भारत में दलहन फसलों का एरिया और उत्पादन बढ़ने की बजाय घट रहा है. जिसकी वजह से दालों का आयात भी खाद्य तेलों के रास्ते पर है, यानी बहुत तेजी से इंपोर्ट पर खर्च बढ़ रहा है. सरकार एमएसपी और दूसरी व्यवस्थाओं से किसानों को दलहन फसलों की ओर खींचने में नाकाम रही है. नतीजा यह है कि दालों का आयात एक ही साल में डबल हो गया है. साल 2022-23 के दौरान 12 महीने में हमने 15,780.56 करोड़ रुपये की दालें दूसरे देशों से मंगवाई थीं, यह बिल इस साल यानी 2023-24 में बढ़कर 31,071.63 करोड़ रुपये हो गया है. लेकिन वर्तमान वित्तीय वर्ष में आयात के आंकड़े और डराने वाले हैं. साल 2024-25 के अप्रैल महीने में ही भारत ने रिकॉर्ड 3428.64 करोड़ रुपये की दालों का आयात किया है.
अगर आयात की यही रफ्तार रहती है तो वर्तमान साल में भारत को करीब 40 हजार करोड़ रुपये की दालें दूसरे देशों से मंगानी पड़ेंगी. आयात पर जितनी निर्भरता बढ़ेगी दालों का दाम भी उतनी ही तेजी से बढ़ने के आसार हैं. डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (DGCIS) के अनुसार इस साल अप्रैल में भारत ने 6,16,683 मीट्रिक टन दालों का आयात किया है. जिसके लिए 3428.64 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जो अब तक एक महीने में दाल आयात के लिए खर्च की जाने वाली सबसे बड़ी रकम है.
पिछले साल का हाल
पिछले साल यानी 2023-24 के अप्रैल महीने में 1,88,159 मीट्रिक टन दालों का आयात किया था और इस पर सिर्फ 1238.13 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. यानी पिछले साल के मुकाबले आयात काफी बढ़ गया. इसी तरह 2022-23 के अप्रैल महीने में 1,26,761 मीट्रिक टन दालों आयात किया गया. जिसके लिए सिर्फ 755.11 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. इसका मतलब यह है कि भारत में सरकार दलहन फसलों को लेकर आत्मनिर्भर होने का नारा जरूर लगा रही है, लेकिन हकीकत तो यह है कि देश आयात निर्भर बन रहा है.
किन देशों से दालों का आयात
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक देश है. विश्व की करीब 25 फीसदी दलहन का उत्पादन अकेले भारत करता है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए जिस रफ्तार से दलहन फसलों की खेती, उत्पादन और उत्पादकता बढ़नी चाहिए उसमें हम बहुत पीछे हैं. दुनिया की कुल दलहन खपत का 28 फीसदी भारत में ही होता है. उत्पादन और खपत के बीच तीन फीसदी के इस गैप की वजह से ही यहां दलहन फसलों का इतना संकट बना हुआ है. बहरहाल, भारत कनाड़ा, म्यांमार, रूस, आस्ट्रेलिया, टर्की, मोजांबिक, सूडान और युगांडा आदि से दालों को आयात कर रहा है.
कितना है दालों का दाम
उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार 28 जून को चना दाल की अधिकतम कीमत 155, अरहर दाल की 207, उड़द दाल की 190, मूंग दाल की 180 और मसूर दाल की कीमत 173 रुपये प्रति किलो है. जबकि साल भर पहले 28 जून 2023 को चने की दाल का अधिकतम दाम 128, अरहर दाल 165, उड़द 152, मूंग 150 और मसूर दाल का दाम 135 रुपये प्रति किलो था.