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 इंदौर में पराली जलाने वाले 3 किसान पर FIR, 770 किसानों पर लगा जुर्माना

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एमपी में पराली जलाने पर जुर्माना और ना जलाने पर पैसे देगी मोहन सरकार

इंदौरः मध्यप्रदेश में पराली जलाने के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। हालात ये हो गए हैं कि राज्य अब पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ चुका है। इस बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए इंदौर जिला प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है। किसानों पर तगड़ा जुर्माना लगाने के साथ खेत मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना शुरू कर दिया है। बुधवार को पराली जलाने के मामले में हातोद, जूनी इंदौर और बिचोली हप्सी क्षेत्रों के 3 किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई है।

दरअसल, जिला प्रशासन की तरफ से चलाए जा रहे अभियान के अंतर्गत अब तक 770 किसानों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। जिनसे 16 लाख 72 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया है। केवल बुधवार को ही 102 किसानों पर तीन लाख नौ हजार 500 रुपये का दंड लगाया गया। कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि किसानों को लगातार समझाइश दी जा रही है कि वे खेतों में फसल अवशेष न जलाएं। इससे वातावरण को गंभीर नुकसान होता है।

पराली जलाने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई

प्रशासन की ओर से ग्राम पंचायत स्तर पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। जिनमें किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान और कानूनी परिणामों की जानकारी दी जा रही है। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि जो किसान इसके बावजूद नियमों का उल्लंघन करेंगे उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

इतना लग रहा जुर्माना

राज्य शासन की अधिसूचना के अनुसार, दो एकड़ तक की जमीन पर पराली जलाने वाले किसानों पर 2500 रुपये, दो से पांच एकड़ वालों पर 5000 रुपये और पांच एकड़ से अधिक भूमि पर 15,000 रुपये का जुर्माना निर्धारित है। यह अभियान आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा।

कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि हमारा उद्देश्य किसानों को जागरूक करना है। लेकिन बार-बार समझाने के बाद भी अगर नियमों का उल्लंघन होता है तो प्रशासन को सख्ती करनी ही होगी।

किसानों में दिख रही नाराजगी

पराली जलाने के लिए सरकार के तरफ से लगाए जा रहे जुर्माने से किसान परेशान है। किसानों का कहना है कि पराली जलाना गलत है। लेकिन ऐसे मामले में जुर्माना सही नहीं है। इनकी मांग है कि कृषि विभाग के अधिकारियों निरीक्षण करना चाहिए। साथ ही पराली जलाने का वैकल्पिक रास्ता निकालना चाहिए।पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल में संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने कहा,‘‘हम मानते हैं कि खेतों में पराली जलाना गलत है, लेकिन ऐसे मामलों में किसानों पर एकाएक मोटा जुर्माना लगा दिया जाना भी अनुचित है।’’उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा गांवों का दौरा किये जाने और पराली को नष्ट करने के लिए वैकल्पिक इंतजाम करने की मांग की।

पराली नहीं जलाई तो किसानों को मिलेगा पैसा:एमपी सरकार की नई स्कीम, एक एकड़ खेत वाले किसान को मिलेंगे 1500 से 3 हजार रुपए

एमपी में पराली जलाने पर जुर्माना और ना जलाने पर पैसे देगी मोहन सरकार। जानिए नई योजना से किसे कितना फायदा होगा।

बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए मध्यप्रदेश में नरवाई / पराली ना जलाने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे है। कृषि विभाग के अधिकारी बताते हैं कि हरियाणा, पंजाब, दिल्ली के बाद पराली जलाने की घटना मध्यप्रदेश में बढ़ती जा रही है।

ऐसे में मोहन सरकार पराली ना जलाने वाले किसानों के लिए नई योजना लेकर आई है। इस योजना को अन्नदाता मिशन कृषक कल्याण मिशननाम दिया है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को पराली ना जलाने सहित 5 शर्तें पूरी करने पर अनुदान दिया जायेगा।

इस योजना के जरिए किसानों की आय बढ़ाने के साथ साथ उन्हें जलवायु अनुकूल खेती और फसलों के सही दाम दिलाना है। बता दें कि मंगलवार यानी 15 अप्रैल को हुई कैबिनेट मीटिंग में इस मिशन को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।यदि आप प्रदेश सरकार की नई योजना अन्नदाता मिशन(कृषक कल्याण मिशनका लाभ लेकर प्रोत्साहन राशि प्राप्त करना चाहते है? तो आइए जानते है किन्हें किन 5 शर्तों पर कितनी दी जायेगी सब्सिडी…

