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केंद्र सरकार ने किया महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में MSP पर साेयाबीन की खरीद का ऐलान,मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में क्‍या समाधान

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सोयाबीन को लेकर बड़ी खबर है. सोयाबीन को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. ये बड़ा फैसला तब हुआ है, जब देश में सोयाबीन के गिरते दामों को लेकर देशभर में घमासान मचा हुआ है. मसलन, बीते राेज ही मध्‍य प्रदेश के अशोकनगर में किसानों ने सोयाबीन की अर्थी निकाल कर गिरते दामों पर मातम मनाया था. हालांकि इसी बीच मध्‍य प्रदेश सोयाबीन उत्‍पादन में देश में नंबर वन की पोजिशन कब्‍जाने में कामयाब हुआ है. सोयाबीन पर घमासान से जुड़ी इस लंबी भूमिका के बाद सोयाबीन पर हुए फैसले की बात करते हैं. असल में केंद्र सरकार ने महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, तेलांगाना में PSS (मूल्‍य समर्थन योजना) पर सोयाबीन की खरीद करने का ऐलान किया है. इससे MSP पर सोयाबीन की खरीद सुनिश्‍चित हो सकेगी, लेकिन इस सरकारी ऐलान के बाद सोयाबीन पर मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में जारी घमासान और तेज होने की उम्‍मीद है.

मसलन, महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में सोयाबीन के दाम बढ़ाने के प्‍लान का सरकार ने ऐलान किया है, लेकिन सवाल ये है कि मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में सोयाबीन के गिरते दामों का समाधान क्‍या होगा, इसको लेकर किसान चिंतित हैं. आज की बात इसी पर… जानेंगे कि सोयाबीन पर जारी घमासान की पूरी कहानी क्‍या है, सोयाबीन उत्‍पादन में महाराष्‍ट्र, मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान, कर्नाटक की हिस्‍सेदारी क्‍या है. साथ ही समझेंगे कि महाराष्‍ट्र में सोयाबीन की PSS पर खरीद का मतलब क्‍या है. मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान के सोयाबीन किसानों के लिए कब और क्‍या ऐलान संभव हो सकता है.

साेयाबीन उत्‍पादन में महाराष्‍ट्र, मध्‍य प्रदेश की हिस्‍सेदारी

साेयाबीन उत्‍पादन में नंबर वन के खिताब को लेकर महाराष्‍ट्र और मध्‍य प्रदेश में संघर्ष होता रहता है. कुल जमा ताजे आंकड़ों से समझे तो मध्‍य प्रदेश ने महाराष्‍ट्र को पछाड़ कर सोया प्रदेश के खिताब पर कब्‍जा किया है. कृषि मंत्रालय के तरफ से बीते रोज जारी आंकड़ों के अनुसार 5.47 मिलियन टन सोयाबीन उत्‍पादन के साथ मध्‍य प्रदेश पहले नंबर पर है, जिसकी कुल उत्‍पादन में हिस्‍सेदारी 41.92 फीसदी है. जबकि महाराष्‍ट्र 5.23 मिलियन टन सोयाबीन उत्‍पादन के साथ दूसरे नंबर पर है, जिसकी कुल उत्‍पादन में हिस्‍सेदारी 40.01 फीसदी है. राजस्‍थान 8.96 फीसदी यानी 1.17 मिलियन टन उत्‍पादन के साथ तीसरे स्‍थान पर है. इसके बाद कर्नाटक, तेलांगाना की हिस्‍सेदारी है.

मध्‍य प्रदेश में सोयाबीन पर घमासान

मध्‍य प्रदेश को बीते रोज ही सोया प्रदेश का खिताब मिला है, लेकिन इस सोया प्रदेश के खिताब के साथ ही मध्‍य प्रदेश में सोयाबीन पर घमासान शुरू हो गया है. सोयाबीन पर घमासान के पीछे की कहानी ये है कि मौजूदा वक्‍त में मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र समेत देश की दूसरी मंडियों में सोयाबीन का दाम 3800 से 4000 रुपये क्‍विंटल चल रहे हैं, जबकि सोयाबीन का MSP 4892 रुपये क्‍विंटल है. कुल जमा किसानों को प्रति क्‍विंटल 1000 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों को होने वाले नुकसान का ये हाल तब है, जबकि नई फसल की आवक शुरू नहीं हुई है. किसानों का कहना है कि नई फसल की आवक शुरू होने पर दामों में और गिरावट होगी, जबकि मौजूदा समय में सोयाबीन के ये दाम पिछले 13 सालों में सबसे निचले स्‍तर पर हैं.

