकरियों की नस्ल का चुनाव सोच-समझकर करें. आहार प्रबंधन और बकरियों के स्वास्थ्य पर खास ध्यान रखना भी सफलता का अहम हिस्सा है.

बकरियों की असमय मौत से बचाने के लिए समय पर इलाज और टीकाकरण करवाना चाहिए. लक्ष्मण बकरी पालन से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. कभी किसी की नौकरी करने वाला ये इंसान,आज ख़ुद कई लोगों को नौकरी दे रहा है. दरअसल लक्ष्मण के इस फार्म पर गांव के लोगों को रोज़गार मिला है. इतना ही नहीं, लक्ष्मण पारंपरिक बकरी पालन करने वाले किसानों के मन में भी उम्मीदें जगा रहे हैं कि बकरी  के साथ अगर तकनीक और साइंस जोड़ दिया जाए, तो बकरी पालन में ज्यादा आमदनी बढ़ाई जा सकती है.

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