मूंग और उड़द की फसलों में पीला चितकबरी या मोजेक रोग और सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का खतरा बढ़ गया है. इस वर्ष की बंपर बारिश के कारण जिन खेतों में अधिक समय तक पानी भरा रहा वहां इन रोगों और कीटों के हमले की संभावना बढ़ गई है.
पीला चितकबरी या मोजेक रोग से बचाव के लिए, बीज की बुवाई जुलाई के पहले हफ्ते तक कतारों में करनी चाहिए. रोगग्रस्त पौधों को जल्द से जल्द उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए. कीटनाशकों का प्रयोग भी अत्यंत आवश्यक है.नई दिल्ली: इस वर्ष खरीफ सीजन में दालों की बुवाई में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है, जो भारत की दाल उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार मूंग दाल की बुवाई 33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले साल की इसी अवधि में की गई बुवाई की तुलना में 4 लाख हेक्टेयर अधिक है. इसी तरह उड़द दाल की बुवाई भी 28 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है. कुल मिलाकर सभी दालों की बुवाई 118 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो पिछले सीजन में 111 लाख हेक्टेयर की तुलना में 7 लाख हेक्टेयर अधिक है.
इस बंपर बुवाई के साथ ही किसानों को दो गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. विशेष रूप से मूंग और उड़द की फसलों में पीला चितकबरी या मोजेक रोग और सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग का खतरा बढ़ गया है. इस वर्ष की बंपर बारिश के कारण जिन खेतों में अधिक समय तक पानी भरा रहा वहां इन रोगों और कीटों के हमले की संभावना बढ़ गई है.
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने इन रोगों से बचाव के लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण सलाह दी है. पीला चितकबरी या मोजेक रोग से बचाव के लिए, बीज की बुवाई जुलाई के पहले हफ्ते तक कतारों में करनी चाहिए. रोगग्रस्त पौधों को जल्द से जल्द उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए. कीटनाशकों का प्रयोग भी अत्यंत आवश्यक है. डायमीथोएट 30 EC, ऑक्सिडिमेटान-मिथाइल 25% EC, और थायोमेथोक्साम-25 डब्लूजी जैसे कीटनाशकों का उपयोग करके फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है.
सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर, किसानों को खेत में पौधों की घनत्व को नियंत्रित करने की सलाह दी जाती है. इस रोग के लक्षणों के दिखने पर, मेंकोजेब 75 डब्लूपी या कार्बेन्डाज़िम 50 डब्लूपी का छिड़काव करना आवश्यक है. यह उपाय फसल की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं और रोग के प्रसार को नियंत्रित कर सकते हैं.इन उपायों के साथ, किसान अपनी फसलों को रोगों और कीटों के हमलों से बचा सकते हैं और बंपर बुवाई का लाभ उठा सकते हैं. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे स्थानीय कृषि विभाग से अतिरिक्त जानकारी और मार्गदर्शन प्राप्त करें.