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गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार के बाद भी गेहूं के दाम कम होने के बजाय बढ़ रहे हैं

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इस बार भले ही मौसम की मार और बारिश के कारण गेहूं की फसल ) प्रभावित हुई. खेतों से कटे हुए गेहूं को बारिश का पानी लग गया. लेकिन फिर भी गेहूं की पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर हुई है. इसके बाद भी गेहूं के दाम कम होने के बजाय बढ़ रहे हैं.

क्यों बढ़ रहे गेहूं के दाम

इस सत्र में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. लेकिन कुछ राज्यों में उत्पादन पर काफी असर हुआ. जिसके कारण इसके दाम बढ़ते जा रहे हैं. केंद्र सरकार का खरीदी लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पा रहा है. जिसके बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए पिछले छह सालों से लगे आयात को हटाया जाएगा. या फिर गेहूं के दाम में और वृद्धि दर्ज होगी.

कृषि मंत्रालय की तरफ से फरवरी महीने में कहा गया था कि इस साल उन्हें 11.2 करोड़ टन फसल के उत्पादन की उम्मीद है. पिछले दो सालों से यानी साल 2022 और 2023 में बेमौसम बरसात और मौसम की मार के कारण सरकार के गेहूं भंडारण में कमी आई थी. इस साल भी कुछ राज्यों में मौसम के कारण फसलें प्रभावित हुई है.

कितनी बढ़ी कीमतें

उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा जारी के अनुसार गेहूं की कीमतें बढ़ती जा रही है. अभी थोक गेहूं की कीमत में 5.3 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज हुई है. वहीं रिटेल गेहूं की कीमत में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई.
इन तीन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार करती है भंडारण

सरकार एजेंसियों के माध्यम से गेहूं का भंडारण करती है. जिसके पीछे तीन मुख्य कारण है. इसमें पहला है मुफ्त में अनाज बांटने के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लेने वाले 81 करोड़ से अधिक लाभार्थियों की पूर्ति करना. इसके अलावा बाजार अनाज की कीमत बढ़ने के बाद सप्लाई करके कीमत को नियंत्रित करना. इसके अलावा सरकार भविष्य की जरूरतों के लिए भी गेहूं का भंडारण करती है.पिछले तीन सालों से सरकार का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है. कई किसान प्रिमियम किश्तों में फसले निजी व्यापारियों को बेच रहे हैं, जिसमें उन्हें ज्यादा मुनाफ़ा हो रहा है.

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