जलवायु बदलाव का असर खेती पर देखने को मिल रहा है. अनियमित मौसम के चलते जम्मू-कश्मीर में केसर की खेती के उत्पादन में गिरावट आने के साथ ही उत्तराखंड में पारंपरिक बागवानी फसलों को नुकसान पहुंचा है. इसी तरह अन्य राज्यों में भी पारंपरिक फसलों पर जलवायु बदलावों का बुरा असर देखा है. इसके मद्देनजर केंद्र सरकार 1500 जलवायु अनुकूल फसलों को विकसित करने में जुटी है, इनमे से 109 नई किस्मों को पीएम मोदी ने बीते दिन जारी किया है. ऐसे में अभी फसलों की 1391 नई किस्मों का आना बाकी है.
बीते माह 23 जुलाई को पेश किए गए केंद्रीय बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि पर खर्च होने वाले बजट को बढ़ा दिया. उन्होंने कहा कि खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं और कार्यों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इससे पहले अंतरिम बजट में वित्तमंत्री ने कृषि के लिए 1.47 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा था. बजट में जलवायु अनुकूल अनाज और 32 बागवानी फसलों की किस्मों को विकसित करने की बात कही गई.
पीएम ने जारी की हैं 109 नई किस्में
अपनी घोषणा के तहत बीते दिन रविवार 11 अगस्त को पीएम मोदी ने 61 फसलों की 109 नई किस्में जारी कर दी हैं. ये किस्में जलवायु अनुकूल हैं यानी विपरीत मौसम का बुरा असर कम होगा, जिससे उत्पादन बढ़ेगा. पीएम मोदी ने जो 109 नई किस्में जारी कीं उनमें अनाज फसलों की 23 किस्में, चारा फसलों की 7 किस्में, गन्ना की 7 किस्में, कपास की 5 किस्में, तिलहन की 7 किस्में और बागवानी फसलों की 40 किस्में शामिल हैं. पीएम मोदी ने कहा कि इन नई किस्मों से किसानों की लागत घटेगी और आय बढ़ेगी.
जलवायु अनुकूल 1500 किस्में विकसित हो रहीं
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 5 अगस्त सोमवार को राज्यसभा में चर्चा के दौरान कहा कि सरकार किसानों को लाभ पहुंचाने और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जलवायु अनुकूल 1500 नई किस्में विकसित करने पर काम कर रही है. तब उन्होंने कहा था कि अगले कुछ दिनों में 109 किस्में पीएम मोदी किसानों को सौंपने जा रहे हैं. बीते दिन रविवार को पीएम मोदी ने 109 नई किस्मों को लॉन्च कर दिया है. जबकि, अब 1391 नई किस्मों का और इंतजार है. जलवायु अनुकूल नई किस्मों से किसानों के उत्पादन को बढ़ाया जा सकेगा, जिससे उनकी लागत में कमी आएगी. जबकि, बाकी फसलों पर आईसीएआर समेत दूसरे शोध संस्थानों के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं.
शोध संस्थान ने 2 काजू की किस्में विकसित कीं
सरकार के ऐलान के तहत नई किस्मों को विकसित करने और बीजों के विकास पर रिसर्च तेज हो गई है. केंद्र सरकार के अधीन संस्थान कर्नाटक के पुत्तूर स्थिति काजू अनुसंधान निदेशालय (DCR) ने काजू की दो हाइब्रिड किस्में नेत्र जंबो-1 और नेत्र गंगा को विकसित किया है. यह दोनों किस्में जलवायु अनुकूल होने के साथ ही कई खूबियों से लैस हैं. हाइब्रिड किस्म नेत्र जंबो-1 से काजू के उत्पादन पर प्रति टन 16,000 रुपये की मजदूरी बचेगी. जबकि, नेत्र गंगा (Netra Ganga) किस्म का पौधा 3 साल में ही 5 किलोग्राम से अधिक उपज देने लगेगा.