Home खेती किसानी कपास की खेती में गुलाबी बॉलवर्म का कहर , परेशान किसान

कपास की खेती में गुलाबी बॉलवर्म का कहर , परेशान किसान

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9 अगस्त 2024 तक देश में कपास की बुआई का क्षेत्र 1.10 करोड़ हेक्टेयर था, जो कि 2023 के मुकाबले नौ प्रतिशत की कमी को दर्शाता है. 2023 में इस समय तक 1.21 करोड़ हेक्टेयर बुआई की गई थी.कीट हमलों के कारण भारत में कपास की फसल पर मौजूदा समय में गंभीर संकट मंडरा रहा है. डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष के मुकाबले कपास की खेती में 10 लाख हेक्टेयर की कमी आई है.

नई दिल्ली:कीट हमलों के कारण भारत में कपास की फसल पर मौजूदा समय में गंभीर संकट मंडरा रहा है. डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष के मुकाबले कपास की खेती में 10 लाख हेक्टेयर की कमी आई है. यह कमी मुख्य रूप से कपास पर लगने वाले कीटों की बढ़ती संख्या और इनसे निपटने में किसानों की असमर्थता के कारण हुई है.
इस साल खरीफ की अधिकांश बुआई पूरी हो चुकी है, फिर भी वर्तमान क्षेत्र खरीफ सीजन के सामान्य लक्ष्य (1.29 करोड़ हेक्टेयर) से 10 लाख हेक्टेयर पीछे है. पंजाब, राजस्थान और हरियाणा सहित उत्तरी कपास बेल्ट में कपास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कमी देखी गई है. इन राज्यों को बार-बार गुलाबी बॉलवर्म कीट के हमलों का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण कई किसानों को कपास की फसल ही नहीं मिल पाई.
गुलाबी बॉलवर्म का कहर

गुलाबी बॉलवर्म एक कीड़ा है जो विकसित हो रहे कपास के कुछ हिस्सों जैसे चौकोर (फूल की कली) और बोल (कपास के रेशों के साथ बीज की गोल थैली) को नुकसान पहुंचाता है। इससे पहले 2022 में फसल में सफेद मक्खी का भयंकर प्रकोप था।

कपास की खेती पर बोरर कीट और सफेद मक्खी जैसी कीटों ने भारी हमला किया है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता में महत्वपूर्ण गिरावट आई है. रिपोर्ट के अनुसार, कपास के बोरर कीट ने फसल को गंभीर नुकसान पहुंचाया है, जिससे किसानों को कई बार कीटनाशक छिड़काव करना पड़ा है.

पंजाब के फरीदकोट जिले के किसान मनप्रीत सिंह ने डाउन टू अर्थ को बताया, “इसकी शुरुआत कई साल पहले कपास पर मीली बग के हमले से हुई थी और तब से अलग-अलग कीटों के हमले हुए हैं. इस बार मैं कोई जोखिम नहीं लेना चाहता था. मैंने इस बार अपनी पूरी चार हेक्टेयर जमीन पर धान की फसल बोई है.”

कपास की फसल पर आई इस संकट की वजह से कुल कपास की खेती में 10 लाख हेक्टेयर की कमी हो गई है. इससे न केवल किसानों की आय पर प्रतिकूल असर पड़ेगा बल्कि देश की कपास उत्पादन क्षमता भी प्रभावित होगी. 9 अगस्त 2024 तक देश में कपास की बुआई का क्षेत्र 1.10 करोड़ हेक्टेयर था, जो कि 2023 के मुकाबले नौ प्रतिशत की कमी को दर्शाता है. 2023 में इस समय तक 1.21 करोड़ हेक्टेयर बुआई की गई थी. इस वर्ष का लक्ष्य 1.29 करोड़ हेक्टेयर था, लेकिन बोया गया क्षेत्र इस अवधि में सामान्य क्षेत्र (2018-19 से 2022-23 तक का औसत) 1.20 करोड़ हेक्टेयर से भी कम है.

सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कुछ कदम उठाने की घोषणा की है. इनमें कीट नियंत्रण के लिए नई तकनीकों और सहायता योजनाओं को लागू करने की बात शामिल है. किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों और कीट नियंत्रण के उपायों के बारे में प्रशिक्षण देने के प्रयास किए जा रहे हैं. इसके अतिरिक्त, फसल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए जैविक कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं.

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को दीर्घकालिक और सतत समाधान प्रदान करने के लिए ठोस रणनीतियों की जरूरत है, ताकि भविष्य में कपास उत्पादन में स्थिरता बनी रहे और किसानों को ऐसे संकट का सामना न करना पड़े.

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