Home खेती किसानी पशुपालकों को पता ही नहीं चलता और गाय-भैंस हो जाती हैं बांझ

पशुपालकों को पता ही नहीं चलता और गाय-भैंस हो जाती हैं बांझ

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गाय, भैंस, बकरी आदि पशुओं के पालकों के लिए जरूरी खबर है. इन दिनों ऐसे पशुओं में बांझपन की समस्या बढ़ गई है. पशु चिकित्सक के अनुसार, पशुओं में पोषक तत्वों की कमी से ऐसा हो रहा है. यदि समय पर इस बीमारी की पहचान और उपचार शुरू नहीं किया गया तो पशुपालकों को भारी नुकसान सहना पड़ सकता है. ऐसे में पशु चिकित्सक ने पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई हैं.

पशु चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि पशुओं में दो प्रकार के बांझपन की समस्या सामने आती है. इसमें एक में मादा पशु गर्भाधान नहीं कर पाती. दूसरे में मादा पशु के गर्भाधान होने के बाद यह सफल नहीं हो पाता. इन दोनों समस्याओं के समाधान के लिए मादा पशुओं को नियमित तौर पर मिनरल मिक्सचर को चारे के साथ खिलाना चाहिए. पशुओं को कंसंट्रेट नहीं खिलाने, नमक नहीं देने से भी यह समस्या सामने आती है. साथ ही, मादा पशु को हर 3 महीने में कृमि नाशक दवा खिलानी चाहिए.

बांझपन के समाधान के लिए घरेलू उपचार
पशु चिकित्सक ने बताया कि जो पशु समय से गर्भाधान नहीं कर पाते उन्हें सरसों की खली नियमित रूप से खिलानी चाहिए. घरेलू उपचार के तहत पशु के वजन के अनुसार अंकुरित गेहूं 7 दिनों तक खिलाने से भी इस समस्या में राहत मिलती है. वहीं, कम से कम 20 दिनों तक नियमित तौर पर मिनरल मिक्सचर भी चारा के साथ खिलाना चाहिए. बार-बार गर्भाधान असफल होने पर पशु चिकित्सक से पशु की जांच करानी चाहिए. कई बार इंफेक्शन, यूट्रस में सूजन की वजह से भी यह समस्या सामने आती है.

गर्भाधान में सिस्ट की समस्या बन सकती है रुकावट
डॉक्टर ने बताया कि सामान्य तौर पर 21 दिनों में पशु गर्भाधान के लिए तैयार हो जाती है. लेकिन, कई बार सिस्ट की समस्या से पशु 15 दिन या 30 दिनों में गर्भाधान के लिए तैयार होती है. ऐसे में पशुपालकों को पशु चिकित्सक से पशु की जांच करवाकर उचित इलाज करना चाहिए. उन्होंने बताया कि यदि समय से इस समस्या को लेकर पशु चिकित्सक की सलाह का पालन किया जाए तो काफी कम खर्चे में समस्या का निदान हो सकता है.

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