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बहुमत के बाद भी किसानों को2700 रुपए प्रति क्विंटल के भाव नहीं दिए गए,इससे किसानों में नाराजगी

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मध्य प्रदेश की डॉ. मोहन यादव प्रदेश में कार्य करते हुए तीन माह से अधिक समय हो चुका है। इस दौरान प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार ने किसानों से लेकर आम जनता के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। प्रदेश सरकार के छोटे से इस कार्यकाल में विकास के कैसा कार्य शुरू हुए हैं लेकिन इस बीच प्रदेश सरकार के एक निर्णय से असंतोष की भावना है। मोहन सरकार के इस निर्णय की पूरी जानकारी एवं इसका क्या असर पड़ेगा..

मोहन सरकार ने किसानों के हित में यह निर्णय लिए

मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने किसानों के हित में अब तक कई निर्णय लिए हैं इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण निर्णय केन बेतवा नदी लिंक परियोजना को स्वीकृति देना बताया जा रहा है। इस परियोजना से प्रदेश की सैकड़ो एकड़ जमीन पर सिंचाई हो सकेगी। इसके अलावा अन्य सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति भी दी गई।

मोहन सरकार के इस निर्णय से किसानों में असंतोष

प्रदेश सरकार ने किसानों को सहकारी बैंक से कृषि ऋण जमा करने की अवधि बढ़ा दी है इसका भी फायदा किसानों को मिलेगा। राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि खरीफ 2023 सीजन में वितरित अल्पकालीन फसल ऋण की देय तिथि 28 मार्च, 2024 से बढाकर 30 अप्रैल, 2024 रखी जाये।

विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान कांग्रेस एवं भाजपा दोनों प्रमुख पार्टियों ने अपने-अपने घोषणा पत्र जारी किए थे। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में किसानों के लिए उल्लेख किया गया था कि किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 3100 रुपए प्रति क्विंटल एवं गेहूं की खरीदी 2700 रुपए प्रति क्विंटल पर की जाएगी। इसे पीएम मोदी की गारंटी कहा गया था।

लेकिन विधानसभा चुनाव 2023 में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद भी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के 2700 रुपए प्रति क्विंटल के भाव नहीं दिए गए। इसके स्थान पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपए के अतिरिक्त 125 रुपए बोनस दिए जाने की घोषणा राज्य सरकार ने की है किसानों में इसी बात की नाराजगी है इसी को लेकर असंतोष है। किसान संगठन Farmers’ Organization इसका विरोध कर रहे हैं एवं राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि गेहूं की सरकारी खरीदी 2700 रुपए प्रति क्विंटल पर की जाए।

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