सिंजेंटा इंडिया ने भारत में किसानों के लिए दो नए फसल सुरक्षा उत्पादों – मिराविस® डुओ और रिफ्लेक्ट®️ टॉप – के लॉन्च किये है। ये उत्पाद फसल सुरक्षा में क्रांति लाने और किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली उपज सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
टमाटर, मिर्च, मूंगफली , अंगूर के लिए मिराविस® डुओ
मिराविस® डुओ, जो ADEPIDYN® तकनीक से संचालित है, टमाटर, मिर्च, मूंगफली और अंगूर में उपयोग के लिए अप्रूव्ड कवकनाशी है। यह पाउडरी फफूंदी, एन्थ्रेक्नोज और पत्ती धब्बों जैसे रोगों पर उत्कृष्ट नियंत्रण प्रदान करता है। यह अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर के किसान हर साल फफूंद रोगों के कारण अपनी फसलों का 23 प्रतिशत तक खो देते हैं। मिराविस® डुओ विश्वसनीय सुरक्षा देता है, जिससे किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाली उपज मिलती है और निवेश पर रिटर्न में महत्वपूर्ण वृद्धि होती है।
धान के लिए रिफ्लेक्ट® टॉप
रिफ्लेक्ट® टॉप, डबल बाइंडिंग तकनीक से सुसज्जित है, यह धान के लिए एक विशेष फफूंदनाशक है, जो भारत में एक प्रमुख आहार है। यह शीथ ब्लाइट के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा प्रदान करता है। सिंजेंटा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कंट्री हेड और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री सुशील कुमार ने लॉन्च के अवसर पर कहा, “सिंजेंटा में, हम किसानों की चुनौतियों का उन्नत समाधान दे कर कृषि को बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मिराविस® डुओ और रिफ्लेक्ट® टॉप का समय पर लॉन्च हमारी नवाचार और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।हमें विश्वास है कि मिराविस® डुओ और रिफ्लेक्ट® टॉप फसल सुरक्षा में नए मानक स्थापित करेंगे।”
श्री कुमार ने बताया कि रिफ्लेक्ट®️ टॉप की अद्वितीय डबल बाइंडिंग तकनीक शीथ ब्लाइट से मुकाबले में मजबूत और दीर्घकालिक सुरक्षा देती है। यह फसल का साफ, हरा और स्वस्थ तना सुनिश्चित करता है।
मिराविस®️ डुओ के बारे में बात करते हुए कुमार ने कहा कि यह उत्पाद न केवल मिर्च की फसल के लिए एक गेम चेंजर है। “यह एक व्यापक-स्पेक्ट्रम समाधान है जो कई फसल प्रकारों को पाउडरी मिल्ड्यू, पत्ती धब्बा और एन्थ्रेक्नोज जैसे कई रोगों से बचाता है।”
उन्होंने खुलासा किया कि शुरू में इसे भारत में चार प्रमुख फसलों – मिर्च, टमाटर, मूंगफली और अंगूर – पर उपयोग के लिए लक्ष्य किया गया था, लेकिन इस उत्पाद की प्रभावशीलता इतनी अधिक है कि इसे दर्जनों अन्य फसलों पर भी लागू किया जा सकता है। भारत के किसानों को विश्वसनीय रोग नियंत्रण समाधान प्रदान करना स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं और निर्यात बाजारों को भी सुदृढ़ करने में मदद करेगा, क्योंकि अकेली मिर्च ही देश के कुल मसाला निर्यात का एक तिहाई से अधिक हिस्सा बनाती हैं।पिछले वित्तीय वर्ष में भारत के लाल मिर्च निर्यात का मूल्य 1.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है।