अग्नेय दिशा का बेड मे सोने वाले दंपति मे स्नेह या लगाव नही रहेगा, जो भी क्रियाएँ होगी वो यंत्रवत होगी, यहाँ अग्नि तत्व का प्रभाव होने से गर्भ धारणा की संभावना बहुत नहीवत् होगी. अगर गर्भ रह गया तो बच्चा गुस्सा से भरा रहेगा. सूर्य नाड़ी के कारण उसका जीवन भी दुखद होगा.
वायव्य मे वायु तत्व प्रभावित होगा, यहाँ पति पत्नि के बीच नाग नागिन जैसा स्नेह होगा. पर यहाँ बिजन्कुरंन की संभावना कम रहेगी. यहाँ बीज हवा मे सुक जायेगा. अगर गर्भ रह गया तो बेटा – बेटी जैसा होगा, बेटी उच्च स्तर की होगी.
ईशान्य का बेड मे सोने वाले पति पत्नी निःसंदेह प्रभु भक्त बन जायेंगे, यहाँ बिजन्कुरंन रहने बिल्कुल संभावना नहीं है, बीज जल के साथ बह जायेगा. फिर भी गर्भ रह गया तो बच्चा जल जैसा सरल या डेढ़ शाना होगा.
नेरूत्य मे भूमि तत्व की मौजूदगी बिजन्कुरंन की संभावना को बढ़ा देता है, यह विभाग को रंग शाला कहते है. यहाँ पैदा होने वाला बच्चा 36 लक्षण वाला चतुर, होगा. जो परिवार की कीर्ति को चारो तरफ लहराता है, कुशल व्यक्तित्व के साथ समृद्ध जीवन जीके मुक्ति तक पहुँच पाता है. इसीलिए उत्तम बेड रूम नेरूत्य का कहा गया है.