Home खेती किसानी मुलहठी की जड़ों में छिपे हैं तंदुरुस्ती के राज

मुलहठी की जड़ों में छिपे हैं तंदुरुस्ती के राज

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मुलहठी विटामिन ‘बी’ और ‘ई’ का अच्छा स्रोत है. इसमें फॉस्फोरस, सिलिकॉन, जिंक, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और सेलेनियम जैसे तत्व होते हैं. इसकी जड़ बाजार में विभिन्न रूपों में आसानी से उपलब्ध है. इसका उपयोग सूखी जड़, पाउडर या कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है.

मुलहठी एक लाभकारी जड़ी बूटी है. आमतौर पर लोग इसका इस्तेमाल सर्दी या खांसी से राहत पाने के लिए करते हैं. गले की खराश में इसका उपयोग सबसे अधिक प्रभावी होता है. हालाँकि, मुलहठी के फायदे सिर्फ इतने ही नहीं हैं बल्कि इसका उपयोग मुख्य रूप से आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में किया जाता है. इसकी जड़ों में कई फायदे छुपे होते हैं. क्या-क्या हैं इसके फायदे आइए जानते हैं. मुलहठी एक झाड़ीदार पौधा है. आमतौर पर इस पौधे के तने को छाल के साथ सुखाकर उपयोग किया जाता है. इसके तने में कई औषधीय गुण होते हैं. इसका स्वाद मीठा होता है. यह दांतों, मसूड़ों और गले के लिए बहुत फायदेमंद है. इसी वजह से आज मुलहठी का इस्तेमाल कई टूथपेस्ट में किया जाता है.

कई गुणों का भंडार है मुलहठी

मुलहठी विटामिन ‘बी’ और ‘ई’ का अच्छा स्रोत है. इसमें फॉस्फोरस, सिलिकॉन, जिंक, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और सेलेनियम जैसे तत्व होते हैं. इसकी जड़ बाजार में विभिन्न रूपों में आसानी से उपलब्ध है. इसका उपयोग सूखी जड़, पाउडर या कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है. इसका उपयोग अधिकतर टूथपेस्ट, मिठाइयों और पेय पदार्थों में किया जाता है. इसकी किस्मों में टिपिका, रीगल और हर्ड मीठी हैं, जबकि ग्लैडुलिफेरा और वालडस्ट थोड़ी कड़वाहट के साथ मीठी हैं. इसकी उत्पत्ति उत्तर भारत, दक्षिणी यूरोप और पाकिस्तान में हुई. इसे हिंदी में मुलहठी, संस्कृत में यष्टिमधु और आयुर्वेदिक भी कहा जाता है. इस औषधीय पौधे की खेती भारत, पश्चिमी चीन, एशिया माइनर, स्पेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, सीरिया, हंगरी आदि में की जाती है.

मुलहठी के औषधीय उपयोग

मुलहठी में खांसी, ब्रोंकाइटिस, कब्ज, आंतों के अल्सर, गुर्दे, यकृत और फेफड़ों के रोगों, अपच को ठीक करने और मनुष्यों में वायरस और बैक्टीरिया को रोकने या घावों को जल्दी भरने का गुण भी होता है. इसके सेवन से शरीर में सोडियम क्लोराइड और पानी को बनाए रखने की क्षमता बढ़ती है. यह शरीर के अंगों में सूजन और दर्द को रोकने में भी बहुत प्रभावी है.

मुलहठी की खेती का तरीका

इसकी खेती हल्की दोमट मिट्टी जिसका pH मान 6-8.2 हो, में की जाती है. इसकी खेती के लिए लंबे शीत ऋतु के साथ गर्म, शुष्क और उष्णकटिबंधीय जलवायु अच्छी होती है. मुलहठी के पौधे की ऊंचाई 1.2 मीटर तक होती है. इसे विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे सर्कोस्पोरालीफ़, रूट-रॉट, कॉलररोट, विल्टिंग, लीफ स्पॉट और दीमक आदि से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के रसायनों का उपयोग करना चाहिए. उत्तर भारत में, मुलहठी की खुदाई नवंबर या दिसंबर में की जाती है. खुदाई के समय जड़ों में नमी 50-60 प्रतिशत होती है. धोने के बाद इसे 3 दिन तक धूप में और फिर 10-12 दिन तक छाया में सुखाएं. बाद में इन्हें उचित आकार में काट कर पॉलिथीन की थैलियों में भर लें. इसकी कीमत 120 रुपये प्रति किलो और पाउडर की कीमत 125 रुपये प्रति किलो है.

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