Home कारोबार कड़वी हो सकती है चीनी की मिठास! कीमतें बढ़ने के आसार

कड़वी हो सकती है चीनी की मिठास! कीमतें बढ़ने के आसार

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आने वाले दिनों में चीनी की मिठास कड़वी हो सकती है. क्योंकि, ऑफ सीजन में चीनों की कीमतों में वद्धि होने के आसार हैं. सेंट्रम ब्रोकिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में अब तक गन्ने की पेराइ पिछले सीजन के मुकाबले कम हुई, जिससे गन्ने का उत्पादन घट सकता है.

आम जनता एक बार फिर महंगाई की मार पड़ सकती है. लोगों के खाने में मीठे का स्वाद जरा महंगा होने वाला है. आने वाले दिनों में चीनी की कीमतों में इजाफा हो सकता है. सेंट्रम ब्रोकिंग की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया है. रिपोर्ट, के मुताबिक, ऑफ सीजन में चीनी की कीमतों में वृद्धि हो सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू चीनी की कीमतें स्थिर हो गई हैं. उत्तर प्रदेश में एक्स-मिल कीमत 37.5 रुपये प्रति किलोग्राम है और महाराष्ट्र में 34 रुपये प्रति किलोग्राम बनी हुई है.

क्या कहती है रिपोर्ट

बिजनेस लाइन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, “चीनी की कीमतें, जिनमें सीजन की शुरुआत में अनुकूल परिस्थितियां देखी गईं, लेकिन बाद में चीनी डायवर्जन पर कैप लगाए जाने के कारण इसमें सुधार हुआ और ये स्थिर होना शुरू हुई. हाल ही में, उत्तर प्रदेश में चीनी की कीमतें निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. अभी यहां कीमतें 37.5 से 38 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर हैं, जो लाभदायक और लाभकारी दर है. अभी पेराई सीजन हैं, लेकिन ऑफ-सीजन के दौरान कीमतों में वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है.

गन्ने की पेराई के आंकड़े

31 मार्च तक, 2023-24 चीनी सीजन (अक्तूबर-सितंबर) के राज्य-वार पेराई डेटा से पता चलता है कि पिछले सीजन की समान अवधि के दौरान 305 मिलियन टन के मुकाबले 295 मिलियन टन (एमटी) गन्ने की पेराई हुई है. राष्ट्रीय स्तर पर, इस वर्ष चीनी रिकवरी संख्या में साल-दर-साल आधार पर 10.15 प्रतिशत का सुधार हुआ है

रिपोर्ट के अनुसार, “इस पृष्ठभूमि में, हम 2023-24 में चीनी उत्पादन की उम्मीदों को संशोधित कर 32 मिलियन टन (पहले के अनुमान 31.7 मिलियन टन से) करते हैं, जबकि 2022-23 में यह 33.1 मिलियन टन था.” रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन में देर से वृद्धि (2.1 प्रतिशत तक) के कारण हुई है. हालांकि, यूपी (चीनी उत्पादन 9.7 प्रतिशत तक) में पिछले पखवाड़े में परिचालन मिलों में भारी गिरावट देखी गई है.

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