भोपाल स्थित सेक्स सोर्टेड वीर्य उत्पादन लैब में की जा रही नवीन तकनीकी के उपयोग से 90 प्रतिशत बछिया पैदा हो रही हैं। प्रयोगशाला में 2 लाख डोज (स्ट्रा) प्रतिवर्ष का लक्ष्य रखा गया है। इससे न केवल दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो रही है, अपितु उत्तम नस्ल का गोवंश तैयार हो रहा है। भारतीय देशी नस्लों का संरक्षण भी किया जा रहा है।
केंद्रीय बीज उत्पादन संस्थान, भोपाल में सेक्स सोर्टेड वीर्य उत्पादन लैब, फ्रोजन सीमन उत्पादन लैब और दुग्ध बुल मदर फार्म का निरीक्षण किया और वहां की जा रही विभिन्न गतिविधियों और नवीन प्रयोगों के लिए चिकित्सकों, प्रबंधकों और सभी संबंधितों की सराहना की गई ।
फ्रोजन सीमन उत्पादन लैब के निरीक्षण के दौरान बताया गया कि यहां 14 विभिन्न नस्लों की गाय – भैंस के वीर्य का उत्पादन किया जाता है। प्रयोगशाला में उच्च अनुवांशिकता गुणवत्ता वाले 200 से अधिक सांड हैं, इनमें जाफराबादी, मुर्रा, साहिवाल, गिर, थारपारकर मालवी, निमाड़ी सांड गिर एवं साहीवाल शामिल हैं। यह सफलतम प्रयोगशाला है, जिसमें नस्ल सुधार के अंतर्गत 400 से अधिक वत्स उत्पादित किए जा चुके हैं।