पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से स्थानीय जरूरत पूरी करने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्याज और आलू के निर्यात पर रोक लगाई थी. इस फैसले से बांग्लादेश के लिए निर्यात होने वाले दोनों खाद्यान्न से भरे ट्रक 3 दिनों से महादीपुर बंदरगाह पर खड़े रहे हैं. इससे निर्यातकों को 12 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. जबकि, बांग्लादेश से कारोबार ठप रहने से भारतीय कोष में आने वाले डॉलर को भी झटका लगा है. हालांकि, राज्य सरकार ने 27 नवंबर को निर्यात खोल दिया है. महादीपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के ज्वाइंट सचिव ने कहा कि किसान तक के प्रमुखता से खबर प्रकाशित करने की वजह से स्थानीय प्रशासन पर दबाव बना. उन्होंने ‘किसान तक’ को धन्यवाद दिया.
महादीपुर बंदरगाह से बांग्लादेश को निर्यात होने वाले आलू और प्याज पर पश्चिम बंगाल सरकार ने 24 नवंबर को रोक लगा दी थी. फैसले के बाद मालदा जिला प्रशासन ने बंदरगाह जा रहे आलू और प्याज से ट्रकों को जहां तहां रोक कर खड़ा करा दिया था. महादीपुर एक्सपोर्ट एसोसिएशन ने मालदा प्रशासन और राज्य सरकार के इस मनमाने रवैये पर नाराजगी जताते हुए चिट्ठी लिखी थी. लेकिन 26 नवंबर तक सुनवाई नहीं होने पर एसोसिएशन ने विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) को चिट्ठी भेजकर प्रतिबंध हटवाने की गुहार लगाई थी.
इस मामले को प्रमुखता देते हुए 26 नवंबर को प्रकाशित किया था, जिसके बाद राज्य सरकार और जिला प्रशासन हरकत में आया और 27 नवंबर को निर्यात पर लगाई गई रोक हटा ली गई. सभी ट्रकों को महादीपुर बंदरगाह पर अनलोडिंग के लिए जाने दिया गया. महादीपुर एक्सपोर्ट एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी रिरॉय घोष ने ‘किसान तक’ के खबर प्रकाशित करने और उसके बाद एक्शन होने के लिए धन्यवाद दिया.
महादीपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रटरी ने ‘किसान तक’ को बताया कि रोक हटाए जाने से पहले तक यानी 26 नवंबर तक प्याज से भरे 120 ट्रक 3 दिन से खड़े थे. जबकि, आलू के करीब 100 ट्रक फंसे हुए थे. उन्होंने कहा कि 3 दिनों के दौरान भारी को भारी नुकसान पहुंचा है, जबकि कई ट्रकों में लदा काफी आलू खराब हो गया है. उन्होंने बताया कि रोक लगने की वजह से करीब 10 करोड़ रुपये का प्याज बर्बाद हो गया है. जबकि, 2 करोड़ रुपये कीमत तक का आलू खराब हुआ है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा इन दिनों के दौरान कारोबार ठप रहने की वजह से भारतीय कोष में डॉलर भी नहीं आ सका.