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भारत की कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने की रणनीति

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सरकार बासमती चावल, अल्कोहल युक्त पेय, शहद, आम, केला सहित 20 ‘उच्च संभावना’ वाले कृषि उत्पादों के निर्यात बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रही है। इस सिलसिले में अगले 3 महीने में कार्ययोजना तैयार हो जाएगी।

वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि वाणिज्य विभाग के साथ कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने राज्य सरकारों सहित सभी हिस्सेदारों से चर्चा शुरू कर दी है। इस समय वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी कम है।

इस तरह की योजना बनाना अहम है क्योंकि भारत के कुल मिलाकर कृषि निर्यात में पिछले एक साल से कमी आई है। इसकी वजह चावल, गेहूं, चीनी, प्याज जैसे आवश्यक जिंसों के निर्यात पर प्रतिबंध है। इसके अलावा कृषि जिंसों पर बाहरी वजहों जैसे रूस यूक्रेन युद्ध, लाल सागर संकट का असर पड़ा है।

अभी इजरायल-ईरान संघर्ष का कोई बड़ा असर नहीं दिखा है। वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी करीब 2.5 फीसदी है। सरकार चाहती है कि अगले कुछ साल में इसे बढ़ाकर करीब 4 से 5 फीसदी किया जाए।

2022 में 20 जिंसों का वैश्विक आयात 405 अरब डॉलर रहा है, जबकि भारत ने 9.03 अरब डॉलर की इन वस्तुओं का निर्यात किया है। अमेरिका, मलेशिया, इंडोनेशिया, जापान, इटली, बेल्जियम और ब्रिटेन में इन वस्तुओं के निर्यात की व्यापक संभावना है।

अप्रैल-फरवरी (2023-24) के दौरान भारत का कृषि निर्यात 8.8 फीसदी घटकर 43.7 अरब डॉलर रह गया है। लाल सागर संकट, रूस यूक्रेन युद्ध के साथ चावल, गेहूं, चीनी और प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण ऐसा हुआ है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इजरायल-ईरान युद्ध का निर्यात पर अभी कोई असर नहीं दिख रहा है क्योंकि अभी बदलाव की स्थिति है। अधिकारी ने कहा, ‘हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। अभी तक कोई व्यापक असर नहीं पड़ा है।’

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