इस साल भीषण गर्मी के पूर्वानुमान को देखते हुए सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। राज्यों को जारी दिशानिर्देश में हर जिला अस्पताल में हीट स्ट्रोक रूम बनाने को कहा गया है। लोकसभा चुनाव भी इन्हीं दिनों में है, इसको देखते हुए अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। लोगों को दोपहर में 12 से तीन बजे तक बाहर न निकलने की सलाह दी गई है।केंद्रीय स्वास्थ्य महानिदेशालय ने राज्यों के लिए जारी दिशानिर्देश में कहा है कि हीट स्ट्रोक एक चिकित्सा आपातकाल है जो लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है। ऐसे में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल में सभी तरह के इंतजाम किए जाने चाहिए, ताकि लोगों को हीट स्ट्रोक से बचाव किया जा सके।
केंद्रीय स्वास्थ्य महानिदेशालय ने राज्यों के लिए जारी दिशानिर्देश में कहा है कि हीट स्ट्रोक एक चिकित्सा आपातकाल है जो लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है। ऐसे में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल में सभी तरह के इंतजाम किए जाने चाहिए, ताकि लोगों को हीट स्ट्रोक से बचाव किया जा सके। हर जिला अस्पताल में अलग से हीट स्ट्रोक रूम बनाया जाए। इसके तहत जिला अस्पताल में कम से कम दो कमरे एसी या कूलर से लैस हों।
सरकार ने शिशुओं, छोटे बच्चों, बाहर काम करने वाले लोगों, गर्भवती महिलाओं, मानसिक रोगियों, हृदय या उच्च रक्तचाप रोगियों को जोखिम वर्ग में रखा है। इस वर्ग को लू में विशेषतौर पर सतर्क रहने के लिए कहा है। साथ ही राज्यों से कहा है कि इन दिशानिर्देशों को सभी ग्राम पंचायत, सामुदायिक अस्पताल, जिला अस्पताल के साथ-साथ क्षेत्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीमों तक पहुंचाया जाए। स्थानीय स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।
बढ़ सकती हैं पुरानी बीमारियां
स्वास्थ्य महानिदेशालय ने स्पष्ट किया कि सामान्य मानव शरीर का तापमान 36.4 से 37.2 डिग्री सेल्सियस रहता है, लेकिन हीट स्ट्रोक की वजह से यह तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ऊपर रहता है। इससे लोगों को भटकाव, भ्रम, चिड़चिड़ापन, बहुत तेज सिरदर्द, बेहोशी, मांसपेशियों में ऐंठन और दिल की धड़कन तेज हो सकती है। यह हृदय, श्वसन, गुर्दे की पुरानी बीमारियों को भी बढ़ा सकता है।
मौतों की बड़ी वजह गर्मी
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) का हवाला देते हुए स्वास्थ्य महानिदेशालय ने कहा है कि मार्च से जून माह के बीच देश के कुछ इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री या उससे अधिक पहुंचता है। जलवायु परिवर्तन का असर काफी गंभीर हो रहा है। एनसीडीसी का हालिया अध्ययन बताता है कि साल 2000 से 2004 और 2017 से 2021 के बीच अत्यधिक गर्मी की वजह से भारत में 55 फीसदी ज्यादा मौतें हुईं।
चुनाव प्रचार के दौरान सावधानी की जरूरत
स्वास्थ्य महानिदेशालय के मुताबिक, भीड़ तीव्र गर्मी से संबंधित बीमारियों का जोखिम बढ़ा सकती है। आने वाले दिनों में गर्मी के साथ चुनाव प्रचार भी चरम पर होगा। ऐसे में प्रचार के दौरान नेताओं, कार्यकर्ताओं और लोगों को भीड़ का हिस्सा बनते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। सीधे धूप के संपर्क में आने से बचने और दोपहर 12 से तीन बजे के बीच घर या फिर छायादार स्थान पर ही रहने को कहा गया है। साथ ही समय-समय पर पानी या जूस का सेवन करने की भी सलाह दी गई है।
वाहन में बच्चों को न छोड़ें
बच्चों या पालतू जानवरों को वाहन में न छोड़ें। वाहन के अंदर का तापमान खतरनाक हो सकता है। अगर बच्चा स्तनपान नहीं कर पा रहा है और अत्यधिक चिड़चिड़ापन, पेशाब न आना, सुस्ती, दौरे या रक्तस्त्राव की स्थिति है तो तत्काल चिकित्सा सलाह लें।
अस्वस्थ महसूस करने पर
अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं तो तुरंत किसी ठंडी जगह पर जाएं और तरल पदार्थ पिएं। जल सर्वोत्तम है। अपने शरीर का तापमान मापें। यदि मांसपेशियों में ऐंठन एक घंटे से अधिक समय तक बनी रहती है तो चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता पड़ सकती है।
यदि घर में बुजुर्ग या मरीज अकेले हैं
इनकी निगरानी हर घंटे होनी चाहिए। इनके भोजन से लेकर आराम करने जैसी दैनिक गतिविधियों की निगरानी जरूरी है।
खुद का बचाव करने के उपाय
जब भी संभव हो पर्याप्त पानी पिएं, भले ही आपको प्यास न लगी हो। जितना संभव हो सके घर के अंदर/छाया में रहें। ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) का उपयोग करें और नींबू पानी, छाछ/लस्सी जैसे घरेलू पेय का सेवन करें। तरबूज, खरबूज, संतरा, अंगूर जैसे अधिक पानी की मात्रा वाले मौसमी फल और सब्जियां खाएं। पतले, ढीले, सूती विशेषकर हल्के रंग के कपड़े पहनें। स्थानीय मौसम की जानकारी लेते रहें।
इनसे भी सावधानी जरूरी
भीषण गर्मी में हीट स्ट्रोक के अलावा हीट रैश (घमौरियां), हीट एडिमा (हाथों की सूजन, पैर और टखने), हीट क्रैम्प्स (मांसपेशियों में ऐंठन), हीट सिंकोप (बेहोशी) की भी समस्या हो सकती है।