हरियाणा के पानीपत जिले के उरलाना खुर्द गांव के निवासी प्रीतम सिंह ने कृषि में नई तकनीकों को अपनाकर न केवल अपने खेतों की उत्पादकता बढ़ाई, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और किसानों की भलाई में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 1966 में जन्मे प्रीतम सिंह ने परंपरागत खेती से हटकर नई तकनीकों को अपनाने का साहसिक कदम उठाया। आज वे कृषि में नई तकनीक के क्षेत्र में एक प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं।
नई तकनीकों का समावेश
प्रीतम सिंह ने अपने 20 एकड़ से अधिक भूमि पर कई उन्नत कृषि में नई तकनीक का प्रयोग किया है। इनमें शामिल हैं:
- डायरेक्टसीडेडराइस (DSR): पानी की बचत के लिए DSR तकनीक को अपनाया, जिससे पानी की खपत में 30-40% तक की कमी आई।
- फसलअवशेषप्रबंधन: उन्होंने खेतों में फसल अवशेष जलाने की प्रथा को खत्म किया। इसके बजाय, अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर जैविक उर्वरक के रूप में उपयोग किया।
- ज़ीरोटिलेज: भूमि संरक्षण के लिए ज़ीरो टिलेज कृषि में नई तकनीक का प्रयोग किया, जिससे मिट्टी की उर्वरता और संरचना में सुधार हुआ।
- बीजउत्पादनकार्यक्रम: प्रीतम सिंह आईएआरआई (IARI) के साथ बीज उत्पादन कार्यक्रम में सक्रिय रूप से जुड़े हैं। उन्होंने अपने खेत पर उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन कर अन्य किसानों को वितरित किया।
- विविधीकृत खेती: उन्होंने पारंपरिक धान-गेहूं चक्र को बदलकर सब्जी उत्पादन शुरू किया, जिससे आय में वृद्धि हुई।
संवेदनशील खेती और पर्यावरण संरक्षण
प्रीतम सिंह ने जल और भूमि संरक्षण में नए कदम उठाए। इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) के साथ काम करते हुए उन्होंने सटीक सिंचाई तकनीकों को अपनाया। वे बताते हैं:
“जल संरक्षण कृषि में नई तकनीक से न केवल पानी की बचत हुई, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर हुई। इन तकनीकों से पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिली।”
संयुक्त खेती और डेयरी प्रबंधन
प्रीतम सिंह ने अपने खेत में डेयरी प्रबंधन को भी जोड़ा। वे कहते हैं:
“खेती और डेयरी का संयोजन न केवल आय को बढ़ाता है, बल्कि फसल और पशुधन प्रबंधन के बीच संतुलन भी बनाता है।”
वे डेयरी से प्राप्त गोबर का उपयोग वर्मीकंपोस्ट और जैविक खाद के रूप में करते हैं, जिससे कृषि में नई तकनीक से खेती में लागत घटती है और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है।
पुरस्कार और सम्मान
प्रगतिशील किसान पुरस्कार (2010): पानीपत जिले में सर्वश्रेष्ठ किसान का पुरस्कार।
• आईएआरआई फेलोशिप अवार्ड (2012): कृषि में नई तकनीक के लिए नवाचार।
• किसान रत्न पुरस्कार (2019): चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा।
• नवोन्मेषी किसान पुरस्कार (2021): शेर-ए-कश्मीर विश्वविद्यालय द्वारा।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
प्रीतम सिंह न केवल खुद नई तकनीकों का प्रयोग करते हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी जागरूक करते हैं। वे नियमित रूप से किसानों को प्रशिक्षण देते हैं और उनके साथ अपने अनुभव साझा करते हैं। उनका कहना है:
“किसानों को कृषि में नई तकनीक को अपनाने से डरना नहीं चाहिए। ये तकनीकें न केवल उत्पादन बढ़ाती हैं, बल्कि लागत भी कम करती हैं।”
बाजार में नवाचार
प्रीतम सिंह ने स्थानीय और क्षेत्रीय बाजारों के साथ सीधा संपर्क स्थापित किया। उन्होंने अपने उत्पादों की सीधी बिक्री के लिए “किसान से ग्राहक” मॉडल अपनाया, जिससे उन्हें अधिक लाभ मिला।
उनका कहना है:
“ग्राहकों को ताजगी और गुणवत्ता की गारंटी देने से विश्वास बढ़ता है, जो हमारी सफलता की कुंजी है।”
इसके अलावा, उन्होंने सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का भी उपयोग किया, जिससे वे शहरी ग्राहकों तक पहुंच सके। उनकी सीधी मार्केटिंग रणनीति ने बिचौलियों को हटाकर न केवल उनकी आय में वृद्धि की, बल्कि ग्राहकों को उचित मूल्य पर जैविक उत्पाद भी उपलब्ध कराए।
भविष्य की योजनाएं
प्रीतम सिंह आने वाले समय में अपने खेत में सोलर पैनल और सटीक कृषि में नई तकनीक का और अधिक उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि उनकी तकनीकों से न केवल उनकी आय बढ़े, बल्कि अन्य किसानों को भी नई दिशा मिले।
प्रीतम का कहना है,
“मैं किसानों के लिए एक डेमो फार्म बनाना चाहता हूं, जहां वे आकर कृषि में नई तकनीक को समझ सकें और अपनी खेती में लागू कर सकें।”प्रीतम सिंह का कहना है,
“सरकार को ज़ीरो टिलेज, डीएसआर और फसल अवशेष प्रबंधन जैसी नई तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहन देना चाहिए।”
उन्होंने सुझाव दिया कि छोटे और मध्यम किसानों के लिए सब्सिडी योजनाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएं।
प्रीतम के अनुभव दिखाते हैं कि यदि सरकार इन कृषि में नई तकनीक को लोकप्रिय बनाने में अधिक निवेश करे, तो देश भर में किसानों की आय और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों में सुधार हो सकता है।
निष्कर्ष
प्रीतम सिंह जैसे किसान यह दिखाते हैं कि कृषि में नई तकनीक का उपयोग करके खेती को लाभकारी और स्थिर बनाया जा सकता है। उनका यह सफर न केवल हरियाणा बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।