भारत में दूषित फलों, सब्जियां या फूड का सेवन करने के बाद लोगों के बीमार होने के कई मामलें लागातार सामने आ चुके हैं. अधिकतर मामलों में पाया गया है कि फल-सब्जियों या फूड में पहले से हानिकारक बैक्टीरिया घुस जाते हैं. जिसे खाने के बाद व्यक्ति के शरीर में बैक्टीरिया घुस जाता है और उसे फूड प्वाइजनिंग जैसी बिमारी हो जाती है. हाल ही में भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने तेजी से बढ़ते मामलों पर संज्ञान में लेते हुए फूड जांच के लिए पूरे देश में 34 माइक्रोबायोलॉजी लैब खोलने का फैसला किया है. इन केंद्रों में 10 रोगानुजनक (बीमारियां फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों) की जांच की जाएगी.
इन माइक्रोबायोलॉजी लैब में फुड की जांच करने से पता चलता है कि इसमें रोगानुजनक है या नहीं. वहीं कुछ खाद्य पदार्थ ई.कोलाई, सेलमोनेला और लिस्चेरिया बैक्टीरिया से दूषित हो जाते हैं, जिनका सेवन करने बाद व्यक्ति को फूड प्वाइजनिंग भी हो सकता है.
देश में डायरिया और फूड प्वाइजनिंग के मामले आम
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार FSSAI के एक अधिकारी ने बताया है कि, माइक्रोबायोलॉजी लैब में यह पता लगाया जाएगा कि किसी खाद्य पदार्थ में बीमारी फैलाने वाला सूक्ष्म जीव है या नहीं. उन्होंने कहा कि, देश में डायरिया और फूड प्वाइजनिंग के मामले आम हो गए है, कि अब लोगों ने शिकायतें करना भी कम दिया है. उन्हें बीमारी संक्रमित फूड का सेवन करने से हुई है और इस बात का उन्हें पता भी नहीं होता है.
संक्रमित फूड बेचने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई
अधिकारी ने कहा कि, लेकिन हमारा धर्म है कि हम लोगों तक सुरक्षित और संरक्षित फूड पहुचाएं. इन लैब में कुछ इसी तरह के फूड की जांच की जाएगी और लोगों को बीमार होने से बचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि, FSSAI नियमित तौर पर डिपार्टमेंट फूड का सर्विलांस करता रहेगा और संक्रमित फूड बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई भी करेगा.
देश में फूड की जांच एक भी लैब नहीं
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की एक रिपोट के अनुसार, भारत में गंभीर डायरिया और फूड प्वाइजनिंग के मामले काफी आम होते जा रहे हैं. पिछले कई दिनों में गंभीर डायरिया और फूड प्वाइजनिंग फैलने के कई मामले सामने आए है. बता दें, देश में अभी तक इस तरह की कहीं भी कोई लैब नहीं है, जहां फूड की जांच करके पता लगाया जा सके कि ये फूड संक्रमित है या नहीं. भारत में कुल 79 स्टेट फूड टेस्टिंग लैब है, जिनमें सूक्ष्मजीव को डिटेक्ट करने वाली मशीनें नहीं है. इन लैबों में केवल फूड में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रैट की मात्रा की जांच की जाती है.