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जिला पंचायत के सदस्यों से लेकर अध्यक्ष तक को कलेक्टर नहीं दे रहे तबज्जो

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भोपाल। पंचायती राज को लेकर कितने ही दावे किए जाएं, लेकिन यह तो तय है कि आज भी अफसर इस मामले में गंभीर नही हैं। यही वजह है कि भोपाल से लेकर खंडवा तक जिला पंचायत के सदस्यों से लेकर अध्यक्ष तक अफसरशाही से परेशान बने हुए हैं। भोपाल में ही जिला पंचायत सदस्यों ने तो सामूहिक रुप से इस्तीफा तक की चेतावनी दे डाली थी।
लगभग ही हाल खंडवा में बने हुए हैं। वहां पर तो जिला पंचायत अध्यक्ष तक से कलेक्टर नियमानुसार सुविधाएं देने के लिए बीते चार माह से चक्कर कटवा रहे हैं। यह हाल तब हैं, जबकि उन्हें राज्यमंत्री पद का दर्जा मिला हुआ है। लेकिन ये दर्जा सिर्फ कागजों तक ही सीमित दिखाई दे रहा है। क्योंकि खंडवा के 400 से अधिक पंचायतों वाली भाजपा की जिला पंचायत अध्यक्ष को प्रदेश में बीजेपी सरकार होने के बावजूद अपने हक और सुविधाओं के लिए बीते चार महीने से जिला कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काटने से मुक्ति न हीं मिल पा रही है। खंडवा में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए हुए उपचुनाव के बाद अध्यक्ष का कार्यकाल चार माह होने को हैं, लेकिन उन्हें न तो अब तक शासकीय कामों में सहयोग के लिए निजी सहायक मिला है, और न ही रहने के लिए सरकारी आवास जिला मुख्यालय पर दिया गया है। इसके चलते उन्हें 17 किलोमीटर दूर अपने गांव से जिला मुख्यालय तक आने-जाने में परेशानी भी हो रही है। खंडवा के जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर यहां की जिला पंचायत अध्यक्ष पिंकी सुदेश वानखेड़े ने जिला प्रशासन को दो आवेदन दिए हैं, जिसमें उन्होंने बताया है कि वे वर्तमान में नव-निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष खंडवा हैं और उन्हें निर्वाचित हुए चार महीने से अधिक का समय हो जाने के बावजूद, उनके लिए आज दिनांक तक शासकीय कार्यों के संपादन हेतु, निज सहायक तक की सुविधा नहींं दी जा रही है। इस पत्र में कहा गया है कि शासन की हितग्राही मूलक योजनाओं के क्रियान्वयन एवं संचालन में सहयोग नहीं मिल पाने से उनके समस्त जनहितैशी और शासकीय कार्य बाधित हो रहे हैं। इसके साथ ही उनके दिए एक अन्य आवेदन में उन्हें शासकीय आवास दिए जाने की मांग की गई है। उन्होंने आवेदन में कहा है कि उन्हें अब तक सरकारी आवास भी नहीं मिला है।
किराए के मकान में रहने को मजबूर
मीडिया से चर्चा के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी अपनी पार्टी की भाजपा सरकार में उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है तो, उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। आवास तो मिलेगा लेकिन देर लग रही है, जिसके कारण मुझे किराए के मकान में रहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अपने गांव हापला दीपला से मुझे रोज आना जाना करना पड़ता है, जिसमें काम प्रभावित होता है।
कलेक्टर कर रहे गुमराह
जिला पंचायत अध्यक्ष पिंकी वानखेड़े ने आरोप लगाया कि मैं आवास के लिए पिछले चार महीने से कलेक्टर साहब के आगे पीछे घूम रहीं हूं। हर बार वे सरकारी मकान खाली न होने का कहकर आवास देने से मना कर देते हैं। उनका कहना है कि मैं जिस पद पर बैठी हुई हूं, उसमें सबको आवास मिलता है। लेकिन वह मुझे गुमराह कर रहे हैं। मेरी सुनवाई नहीं हो रही है। मैं जिस पद पर हूं, उसके मुताबिक सभी को यह सुविधा मिलती है। लेकिन मुझे कहा जाता है कि अभी कोई आवास खाली नहीं है। जब होगा तब दिया जाएगा। मैंने आज फिर एक आवास के लिए आवेदन दिया है, जो खाली है।
शिव सरकार में बढ़ी थीं सुविधाएं
दरअसल, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समय जिला पंचायत अध्यक्ष को राज्य शासन द्वारा राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था। इसमें अध्यक्षों को राज्यमंत्री के रूप में दिये गए प्रोटोकाल का विधिवत पालन कराने, आवास एवं सुरक्षा प्रदान करने, राष्ट्रीय पर्व के समय जिले में मंत्रीगणों की अनुपस्थिति पर जिला पंचायत अध्यक्ष से ध्वजारोहण कराने, जिला पंचायत अध्यक्षों को दिये जाने वाले मानदेय एवं भत्ते में वृद्धि कर एक लाख रुपये किये जाने, जिला पंचायत से स्वीकृत होने वाले सभी निर्माण कार्यों में जिला पंचायत अध्यक्षों से अनुमोदन लिये जाने एवं सांसद एवं विधायकों की भांति जिला पंचायत अध्यक्षों को शासन की तरफ से परिचय पत्र जारी करने की मांग को तुरंत स्वीकार कर अमल करने की घोषणा की गई थी।

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