प्रोत्साहन राशि के 5 शर्तों को पूरा करना जरूरी

नई योजना अन्नदाता मिशन कृषक कल्याण मिशन के तहत जो किसान सरकार की पांच शर्तों को पूरा करेंगे उन्हें सरकार की तरफ से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इन पांच शर्तों में पराली जलाने से मुक्त खेती को अपनाने के साथ कीटनाशकों का कम इस्तेमाल करने की भी शर्त शामिल है।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय में बढ़ोतरी, जैविक और प्राकृतिक खेती के क्षेत्र को बढ़ाना, खेती को जलवायु अनुकूल बनाना, किसानों को उच्च गुणवत्ता के खाद-बीज और कीटनाशनक उपलब्ध कराना, सस्ते ब्याज दरों पर लोन दिलाना और फूड प्रोसेसिंग और कृषि आधारित उद्योग पर फोकस करना है।

किसानों के लिए प्रोत्साहन राशि हेतु यह है पांच निम्न शर्तें –

1- पराली जलाने से मुक्त खेती को अपनाना।

2- कृषि ऋण का समय पर भुगतान।

3- उर्वरक का बहुत कम इस्तेमाल वाली तिहलन व दलहन फसल का उत्पादन।

4- पानी के बहुत कम उपयोग वाली कृषि पद्धतियों को अपनाना।

5- कीटनाशकों का कम से कम उपयोग।

योजना के अंतर्गत कितनी दी जायेगी प्रोत्साहन राशि

कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अन्नदाता मिशन के तहत किसानों को 1500 रुपए से लेकर 3000 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए किसानों को 5 शर्तों को पूरा करना होगा। इनमें तीन शर्तें अहम है।

पहली- पराली जलाने से मुक्त खेती को अपनाना, दूसरी- खेती के लिए लिए गए लोन का समय पर भुगतान। तीसरी शर्त के रूप में कीटनाशकों का कम इस्तेमाल यानी जैविक खेती की पद्धति को अपनाना है। इन तीनों शर्तों के अलावा तिलहन और दलहन की फसलें और ड्रिप इरिगेशन पद्धति को बढ़ावा देना भी शामिल है।

अधिकारी के मुताबिक मप्र के किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत 12 हजार रुपए प्रतिवर्ष मिल रहे हैं। इन पांच शर्तों को किसान पूरा करते हैं तो उन्हें 15 हजार रु. तक मिल सकते हैं। ये एक तरह से इन्सेंटिव होगा।

नई स्कीम में कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देने का प्लान

| कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय के एक अधिकारी बताते हैं कि पराली को रिसाइकिल किया जा सकता है। इसके लिए कृषि यंत्रों की जरूरत पड़ती है। सरकार की कोशिश है कि इन कृषि यंत्रों तक किसानों की पहुंच बन सके।इसके लिए यंत्रों पर सब्सिडी देने का भी प्रावधान किया जा रहा है। ताकि किसानों के साथ स्व सहायता समूह या बेरोजगार युवा इन्हें खरीद कर किराए पर दे सके। इससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

हैप्पी सीडर और सुपर सीडर जैसे कृषि उपकरणों के इस्तेमाल से पराली को हटाया जा सकता है। हैप्पी सीडर ऐसा यंत्र होता है जो खेत में लगी पराली हटाने के साथ बुवाई भी करता है। वहीं सुपर सीडर ऐसा यंत्र होता है जो पराली को हटाने के साथ उसे जमीन के नीचे दबा देता है।इन दोनों कृषि यंत्रों की कीमत करीब दो लाख रु. है इसके लिए सरकार 40 फीसदी सब्सिडी दे रही है। इसके अलावा हार्वेस्‍टर के साथ एसएमएस का उपयोग, मल्‍चर, श्रेडर, स्‍ट्रा रीपर जैसे उन्‍नत कृषि यंत्रों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी : कैलाश विजयवर्गीय

मप्र में लघु और सीमांत किसानों की संख्या सबसे ज्यादा है, मगर उन तक तकनीक और संसाधनों की सीमित पहुंच है। मानसून पर निर्भरता की वजह से ये किसान फसल का सही उत्पादन भी नहीं कर पाते। जिसकी वजह से उन्हें फसल के उचित दाम नहीं मिलते। :कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि अन्नदाता की आय बढ़ाने के साथ वे खेती के साथ और भी व्यवसाय कर सके इसके लिए सरकार ने पॉलिसी बनाई है। कृषि विभाग के अलावा उद्यानिकी एवं फूड प्रोसेसिंग, खाद एवं नागरिक आपूर्ति, सहकारिता, पशुपालन एवं डेयरी और मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास विभाग को भी इसमें जोड़ा गया है। :

किसानों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे जलवायु अनुकूल खेती करें। साथ ही ऐसी फसलों का उत्पादन करें जो पोषण और खाद्य सुरक्षा तय करते हैं। विजयवर्गीय ने कहा कि इस पॉलिसी के जरिए गौशालाओं को बढ़ावा देने का काम भी किया जाएगा। इसके लिए आहार, डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ की व्यवस्था भी सरकार करेगी।

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