मॉनसून आ चुका है. खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है. इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बुवाई के शुरुआती आंकड़ों को जारी कर दिया है. इसमें साफ झलक रहा है कि किसानों ने देश के लिए अपनी ओर से बड़ी खुशखबरी दी है. दलहन और तिलहन के मोर्चे पर हम अब तक आत्मनिर्भर नहीं हो सकें हैं. सुखद बात यह है कि इन दोनों फसलों के एरिया में भारी उछाल दर्ज किया गया है. दोनों मोर्चे पर अच्छी खासी मजबूती दिखाई दे रही है. पिछले दो साल से दलहन की बुवाई में पिछड़ रहे भारत के लिए यह अच्छी खबर है, क्योंकि बुवाई बढ़ने से उत्पादन बढ़ेगा और उत्पादन बढ़ेगा तो आयात पर निर्भरता कम होगी. दलहन फसलों की कम बुवाई और बढ़ती मांग का ही नतीजा है कि दालों का आयात एक साल में ही डबल हो गया है.
बहरहाल, पहले आपको यह जान लेना जरूरी है कि देश में खरीफ फसलों का कुल एरिया कितना है. कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार 2018-19 से 2022-23 तक देश में खरीफ फसलें करीब 1096 लाख हेक्टेयर में होती रही हैं. इस साल 28 जून तक इसमें से 240.72 लाख हेक्टेयर कवर कर लिया गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 59.12 लाख हेक्टेयर अधिक है. साल 2023 में इस अवधि तक सिर्फ 181.60 लाख हेक्टेयर में ही कुल खरीफ फसलों की बुवाई हो सकी थी.
दलहन फसलों का रकबा
कृषि मंत्रालय के अनुसार इस साल 28 जून तक देश में 22.54 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुवाई हो चुकी है. जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 8.02 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही बुवाई हुई थी. इस तरह इस साल दलहन का एरिया 14.52 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है, जिसमें सबसे ज्यादा 12.19 लाख हेक्टेयर एरिया की वृद्धि अरहर में हुई है. देश में खरीफ सीजन के दौरान लगभग 136 लाख हेक्टेयर एरिया में दलहन फसलों की बुवाई होती है.
तिलहन फसलों की बुवाई
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के क्रॉप डिवीजन के मुताबिक इस साल 28 जून तक रिकॉर्ड 42.93 लाख हेक्टेयर एरिया में तिलहन फसलों की बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान सिर्फ 16.81 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही बुवाई हुई थी. इस तरह तिलहन फसलों के एरिया में रिकॉर्ड 26.12 लाख हेक्टेयर एरिया का उछाल दर्ज किया गया है. जिसमें सबसे ज्यादा योगदान सोयाबीन का है, जिसके एरिया में पिछले साल के मुकाबले 32.03 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है.
इस साल अब तक 33.66 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया जा चुका है, जबकि पिछले वर्ष सिर्फ 1.63 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी. हालांकि, मूंगफली के एरिया में 6.37 हेक्टेयर की कमीं दर्ज की गई है. इस साल अब तक महज 8.19 लाख हेक्टेयर में मूंगफली की बुवाई हुई है, जबकि पिछले साल 28 जून तक 14.56 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी. मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन के दौरान लगभग 190 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलें बोई जाती हैं.
गन्ने की बुवाई बढ़ी
कृषि मंत्रालय के अनुसार 2018-19 से 2022-23 के दौरान सीजन के दौरान 51.15 लाख हेक्टेयर में गन्ना बोया गया था. इस साल 28 जून तक उससे कहीं अधिक 56.88 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. पिछले साल यानी 2023 में इस अवधि तक 55.45 लाख हेक्टेयर में गन्ना बोया गया था. देश में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र दो प्रमुख गन्ना उत्पादक हैं.
कॉटन की खेती
इस साल कॉटन की खेती के एरिया में भी भारी उछाल देखने को मिल रहा है. मंत्रालय के अनुसार 28 जून तक 59.13 लाख हेक्टेयर में कॉटन बोया जा चुका है, जो पिछले वर्ष से 22.82 लाख हेक्टेयर अधिक है. साल 2023 में इस अवधि तक मात्र 36.30 लाख हेक्टेयर में कॉटन की बुवाई हुई थी. देश में 129.34 लाख हेक्टेयर में कॉटन की बुवाई होती है.
धान का हाल
प्रमुख खरीफ फसल धान की बुवाई इस साल अब तक 22.73 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के लगभग बराबर है. वर्ष 2023 में 22.77 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया था. अब मॉनसून आने के साथ ही अगले सप्ताह तक इसकी रोपाई और बुवाई के आंकड़ों में तेजी से वृद्धि दिखाई देने की संभावना है. पूरे खरीफ सीजन के दौरान देश में धान का एरिया 401.5 लाख हेक्टेयर होता है. इस हिसाब से अब तक सिर्फ 5.6 फीसदी एरिया में ही धान की रोपाई और बुवाई हो पाई है.
मोटे अनाजों से निराशा
इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट खत्म होते ही देश में मोटे अनाजों का रकबा कम होने लगा है. इस साल 28 जून तक सिर्फ 30.89 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाजों की बुवाई हुई है, जो पिछले साल से 5.34 लाख हेक्टेयर कम है. बाजरा के एरिया में पिछले साल के मुकाबले रिकॉर्ड 21.57 लाख हेक्टेयर की गिरावट दर्ज की गई है.
इस साल अब तक सिर्फ 4.09 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया गया है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 25.67 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी. हालांकि, मक्के का एरिया 15.44 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है. इस साल अब तक 23.53 लाख हेक्टेयर में मक्का बोया जा चुका है, जबकि पिछले साल इस अवधि तक इसकी बुवाई सिर्फ 8.10 लाख हेक्टेयर में हुई थी.