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किसानों ने फसल बीमा योजना के तहत चुकाया 32,440 करोड़ रुपये का प्रीमियम

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत 32,440 करोड़ रुपये के प्रीमियम के अंतर्गत, किसानों को 1.63 लाख करोड़ रुपये के बीमा दावों का भुगतान किया गया है.  केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है. इस योजना को साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लॉन्‍च किया गया था.

 केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी है. इस योजना को साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लॉन्‍च किया गया था. इसका मकसद मौसम की वजह से खराब हुई फसलों के लिए किसानों को उनका मुआवजा देना था ताकि किसानों को कोई आर्थिक तंगी न हो.  

किसानों के लिए स्‍वैच्छिक स्‍कीम 

कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने बताया, ‘देश में खरीफ 2016 मौसम से शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) राज्यों के लिए स्वैच्छिक है. अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगाने वाले सभी किसान स्वैच्छिक रूप से इस योजना के तहत कवरेज के लिए पात्र हैं.’  उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत, किसानों की फसलों के लिए बुवाई से पहले से लेकर कटाई के बाद के चरणों तक सभी प्राकृतिक जोखिमों के खिलाफ किसानों के लिए बहुत ही उचित प्रीमियम पर व्यापक जोखिम कवरेज प्रदान किया जा रहा है. 

सफलतापूर्वक पूरे हो रहे लक्ष्‍य 

कृषि मंत्री ने कहा, ‘पीएमएफबीवाई खास तौर पर प्राकृतिक आपदा प्रभावित मौसमों/वर्षों/क्षेत्रों में योजना के उद्देश्यों और लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर रही है.’  उन्‍होंने सदन में जानकारी दी कि योजना के तहत की गई कई तरह की पहल की गई हैं जिसकी वजह से साल 2023-24 में कवर किया गया सकल फसल क्षेत्र (जीसीए) 2022-23 में 501 लाख हेक्टेयर की तुलना में बढ़कर 598 लाख हेक्टेयर हो गया है. उन्होंने सदन को बताया कि योजना के तहत 2023-24 में नॉमिनेटेड किसानों की संख्या 3.97 करोड़ थी, जबकि 2022-23 में यह 3.17 करोड़ थी.  यह बदलाव 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्शाता है. 

झारखंड, तेलंगाना फिर से होंगे  शामिल 

हाल ही में झारखंड और तेलंगाना ने भी इस योजना में फिर से शामिल होने का फैसला किया है. इससे कवरेज क्षेत्र और नामांकित किसानों की संख्या में और इजाफा होने की आशंका है. हालांकि यह योजना किसानों के लिए स्वैच्छिक है, लेकिन गैर-ऋणी किसानों का कवरेज 2023-24 के दौरान योजना के तहत कुल कवरेज का 55 प्रतिशत हो गया है. इससे योजना की स्वीकार्यता या लोकप्रियता पता चलती है. 

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