कोविड महामारी की दूसरी लहर के बाद इस महीने में नई औपचारिक का सृजन अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। यह देश में औपचारिक श्रम बाजार में गिरावट का प्रमुख रुझान है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सोमवार को जारी नवीनतम मासिक पेरोल आंकड़ों के अनुसार कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के नए सदस्यों की संख्या मार्च में करीब 4 प्रतिशत गिरकर 7,47,000 हो गई जबकि फरवरी में यह संख्या 7,77,700 थी। हालांकि खबर प्रकाशित होने तक श्रम मंत्रालय ने वित्त वर्ष 24 के पिछले महीनों के संशोधित आंकड़े जारी नहीं किए थे।
ईपीएम में नए औपचारिक कर्मचारियों की संख्या मार्च में कम फरवरी 2021 में (6,49.169 सदस्य) थी। ईपीएफओ का आंकड़ा महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि औपचारिक श्रम बल को सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलता है और उसे श्रम कानूनों के तहत संरक्षण प्राप्त है।
मार्च में कुल नए सदस्य 7,47,000 थे। इसमें 18-25 आयु वर्ग के युवाओं की हिस्सेदारी थोड़ी बढ़कर 56.83 प्रतिशत (4,24,520) हो गई थी जबकि बीते माह फरवरी में यह प्रतिशत 56.3 प्रतिशत था। यह आयु वर्ग इसलिए महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि यह आयु वर्ग श्रम बाजार में आमतौर पर पहली बार आता है।
लिहाजा इस आयु वर्ग का आंकड़ा रोजगार की मजबूती को दर्शाता है। इसके अलावा नए सदस्यों में महिलाओं की भागीदारी भी थोड़ी सी बढ़ी है। यह मार्च में कुछ बढ़कर 26.7 प्रतिशत (2,00,000) हो गई जबकि यह फरवरी में 26.35 प्रतिशत (1,94,007) थी।
बहरहाल, मार्च में नौकरी की शुद्ध वृद्धि में करीब 5 प्रतिशत का इजाफा हुआ। नौकरियों की शुद्ध वृद्धि को शामिल हुए नए सदस्यों में से छोड़े कर जाने वाले सदस्यों और सामाजिक सुरक्षा में फिर से शामिल होने वाले सदस्यों की गणना करके प्राप्त किया जाता है। मार्च में नौकरी की शुद्ध वृद्धि 14.4 लाख थी जबकि यह फरवरी में 13.7 लाख थी। नौकरियों में शुद्ध वृद्धि के आंकड़े अनंतिम होते हैं।