कुल जमा साेयाबीन के इन गिरते दामों से मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, कर्नाटक के किसान परेशान हैं. इस बीच मध्‍य प्रदेश में किसान संगठनों ने सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपये क्‍विंटल तय करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है. इस पूरे मामले में मध्‍य प्रदेश की किसान सियासत से लेकर राजनीति अपने पीक पर आ गई है. 

महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में PSS पर खरीद

मध्‍य प्रदेश में सोयाबीन पर घमासान जारी है. इस बीच केंद्रीय कृषि व किसान कल्‍याण मंत्रालय ने महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में सोयाबीन की खरीद PSS पर करने का ऐलान किया है. कृषि मंत्रालय ने अपने अधिकृत X हैंडल से पोस्‍ट करते हुए जानकारी दी है कि महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में केंद्र सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसियों को मूल्‍य समर्थन योजना (PSS) के तहत सोयाबीन की खरीद के लिए दिशानिर्देश दिए हैं ताकि किसानों को सोयाबीन की फसल बेचने में कोई कठिनाई न हो और उन्हें वित्तीय सुरक्षा मिल सके.

PSS क्‍या, इससे किसानों को फायदा क्‍या 

PSS यानी मूल्‍य समर्थन योजना का क्रियान्‍वयन केंद्र सरकार राज्‍यों में करती हैं, जिसके तहत किसी फसल के दाम MSP से कम होने की स्‍थिति में केंद्र सरकार अधिसूचित नोडल एजेंसी के माध्‍यम से उस फसल की खरीद MSP पर करती है. उस फसल की MSP पर तब तक खरीद सुनिश्‍चित की जाती है, जब तक उसके दाम बाजार में संतोषजनक स्‍तर तक ना बढ़ जाएं. इससे किसानों को फायदा होता है. मसलन, कम दाम में फसल बेचने को मजबूर किसानों को MSP मिलता है तो वहीं बाजार में दाम बढ़ने पर भी बेहतर लाभ मिलता है.

महाराष्‍ट्र में खरीद और चुनाव

केंद्र सरकार ने महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में MSP पर साेयाबीन की खरीद का ऐलान किया है. विशेष तौर पर MSP पर सोयाबीन खरीद का अधिक फायदा महाराष्‍ट्र के किसानों को होने की उम्‍मीद है. क्‍योंकि महाराष्‍ट्र साेयाबीन उत्‍पादन करने में शीर्ष पर है. तो वहीं महाराष्‍ट्र में सोयाबीन किसानों को फायदा पहुंचाने में बीजेपी का फायदा भी छिपा है.असल में महाराष्‍ट्र में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्‍तावित हैं, जिसमें जीत के लिए सोयाबीन किसानों का दिल जीतना संभवत: बीजेपी और महायुति सरकार की प्राथमिकता पर होगा. क्‍योंकि लोकसभा चुनाव में सोयाबीन किसानों को हुआ नुकसान महायुति को नुकसान पहुंचा चुका है. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद उपमुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी कह चुके हैं कि सोयाबीन किसानों के नुकसान की भरपाई भावांतर योजना से ना कर पाने से महायुति को चुनाव में नुकसान में उठाना पड़ा.

मध्‍य प्रदेश और राजस्‍थान में क्‍या समाधान

महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में सोयाबीन की MSP पर खरीद का ऐलान केंद्र सरकार ने किया है. इससे मध्‍य प्रदेश के किसानों में नाराजगी है. इसको लेकर किसान नेता राहुल राज ने कृषि मंंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल किया है. साथ ही मध्‍य प्रदेश में MSP पर खरीद करवाने की मांग की है. वहीं दूसरी तरफ मध्‍य प्रदेश में सोयाबीन पर राजनीति तेज होते हुए दिख रही है, जबकि राजस्‍थान में सोयाबीन का मामला अभी ठंडा पड़ा है. कुल जमा मध्‍य प्रदेश के किसान सोयाबीन के मुद्दे पर पोस्‍टर बॉय बनते हुए दिख रहे हैं तो वहीं राजनीति भी पीक पर है. ऐसे में समझा जा रहा है कि मध्‍य प्रदेश में अगर सोयाबीन पर महौल गरमाता है तो भावांतर योजना से किसानाें के नुकसान की भरपाई का ऐलान राज्‍य सरकार को करना हाेगा.

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