नीम का मानव शरीर को निरोगी व स्वस्थ बनाये रखने के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। आयुर्वेद में भी नीम का विशेष स्थान रहा है। पौधों और खेतों की सेहत बनाए रखने में भी अब इसका इस्तेमाल किया जाने लगा है। इसके उपयोग व गुणों को देखते हुए कई बड़ी कम्पनियां भी नीम की खाद बनाने लगी हैं।वर्तमान में इसकी लोकप्रियता में भारी इजाफा होने का कारण यह है कि यह खाद पर्यावरण पर्यावरण के अनुकूल है।
यह प्राकृतिक जैविक खाद और मिट्टी कंडीशन है जो मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करती है। इसके उपयोग से फलों व पौधों में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।
उपयोग के लाभ
नीम की खाद सौ प्रतिशत प्राकृतिक है, जिसके कारण इसे सभी फसलों, फलों और सब्जियों के लिए उपयोगी माना गया है। यह पौधों में पोषक तत्व को बढ़ाती है। इसके प्रयोग से नेमाटोड और अन्य कीटों से सुरक्षा होती है। जिसकी वजह से अन्य कीटनाशकों का उपयोग बहुत कम हो जाता है। इसके अतिरिक्त ये पत्ती की सतह क्षेत्र, क्लोरोफिल सामग्री को बढ़ाती है। जिसके कारण पौधे के आकार और उपज की भी बढ़ोतरी होती है।
नीम की जैविक खाद डालने से 80 % बीमारियों से हो सकेगा बचाव
नीम की खाद के प्रयोग से किसान फसलों में 80 प्रतिशत बीमारियों से बचा सकता है। इस खाद के प्रयोग से भूमि की उरर्वरता बनी रहती है तथा मित्र कीटों को भी नुकसान नहीं पहुंचता।
यह कहना है कि बागवानी विभाग के सहायक फिल्ड अधिकारी संदीप सांगवान का। उन्होंने बताया कि नीम की खाद तने की छाल तथा पत्तों से तैयार की जाती है। इस खाद के प्रयोग से फसलों में आने वाली 80 प्रतिशत बिमारियों से बचाया जा सकता है। यह खाद जमीन को कड़वा कर देता है, जिससे खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट मर जाते हैं। वहीं इस खाद का प्रयोग करने पर किसानों को यूरिया खाद तथा रासायनिक दवाओं के कम प्रयोग की आवश्यकता होती है, जिससे किसानों को धन की बचत होती है। उन्होंने बताया कि सरकार जैविक खाद नीम की खाद का प्रयोग करने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है।
बिजाईसे पहले करें खाद का प्रयोग: संदीपसांगवान ने बताया कि किसान नीम की खाद का प्रयोग फसल की बिजाई से पहले करें। किसान 150 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर नीम की खाद का प्रयोग एक एकड़ में कर सकतें हैं। खेत में खाद डालने के बाद भूमि की अच्छी प्रकार से जुताई करें, जिससे खाद पूर्ण रूप से भूमि में मिल जाए। इसके बाद किसान फसल की बिजाई कर सकतें हैं।
उन्होंने बताया कि फसलों में बिमारियों की रोकथाम के लिए नीम के जैविक तेल का छिड़काव कर सकते हैं। इस तेल की विशेषता यह है कि इसका हर प्रकार की फसल पर छिड़काव किया जा सकता है। किसान नीम के तेल की 300 एमएल मात्रा को 150 लीटर पानी में घोल तैयार कर प्रतिएकड़ में छिड़काव कर सकते हैं। इससे फसलों को हानि पहुंचाने वाले कीडे मर जाएंगे। मित्र कीट बचे रहेंेगे। इससे फसल निरोग रहेगी पैदावार अच्छी होगी तथा किसान को मुनाफा मिलेगा।