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मेंथा फसल के लिए जरूरी हैं ये उर्वरक, IFFCO एक्सपर्ट ने बताया खेती का सही तरीका

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मेंथा की देरी से बुवाई करने वाले किसानों को अच्छी पैदावार और मुनाफा हासिल करने के लिए 3 खास उर्वरकों को इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है. इफको वैज्ञानिकों के अनुसार फरवरी से अप्रैल के बीच में मेंथा की बुवाई की जाती है और जून में इसकी कटाई शुरू हो जाती है. लेकिन, देरी से बोई गई फसल की कटाई अगस्त तक होगी. ऐसे में जुलाई-अगस्त में बारिश के चलते अत्यधिक नमी और कीटों से फसल को बचाना जरूरी हो जाता है. 

उत्तर प्रदेश के बदायूं, बाराबंकी, रामपुर, पीलीभीत, सोनभद्र और फैजाबाद समेत कई जिलों में मेंथा की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इस्तेमाल कर सुगंधित इत्र और महंगी- महंगी दवाइयां बनाई जाती हैं. कम समय में ही किसान इस फसल की खेती कर मालामाल हो सकते हैं. मेंथा का तेल 1000 रुपये से 2800 रुपये प्रति किलो तक कीमत पर बिकता है. देरी से बुवाई करने वाले किसानों की फसल लगभग कटाई के लिए तैयार है. फसल को बारिश के चलते अत्यधिक नमी से होने वाले नुकसान से बचाना है. 

इन 3 उर्वरकों का इस्तेमाल कर सकते हैं किसान 

इफको एक्सपर्ट के अनुसार मेंथा की अच्छी फसल पाने के लिए किसानों को नैनो डीएपी से जड़ शोधन जरूरी है. इसके 40 दिन बाद नैनो डीएपी, नैनो यूरिया प्लस और सागरिका का छिड़काव किया जाना फायदेमंद होता है. इसके 60 दिन बाद फिर से उर्वरकों का छिड़काव करने चाहिए. इससे मेंथा का पौधा चौड़ी पत्तियोंदार हो जाता है और रोगों से बचा रहता है. इन उर्वरकों के इस्तेमाल से मेंथा की फसल तो अच्छी होती ही और बल्कि धान की बुवाई के लिए भी खेत तैयार बना रहता है. 

मेंथा के बाद इन फसलों की बुवाई करें किसान 

उत्तर प्रदेश के अलावा मेंथा की खेती उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, बिहार, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और हिमाचल में भी होती है. खास बात ये है कि 100-120 दिनों की फसल होने के चलते मेंथा की कटाई के बाद कई फसलों का उत्पादन किया जाता है. पंजाब, हरियाणा के किसान मेंथा की कटाई के बाद धान की बुवाई कर सकते हैं. यूपी बिहार के किसान मेंथा के बाद मक्का और फिर आलू की बुवाई कर सकते हैं. 

एक हेक्टेयर में औसत 100 लीटर तेल का उत्पादन 

एक्सपर्ट के अनुसार मेंथा की खेती एक हेक्टेयर में करने पर करीब 25 हजार रुपये तक का खर्च आता है. मेंथा का तेल का रेट अभी 1000 से 1500 रुपये प्रति किलो बिकता है. जबकि, एक साल पुराना 2800 रुपए प्रति किलो की कीमत पर बिकता है. एक हेक्टेयर खेत में मेंथा की उपज से करीब 100 लीटर तक तेल का उत्पादन हासिल किया जा सकता है. अगर 1500 रुपये कीमत पर 100 किलो तेल की बिक्री होती है तो 1.5 लाख रुपये हासिल किए जा सकते हैं. 

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