रबी सीजन की शुरूआत हो चुकी है. मध्य प्रदेश के किसान बुआई के लिए खेत तैयार करने में जुटे हुए हैं. ऐसे में खाद की मांग बढ़ी हुई है. इस बीच सीहोर जिले में किसानों को खाद की किल्लत झेल रहे हैं. मालूम हो कि सीहोर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है, लेकिन इसके बावजूद यहां के किसान खाद की कमी से परेशान हैं. यहां खाद वितरण केंद्र पर अजब नजारा देखने को मिल रहा है, जहां किसान जमीन की बही और आधार कार्ड लेकर लंबी लाइन में लगे दिख रहे हैं.
DAP की जगह मिल रही यूरिया
खाद के लिए कृषि मंडी खाद वितरण केन्द्र पर किसानों की रोजाना भीड़ उमड़ रही है, जिसके वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर सर्कुलेट हो रहे हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें खाद के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. खाद के लिए वितरण केंद्र पर घंटों इंतज़ार कर रहे हैं, सुबह से लाइन में लग रहे है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में खाद मुहैया नहीं हो रही है. स्थानीय किसान विजय मेवाड़ा ने बताया कि पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल रही है. उन्हें डीएपी की जरूरत है, लेकिन यूरिया दिया जा रहा है. \
एक आधार पर तीन बोरी खाद मिल रही
विजय मेवाड़ा ने कहा कि उनके पास 10 एकड़ जमीन है और एक आधार कार्ड पर तीन बोरियां मिल रहीं हैं. ऐसे में कैसे काम चलेगा. बता दें कि फसल बुआई का सीजन शुरू होते ही मध्य प्रदेश ही नहीं, लगभग सभी कृषि प्रधान राज्यों में खाद-यूरिया आदि की किल्लत देखने को मिलती है. दरअसल, सरकार किसानों को सब्सिडी पर खाद-यूरिया उपलब्ध कराती है. ऐसे में वितरण केंद्रों पर इनकी एक लिमिट सेट की जाती है, ताकि सभी किसानों को इसका लाभ मिल सके.
बाहर से खाद-यूरिया खरीदने पर किसानों की लागत बढ़ती है. वहीं, इस समय कालाबाजारी और स्टॉक छिपाकर रखने का चलन बढ़ जाता है, ताकि बाद में इन्हें महंगे दामों पर बेचा जा सके. सीहोर में खाद की किल्लत को लेकर कृषि उप संचालक केके पांडे ने कहा कि पर्याप्त मात्रा में खाद और यूरिया उपलब्ध है, जिन्हें किसानों को लगातार बांटा जा रहा है.
सीहोर में उगाई जाती हैं ये फसलें
सीहोर में गेहूं और चना रबी सीजन की मुख्य फसलें हैं. खरीफ सीजन में यहां मुख्यत: सोयाबीन, धान, अरहर (तूर) और मक्का उगाई जाती है. वहीं, जायद में मूंग की खेती की जाती है, जिसका दायरा लगातार बढ़ रहा है. सीहोर, आष्टा और इछावर ब्लॉक में किसान गुड़ बनाने के लिए गन्ने की खेती करते हैं. जिले में उगने वाले शरबती गेहूं की ख्याति देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी फैली हुई हैं. यहां का बासमती धान भी अब धीरे-धीरे देश-विदेश में मशहूर हो रहा है.
जिले में दलहन, तिलहनी और धान की फसलों के अलावा उद्यानिकी फसलों की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां प्याज, लहसुन, फूलगोभी, अजवाइन, टमाटर, बैंगन, मिर्च, अदरक आदि की खेती की जाती है. बागवानी में आम, अमरूद, संतरा, आंवला की मुख्य रूप से खेती की जाती है.