भारत को कृषि का देश भी कहा जाता है. यहां की 60 फीसदी से ज्यादा आबादी आज भी खेती पर निर्भर है. खेती के आलावा यहां पशुपालन, डेयरी व्यवसाय, पोल्ट्री फार्मिंग, मछली पालन भी बड़े स्तर पर किया जाता है. पिछले कुछ सालों में पशुपालन और डेयरी व्यवसाय की ओर लोगों को रूझान तेजी से बढ़ा है. लोग अतिरिक्त आय कमाने के लिए लगातार पशुपालन से जुड़ी गतिविधियों से जुड़ते जा रहे हैं. अगर आप भी पशुपालन के क्षेत्र से जुड़े हैं या फिर पशुपालन से जुड़ा कोई नया व्यवसाय शुरू करने जा रहे हैं, तो खबर आपके लिए बड़े काम की साबित हो सकती है.
इस खबर में हम आपको पशुपालन से जुड़ी सरकार योजनाओं के बारे में बताएंगे, जिनका लाभ उठाकर आप अपने व्यवसाय को तेजी से बढ़ा सकते हैं. इतना ही नहीं इन योजनाओं का लाभ उठाकर आप अपनी कमाई को डबल कर सकते हैं. तो आइए आपको इन योजनाओं के बारे में विस्तार से बताते हैं.
राष्ट्रीय गोकुल मिशन
स्वदेशी पशुधन के संरक्षण और स्वदेशी मवेशी नस्लों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ की शुरुआत की है. इस योजना के तहत न केवल देशी पशुओं के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है. बल्कि दूध की बढ़ती मांग को देखते हुए छोटे किसानों को भी इस योजना से जोड़ा जा रहा है. यदि आप स्थानीय नस्लों को पालना चाहते हैं और अच्छी आय अर्जित करना चाहते हैं, तो आप राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए आवेदन कर सकते हैं.
राष्ट्रीय डेयरी उत्पादन विकास कार्यक्रम
पिछले कुछ सालों में दूध और डेयरी उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है. जिसे वजह से डेयरी व्यवसाय का दायरा भी बढ़ाा है. अब ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा, शहर में रह रहे युवा भी इस व्यवसाय से जुड़ रहे हैं. तेजी से बढ़ते डेयरी व्यवसाय को देखते हुए सरकार ने अपना हाथ आगे बढ़ाया है. किसानों और युवाओं के लिए सरकार ने राष्ट्रीय डेयरी क्षेत्र विकास कार्यक्रम की शुरुआत की है. इस योजना के तहत डेयरी उत्पादकों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. ताकि, डेयरी उत्पादक अधिक कमाई कर पाएं. इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम में दूध की गुणवत्ता में सुधार, दूध की आपूर्ति बढ़ाना और डेयरी पशु नस्लों में सुधार करना शामिल है.
राष्ट्रीय पशुधन मिशन
इस योजना की शुरुआत 2014 में हुई थी. मौजूदा वक्त में देश के हजारों किसान इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं. ‘राष्ट्रीय पशुधन मिशन’ के तहत गाय, भैंस, बकरी, सूअर, खरगोश, भेड़ और मुर्गी जैसे डेयरी मवेशियों
के पालन को बढ़ावा दिया जाता है. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य पशु उत्पादकता में सुधार के साथ-साथ पशुधन प्रजनन के क्षेत्र में चयनात्मक प्रजनन में सुधार करना है, ताकि किसानों और पेशेवरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके.
पशुधन बीमा योजना
कृषि क्षेत्र की तरह ही पशुपालन का व्यवसाय भी काफी अनिश्चितता से भरा है. जहां छोटे जानवरों की कीमत कुछ हजारों में होती है. वहीं गाय और भैंस जैसे बड़े जानवरों के व्यापार के लिए पशुपालकों को सैकड़ों-हजारों रुपये के निवेश की आवश्यकता होती है. इसके विपरीत, जब जानवर बीमार हो जाते हैं या बीमारी, खराब मौसम या दुर्घटनाओं के कारण अचानक मर जाते हैं तो किसान और पशुपालक खुद को वित्तीय संकट में पाते हैं. ऐसी स्थितियों में किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए पशुधन बीमा योजनाओं की शुरुआत की गई है. इस योजना के तहत दुधारू मवेशियों और पशुधन की श्रेणी में आने वाले सभी जानवरों का बीमा किया जाता है. जिस पर सरकार 50-70% तक की सब्सिडी भी प्रदान करती है. योजना के तहत 50,000 रुपये तक का क्लेम देने का नियम है.
पशु किसान क्रेडिट कार्ड
किसान क्रेडिट कार्ड के बारे में तो आपने सुना होगा. जिसके तहत किसानों को खेती-बाड़ी से जुड़े कार्यों के लिए लोन दिया जाता है. उसी तरह पशुपालकों को सरकार ‘पशु किसान क्रेडिट कार्ड’ प्रदान करती है. ताकि पशुपालन से जुड़े कार्यों के लिए पशुपालक लोन ले सकें. यह कार्ड मछली पालकों, मुर्गी पालकों, भेड़, बकरियों, मवेशियों और भैंस पालकों को छोटी-मोटी प्रजनन संबंधी जरूरतों और खर्चों को कवर करने के लिए कम ब्याज पर ऋण प्रदान करता है.
पशु किसान क्रेडिट कार्ड पशुपालकों को 7 प्रतिशत की ब्याज दर पर 1,80,000 रुपये का असुरक्षित ऋण प्रदान करता है और सरकार ब्याज राशि पर 3 प्रतिशत तक की छूट भी देती है. पशुपालक चाहें तो पशु किसान क्रेडिट कार्ड पर भैंस के लिए 60,249 रुपये और गाय के लिए 40,783 रुपये का लोन ले सकते हैं. पशु किसान क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल सीधे एटीएम पर भी किया जा सकता है और आप अपने पशुधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसे निकाल सकते हैं. अगर आप भी पशु किसान क्रेडिट कार्ड लेना चाहते हैं तो इसके लिए नाबार्ड या अपनी स्थानीय बैंक शाखा से संपर्क करें.
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना
देश में पिछले कुछ सालों में मछली पालन का बिजनेस काफी से पॉपुलर हुआ है. मछली पालन में मोटा प्रॉफिट देख अब कई युवा इसे शुरू कर रहे हैं. पहले जहां सिर्फ मछुआरे नदी और समुद्र से मछली इकट्ठा किया करते थे. वहीं, अब मछली पालन खेत और घरों में भी होने लगा है. मौजूदा वक्त में कहीं भी तालाब बनाकर मछली पालन किया जा सकता है. ऐसे में मछली पालन के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ की शुरुआत की है. जिसके तहत मछली पालन के लिए लोन और निशुल्क प्रशिक्षण की सुविधा दी जाती है. इसके साथ साथ एससी-एसटी वर्ग के लाभार्थियों और महिला लाभार्थियों को 60 फीसदी अनुदान भी दिया जाता है.