इंटीग्रेटेड गोट फार्मिंग ऐसा लाभकारी कृषि मॉडल है जिसमें बकरी पालन के साथ अन्य कृषि गतिविधियों को मिलाकर अधिकतम लाभ लिया जा सकता है. इस सिस्टम के माध्यम से किसान कई तरीके से कमाई कर सकते हैं और बकरी पालन और फसल उत्पादन के खर्च में कमी ला सकते हैं. दूसरी ओर कम उपजाऊ जमीन को भी उपजाऊ बना सकते हैं. इस तरह सभी नजरिये से यह फायदेमंद है
कृषि फसलों की उत्पादन मात्रा मौसमी परिवर्तनों के अनुसार बदलती रहती है. हाल के समय में, कृषि फसलों की स्थिर आय अस्थिर हो गई है. इसे सुधारने के लिए फसलों को पशुपालन जैसे कृषि आधारित उद्योगों के साथ एकीकृत करना जरूरी है. आज के समय में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मांस की बढ़ती मांग छोटे और सीमांत किसानों को बकरी पालन के माध्यम से अच्छा लाभ दे सकती है. कम निवेश और रखरखाव लागत की वजह से इसे कृषि फसलों के साथ समन्वय में किया जा सकता है. कम उपजाऊ जमीन में बकरी पालन सही तकनीक और प्रबंधन के साथ, कम उपजाऊ जमीन पर भी अच्छी आय और स्थिरता प्रदान कर सकता है. बकरी पालन से किसान कम लागत में भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. तमिलनाड़ कृषि विश्वविद्यालय कोंयबयटूर के अनुसार, एकीकृत बकरी पालन यानी इंटीग्रेटेड गोट फार्मिग एक ऐसी प्रणाली है जिसमें बकरी पालन को कृषि, कृषि वानिकी और चारा फसलों के साथ जोड़ा जाता है. इस प्रणाली में किसान अपनी संसाधन उपलब्धता के अनुसार बकरी पालन के साथ कृषि फसलें, फल बागवानी और वानिक को अपनाते हैं, जिससे लाभ का दायरा बढ़ाया जा सकता है.
इंटीग्रेटेड गोट फार्मिंग में कमाई ज्यादा
कम उपजाऊ जमीन पर खेती करना एक चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है. इंटीग्रेटेड बकरी पालन इस चुनौती का एक प्रभावशाली समाधान देता है. बकरी पालन न केवल किसानों को अच्छा लाभ प्रदान करता है, बल्कि कम उपजाऊ जमीन को भी उपजाऊ बनाने में सहायक होता है. बकरी पालन के दौरान बकरियां प्राकृतिक खाद का उत्पादन करती हैं. उनकी खाद का खेतों में उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है. यह खाद मिट्टी की पोषण तत्वों को पुनः स्थापित करती है, जिससे भूमि की गुणवत्ता में सुधार होता है और फसलों की उपज बढ़ती है.
बकरी पालन की प्रारंभिक लागत और रखरखाव खर्च अन्य बड़े पशुपालन की तुलना में कम होता है. बकरियां कम लागत में पाली जा सकती हैं और उनके लिए चारा भी स्थानीय स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है. जैसे कि फसल के अवशेष और हरी घास से कुल लागत घटती है और लाभ बढ़ता है. इंटीग्रेटेड बकरी पालन विशेष रूप से शुष्क क्षेत्रों जैसे रेगिस्थान में होता है जहां पथरीली जमीनें होती हैं, जहां खेती की संभावनाएं सीमित होती हैं. बकरी पालन अन्य दूसरे व्यवसायों से बेहतर लाभ देने वाला साबित हो सकता है.
इंटीग्रेटेड गोट फार्मिंग का तरीका
इंटीग्रेटेड गोट फार्मिग तकनीक में कम उपजाऊ भूमि पर उच्च प्रोटीन और मिनरल्स वाली घास, चारा फसलें और चारे वाले बड़े पौधे लगाए जाते हैं. साथ ही, फसलें भी उगाई जाती हैं जिससे बकरियों को साल भर चारा मिलता है. इसके अतिरिक्त, बकरी पालन के साथ फल बागवानी भी की जा सकती है. आम, सपोटा, अमरूद, नींबू, नारियल और इमली के पेड़ों के बीच चारा फसलें उगाने से बकरियों को चारा मिलता है और फल बागवानी से अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त होती है. यह चारा लागत को कम करने के साथ बकरी की उत्पादकता को भी बढ़ाता है. बकरी के मलमूत्र से खेतों की उर्वरता में वृद्धि होती है और पर्यावरण संरक्षण में भी सहायता मिलती है.
आर्द्रभूमि में बकरी पालन: एक एकड़ में 30 से 35 बकरियां पाली जा सकती हैं. इसमें साल भर चारे की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कंबू नेपियर CO-4, हेज़ लूसर्न और चारा ज्वार जैसी फसलों का उपयोग किया जा सकता है.
शुष्कभूमि में बकरी पालन: एक हेक्टेयर भूमि पर बकरी पालन करके 20 मादाएं और 1 नर रखे जा सकते हैं. इससे हर साल 45 बच्चों की संभावना होती है. बकरी और भेड़ों के गोबर से 200 किलोग्राम नाइट्रोजन, 106 किलोग्राम फास्फोरस, और 91 किलोग्राम पोटाश प्राप्त होता है, जो खेतों में उपयोग करके फसल की लागत कम की जा सकती है.
कृषि वानिकी और बकरी पालन: कृषि वानिकी के साथ बकरी पालन करने से अतिरिक्त लाभ होता है. इसमें 20 से 30 बकरियां पालने से सालना 40 से 50 हजार रुपये अतिरिक्त लाभ हो सकता है. इस प्रणाली में कम पानी की जरूरत होती है और बकरी की खाद का उपयोग खेतों की उर्वरता बढ़ाने के लिए किया जाता है.
इंटीग्रेटेड बकरी पालन के फायदे
इंटीग्रेटेड बकरी पालन से अतिरिक्त आय प्राप्त होती है. बकरी के मलमूत्र से भूमि की उर्वरता बढ़ती है जिससे फसलों की पैदावार में सुधार होता है. यह प्रणाली भूमि को स्थिर रखती है और अपशिष्ट का पुनर्चक्रण करती है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है. कम उपजाऊ भूमि पर प्रोटीन और मिनरल्स से भरपूर घास और चारा फसलें उगाकर साल भर बकरियों को चारा मिलता है. इंटीग्रेटेड बकरी पालन में बकरी और फसल उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है. इंटीग्रेटेड गोट फार्मिग में बकरियों को संतुलित आहार मिल जाता है. इससे बकरियों का तेजी से विकास होता है जिससे अधिक लाभ प्राप्त होता है.
किसान अपने संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार इंटीग्रेटेड बकरी पालन को अपनाते हैं, तो वे अपने जीवन स्तर में सुधार कर सकते हैं. बकरी पालन में प्रारंभिक निवेश और रखरखाव की लागत अपेक्षाकृत कम होती है. इसलिए, इसे कृषि फसलों के साथ आसानी से समन्वयित किया जा सकता है. यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है. इस तरह एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत बकरी पालन करना एक लाभकारी और स्थिर कृषि व्यवसाय के रूप में उभर सकता है.